छोटे बच्चे ज्यादातर समय रोते हैं। लेकिन, बच्चे रोकर अपनी बात अभिभावकों तक पहुंचाना चाहते हैं। नवजात शिशु या एक साल तक के ज्यादातर बच्चे अपनी परेशानियों का संकेत इस तरह से देते हैं। मगर, कुछ बच्चे रात में ही ज्यादा रोते हैं। जब माता-पिता या अभिभावक बच्चे की परेशानी का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं तो ऐसे में वह घबराने लगते हैं। अक्सर दिनभर शांत रहने वाला बच्चा जैसे ही रात होती है, रोने लगता है, करवटें बदलता है या बार-बार उठता है। ऐसे में ज्यादातर माता-पिता के मन में प्रश्न उठता है कि आखिर बच्चे रात को ज़्यादा क्यों रोते हैं? इस लेख में यशोदा अस्पताल की पीडियाट्रिक्स सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर दीपिका रूस्तगी से जानेते हैं बच्चों के रात में ज्यादा रोने के संभावित कारण और इससे निपटने के उपाय क्या हो सकते हैं?
रात में बच्चों के रोने के प्रमुख कारण - Causes Of Babies Cry At Night In Hindi
अनियमित नींद चक्र (Sleep Cycle)
नवजात शिशुओं का नींद चक्र वयस्कों जैसा नहीं होता। उनका REM (Rapid Eye Movement) sleep ज्यादा होता है, जिसमें नींद हल्की होती है और वे जल्दी जाग जाते हैं। यह नींद की गहराई की कमी उन्हें रात में बार-बार जगाती है और वे रोने लगते हैं।
भूख लगना या स्तनपान की जरूरत
छोटे बच्चों का पेट छोटा होता है और उन्हें बार-बार भूख लगती है। कई बार वे हर 2-3 घंटे में दूध चाहते हैं, और यदि उन्हें समय पर दूध नहीं मिलता तो वे रोने लगते हैं, खासकर रात को जब वातावरण शांत होता है।
डायपर गीला या गंदा होना
गंदे या गीले डायपर से बच्चों को असहजता महसूस होती है। नींद में भी अगर डायपर गीला हो जाए तो बच्चा जागकर रोने लगता है।
गर्मी या ठंड लगना
छोटे बच्चे तापमान में बदलाव के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। यदि कपड़े बहुत गर्म हैं या बहुत कम हैं, तो वे बेचैनी महसूस करते हैं और रो सकते हैं।
दांत निकलना (Teething)
6 महीने से ऊपर के बच्चों में दांत निकलना शुरू होता है। इस दौरान उन्हें मसूड़ों में दर्द, जलन या खुजली होती है, जो रात को ज्यादा महसूस होती है और इसकी वजह से वे रो सकते हैं।
गैस या पेट में दर्द
गैस, पेट का फूलना या कोलिक दर्द भी बच्चों के रात में रोने का एक सामान्य कारण है। यह आमतौर पर खाने के तुरंत बाद या सोने के कुछ देर बाद होता है।
अकेलापन या सुरक्षा की कमी का भाव
बच्चे मां के स्पर्श और आवाज से जुड़ाव महसूस करते हैं। रात को यदि माँ पास न हो या बच्चा खुद को अकेला महसूस करे तो वह असुरक्षित महसूस कर सकता है और रोने लगता है।
रात में बच्चों के रोने से कैसे निपटें? - How To Deal With Babies Crying at Night?
- बच्चे को रोजाना एक निश्चित समय पर सुलाएं। सोने से पहले हल्का गाना, झूला या शांत वातावरण बनाने से बच्चा सहज महसूस करता है।
- कमरे का तापमान न बहुत गर्म हो और न बहुत ठंडा। हल्की रोशनी या नाइट लैम्प रखें ताकि बच्चा डरा न महसूस करे।
- सोने से पहले बच्चे को अच्छी तरह दूध पिलाएं ताकि रात को भूख के कारण न जगे।
- सोने से पहले बच्चे की पेट की हल्की मालिश या पैर की तलवों की मालिश करने से गैस और बेचैनी कम होती है।
- रात में एक बार डायपर चेक जरूर करें और यदि आवश्यक हो तो बदलें।
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अगर बच्चा लगातार कई रातों से रो रहा है या उसे तेज बुखार या उल्टी-दस्त हो रहे हों। साथ ही बच्चा का वजन लगातार कम हो रहा हो या रोने के साथ बच्चे का शरीर अकड़ रहा हो ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। रात में बच्चों का रोना माता-पिता के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय होता है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि यह एक सामान्य ग्रोथ प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है।
FAQ
क्या रात को बच्चे का रोना सामान्य है या चिंता का विषय?
नवजात शिशु का रात को रोना सामान्य है क्योंकि उनका नींद चक्र विकसित नहीं होता। लेकिन यदि रोना अत्यधिक है और इसके साथ अन्य लक्षण भी हैं, तो डॉक्टर की सलाह जरूरी है।क्या मां के आहार का बच्चे के रात को रोने से संबंध हो सकता है?
हां, स्तनपान कराने वाली माँ का आहार अगर गैस उत्पन्न करने वाला हो (जैसे छोले, फूलगोभी आदि), तो बच्चे को गैस हो सकती है जिससे वह रात में रोता है।क्या बच्चों को नींद की गोली देना सुरक्षित है?
नहीं। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की नींद की दवा या सिरप बच्चे को देना ख़तरनाक हो सकता है। हमेशा प्राकृतिक उपाय और डॉक्टर की सलाह को प्राथमिकता दें।