
Purple Crying in Hindi: पुरानी कहावत है बच्चे को जन्म देना और उसे पालन कोई बच्चों को खेल नहीं है। बच्चे के जन्म के साथ ही पेरेंट्स के लिए एक कई जर्नी शुरू होती है। कई बार आपने देखा होगा कि जन्म के कुछ वक्त तक बच्चा बहुत तेज-तेज से रोता है। बच्चे को चुप कराने के लिए पेरेंट्स घुमाते हैं, टहलाते हैं, उसके लिए लोरी गाते हैं, स्पीकर पर लो साउंड और म्यूजिक थैरेपी जैसी कई टेक्नीक अपनाते हैं। इसके बावजूद बच्चे का रोना बंद नहीं होता है। बच्चा बार-बार क्यों रो रहा है, इसकी चिंता में पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं और फिर डॉक्टर से सलाह लेते हैं। दरअसल जब बच्चा जोर-जोर से रोता है तो इसे मेडिकल की भाषा में पर्पल क्राइंग कहा जाता है। आज इस लेख में हम आपको पर्पल क्राइंग के लक्षण क्या हैं और इसे ठीक कैसे किया जा सकता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने गुरुग्राम स्थिक सीके बिड़ला अस्पताल के सलाहकार नियोनेटोलॉजी और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रेया दुबे से बात की।
क्या है पर्पल क्राइंग?
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि जन्म के साथ ही बच्चा नींद में मुस्कुराना, नींद में दूध पीना, किलकारियां करना और रोने जैसी कई हरकतें करता हैं। बच्चे की बाकी की चीजें तो लोगों का मन मोह लेती हैं, लेकिन रोना लोगों को परेशान कर जाता है। बच्चे की इसी हरकत को पर्पल क्राइंग या फिर कोलिक कहा जाता है।
क्या है पर्पल क्राइंग के लक्षण
डॉक्टर का कहना है कि शारीरिक रूप से हेल्दी और एक्टिव होने के बावजूद अगर बच्चा बार-बार रोता है तो यह कोलिक या पर्पल क्राइंग का मुख्य लक्षण हैं। इसके अलावा जन्म के दूसरे सप्ताह के बाद बच्चे में नीचे बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो भी यह पर्पल क्राइंग हो सकता है।
- ठीक से सो नहीं पाता
- मुट्ठी को जकड़कर रखना
- सही तरीके से दूध नहीं पीना
- दूध पीने के बाद उसे मुंह से बाहर निकलना
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शिशु में पर्पल क्राइंग कब तक चलती है?
डॉक्टर का कहना है कि पर्पल क्राइंग की समस्या ज्यादातर नवजात शिशुओं में देखने को मिलती है। किसी शिशु में पर्पल क्राइंग के लक्षण जन्म के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाते हैं और 3 से 4 माह तक चलते हैं। जबकि कुछ शिशुओं में पर्पल क्राइंग की शुरुआत जन्म के साथ ही हो जाती है और 6 माह तक चल सकती है।
पर्पल क्राइंग को ठीक करने के उपाय
डॉक्टर की मानें तो अगर किसी शिशु में पर्पल क्राइंग के लक्षण नजर आते हैं तो पेरेंट्स को घबराने की जरूरत नहीं हैं। 10 में से 9 मामलों में न्यू पेरेंट्स को इस परेशानी से डील करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत नहीं है। आप कुछ घरेलू नुस्खों के जरिए ही पर्पल क्राइंग को ठीक कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
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1. गर्म पानी से करें सिकाई
जन्म के दूसरे और तीसरे सप्ताह के बाद नवजात शिशु की गर्म पानी से सिकाई करनी चाहिए। गर्म पानी से सिकाई करने से पेट शिशु को पेट में बनने वाली गैस से राहत मिलती है। आप चाहें तो 1 से डेढ़ जग गर्म पानी से शिशु को नहला भी सकती हैं।
2. मालिश करें
नवजात शिशु की मालिश करना भारत की परंपरा का हिस्सा है। पैर, हाथ और पीठ की मालिश करने से बच्चे का पाचन सुधरता है। आप हल्के गुनगुने तेल से बच्चे की मालिश कर सकते हैं।
3. पेट के बल लिटाएं
बच्चे को पेट के बल लेटने से भी उन्हें पर्पल क्राइंग के लक्षणों से आराम मिलता है। आप कोई भी हल्का तकिया लगाकर बच्चे को पेट के बल लिटा सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे के पेट में दर्द और गैस की समस्या होगी, तो उसे ठीक किया जा सकता है।
Picture Courtesy: Freepik
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