हंसने की तरह ही रोना भी हमारे जीवन का एक स्वाभाविक और जरूरी हिस्सा है। कभी खुशी के पल इतने भावुक कर देते हैं कि आंखों से आंसू छलक जाते हैं, तो कभी दुख, तनाव या गहरी तकलीफ में इंसान अपने जज्बातों को आंसुओं के जरिए बाहर निकालता है। रोना, केवल भावनाओं का इजहार भर नहीं है, बल्कि यह शरीर और मन को राहत देने की एक प्रक्रिया है। आज की तेज रफ्तार और भावनात्मक रूप से दबावभरी जिंदगी में लोग रोने से बचते हैं, खासकर पुरुषों को तो यह सिखाया जाता है कि मर्द रोते नहीं। लेकिन रोना कमजोरी नहीं, बल्कि एक जरूरी मानसिक प्रक्रिया है, जो हमें भावनात्मक तौर पर हेल्दी रखने में मदद करती है।
रोने से न सिर्फ मन हल्का होता है, बल्कि यह कई तरह से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी फायदा पहुंचाता है। इस लेख में गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद (Aarti Anand, Senior Psychologist, Ganga Ram Hospital) से जानिए, रोने के क्या-क्या फायदे हैं?
रोने के क्या-क्या फायदे हैं? - Health Benefits Of Crying
सीनियर साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद बताती हैं कि जब हम रोते हैं, तो हमारे शरीर में कुछ खास केमिकल रिएक्शन होते हैं। इसके साथ ही शरीर ऑक्सिटोसिन और एंडॉर्फिन हार्मोन भी रिलीज करता है, जिससे व्यक्ति को शांति और आराम का अनुभव होता है। रोने से व्यक्ति को तनाव और चिंता से राहत मिलती है। जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक दबाव, शोक या निराशा में होता है, तब रोना उसके लिए भावनाओं को बाहर निकालने का एक सुरक्षित और स्वाभाविक तरीका बनता है। हमारी मानसिक एनर्जी सीमित होती है। जब हम बार-बार नकारात्मक भावनाएं दबाते हैं, तो मानसिक थकावट होती है। रोने से ये दबी भावनाएं बाहर आती हैं और व्यक्ति मानसिक रूप से हल्का महसूस करता है।
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1. डिप्रेशन में रोना
जो लोग अवसाद (Depression) में होते हैं, उनके रोने के तरीके में भी फर्क होता है। कुछ लोग ज्यादा रोते हैं, तो कुछ बिलकुल भी नहीं रो पाते। यह संकेत हो सकता है कि व्यक्ति अपनी भावनाएं भीतर ही भीतर दबा रहा है। ऐसे में थैरेपी के दौरान भावनाओं को व्यक्त करने और रोने को प्रोत्साहित किया जाता है। कई बार किसी व्यक्ति का रोना यह संकेत हो सकता है कि वह अपने दर्द से लड़ रहा है। उसे सहानुभूति और समझ की जरूरत होती है, न कि चुप रहने की सलाह।
2. रोने के बाद बेहतर नींद
साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद मानती हैं कि रोने के बाद व्यक्ति की नींद की क्वालिटी बेहतर हो जाती है। आंसू बहाने के बाद मस्तिष्क शांत होता है और शरीर थकावट महसूस करता है, जिससे जल्दी और गहरी नींद आती है। यही कारण है कि छोटे बच्चे रोने के बाद अक्सर जल्दी सो जाते हैं।
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समाज में रोने को लेकर जो नकारात्मक सोच है, वह मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जब बच्चों को कहा जाता है कि लड़के नहीं रोते या इतनी सी बात पर क्यों रो रहे हो, तो वे अपनी भावनाओं को दबाना सीख जाते हैं। यह आदत बड़े होकर एंग्जायटी, डिप्रेशन और रिलेशनशिप समस्याओं में बदल सकती है।
जरूरत हो तो थेरेपिस्ट से बात करें
क्राइंग थेरेपी और इमोशनल रिलीज थैरेपी जैसी प्रक्रियाएं आज मनोचिकित्सा का हिस्सा बन चुकी हैं। थेरेपी के दौरान जब व्यक्ति अपने दर्द को शब्दों में नहीं कह पाता, तब रोना एक उपचार के रूप में सामने आता है। जब कोई क्लाइंट थैरेपी के दौरान रोता है, तो वह इलाज की शुरुआत मानी जाती है। इसका मतलब है कि अब व्यक्ति अपनी भावनाओं को स्वीकार कर रहा है।
निष्कर्ष
रोना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए उतना ही जरूरी है जितना हंसना। यह हमारे भीतर दबी भावनाओं को निकालने, तनाव घटाने का तरीका है। यह एक जैविक और मानसिक प्रोसेस है, जिसे दबाने की बजाय अपनाने की जरूरत है। तो अगर कभी दिल भारी हो और आंखें नम हो जाएं, तो खुद को रोने की इजाजत दीजिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि कभी-कभी आंसुओं में ही सुकून छुपा होता है।
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FAQ
बिना वजह रोने का मन क्यों करता है?
बिना वजह रोने का मन अक्सर भावनात्मक असंतुलन, तनाव, डिप्रेशन या हार्मोनल बदलावों का संकेत हो सकता है। जब मन में कोई दबी हुई चिंता, डर या अधूरा भाव होता है, तो वह आंसुओं के रूप में बाहर आ सकता है। महिलाओं में पीरियड्स से पहले या मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण भी ऐसा हो सकता है। नींद की कमी, थकान या मानसिक दबाव भी इस भावना को बढ़ा सकते हैं। अगर यह स्थिति बार-बार होती है, तो मानसिक स्वास्थ्य एक्सपर्ट से परामर्श लेना जरूरी है।बहुत ज्यादा रोने से क्या होता है?
बहुत ज्यादा रोना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे आंखों में सूजन, लालिमा और जलन हो सकती है। लगातार रोने से सिरदर्द, थकावट और नींद की कमी भी हो सकती है। मानसिक रूप से यह तनाव, चिंता या डिप्रेशन का संकेत हो सकता है, जिससे आत्मविश्वास में कमी और अकेलेपन की भावना बढ़ सकती है। लंबे समय तक रोना इम्यून सिस्टम को भी कमजोर कर सकता है।क्या रोना हमारे शरीर के लिए अच्छा है?
हां, सीमित मात्रा में रोना हमारे शरीर और मन के लिए अच्छा होता है। रोने से भावनात्मक तनाव कम होता है और मन हल्का महसूस करता है। यह शरीर में मौजूद तनाव हार्मोन (जैसे कॉर्टिसोल) को कम करने में मदद करता है। आंसू के माध्यम से शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं, जिससे मानसिक सुकून मिलता है। रोना आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम भी है, जो भावनाओं को दबाने से होने वाले मानसिक दबाव को घटाता है।