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बच्चों को किडनी की बीमारी क्यों होती है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

आजकल खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से बच्चों को किडनी की बीमारियां हो रही हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।  
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बच्चों को किडनी की बीमारी क्यों होती है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय


Kidney Disease in Children Symptoms: दुनियाभर में किडनी की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर साल लाखों लोग किडनी की बीमारी की वजह से मौत का शिकार हो जाते हैं। चिंता का विषय तो यह है कि किडनी संबंधित बीमारियां अब सिर्फ वयस्कों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो रही है। ऐसे में पेरेंट्स का फर्ज बनता है कि वो अपने बच्चों का ध्यान रखें और उन्हें किडनी की बीमारियों से बचाएं। बच्चों को किडनी की बीमारी (Kidney Disease in Children) क्यों होती है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के यूरोलॉजी, यूरो-ऑन्कोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग के डायरेक्टर डॉ. विकास जैन (Dr Vikas Jain, Director & Unit Head, Department of Urology, Uro-oncology & Renal Transplantation, Fortis Hospital, Shalimar Bagh) से बात की।

बच्चों को क्यों होती है किडनी की बीमारियां

डॉ. विकास जैन का कहना है कि लाइफस्टाइल, खानपान, जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड का सेवन और कम मात्रा में पानी पीने की वजह से बच्चों की किडनियां बीमार हो रही हैं। इतना ही नहीं इन चीजों की वजह से बच्चों को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारी भी होती है, जिसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है। दरअसल, जंक फूड और पानी कम पीने का सीधा असर आपकी किडनी पर पड़ता है। इसकी वजह से किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाती है। इससे किडनी खराब हो जाती है और बच्चा बीमार हो जाता है। कुछ मामलों में स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है और छोटे बच्चों का भी किडनी का डायलिसिस करना पड़ता है। आइए जानते हैं बच्चों को किडनी की बीमारी के कारण

पैकेट वाले नमकीन स्नैक्स

डॉ. जैन की मानें तो छोटे-छोटे पैकेट्स में मिलने वाले नमकीन स्नैक्स में बहुत अधिक सोडियम होता है। ज्यादा मात्रा में सोडियम का सेवन करने से किडनियों को शरीर से ज्यादा पानी निकलना पड़ता है। इसकी वजह से किडनी पर अतिरिक्त दवाब पड़ता है और किडनियां कमजोर हो जाती हैं और किडनी संबंधित बीमारियां होती हैं।

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चाइनीज फूड का सेवन

चाइनीज फूड जैसे की नूडल्स, चिली पोटैटो और अन्य चीजों को बनाने के लिए अजीनोमोटो का इस्तेमाल किया जाता है। अजिनोमोटो मोनोसोडियम ग्लुटामेट होता है। जब कोई बच्चा अधिक मात्रा में अजीनोमोटो का सेवन करता है तो इससे शरीर में पानी का इनटैक बढ़ जाता है। जिसकी वजह से यूरीन अधिक मात्रा में बनता है और किडनियों को अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसकी वजह से भी किडनियों के खराब होने का खतरा रहता है।

डिहाइड्रेशन

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पानी पीना बहुत ज्यादा जरूरी है। लेकिन इन दिनों बच्चे पानी पीने की बजाय जूस, ओरल ड्रिंक, सोडा और कोल्ड ड्रिंक पर ज्यादा फोकस करते हैं। जिसकी वजह से शरीर में डिहाइड्रेशन बढ़ता है जिससे किडनियों को बीमार करता है।

मोटापा

डॉ. जैन का कहना है कि भारत के लगभग 15 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है। यानी की भारत में हर 15वां बच्चा मोटापे का शिकार है। आंकड़ों का जिक्र करते हुए डॉ. जैन का कहना है कि भारत में 2025 तक बच्चों में मोटापे के मामले 1 करोड़ 70 लाख तक हो जाएंगे। मोटापे का सीधा कनेक्शन डायबिटीज और किडनी की बीमारियों से है।

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जेनेटिक कारण

अगर परिवार के किसी सदस्य को किडनी से संबंधित बीमारी है, तो बच्चे को भी वह बीमारी हो सकती है। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अनुसार विश्व की 10 प्रतिशत जनसंख्या किडनियों से संबंधित मामूली या गंभीर समस्याओं से जूझ रही है।

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बच्चों में किडनी की बीमारी के लक्षण

  • चेहरे पर सूजन दिखाई देना
  • बार-बार मूत्र का त्याग करना
  • पेशाब करते वक्त जलन महसूस करना
  • पेशाब के रंग में बदलाव आना
  • पेट में दर्द थकान महसूस होना कमजोरी

बच्चों की किडनी की देखभाल कैसे करें?

डॉ. जैन का कहना है कि आजकल की लाइफस्टाइल में पेरेंट्स अगर जागरूक हों तो बच्चों की किडनियां हेल्दी और फिट रह सकती हैं। इसके लिए पेरेंट्स को नीचे बताए गए टिप्स फॉलो करने होंगे।

  • बच्चों के लिए एक शेड्यूल बनाएं और उसे खुद भी फॉलो करें। जैसे कि समय पर सोना, खाना, पढ़ाई करना आदि।
  • जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड की बजाय बच्चों को घर पर बना हुआ खाना ही खिलाएं।
  • बच्चों को जूस, सोडा की बजाय पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। अगर आपका बच्चा सादा पानी पीने में आनाकानी करता है तो नींबू पानी और लस्सी जैसे ऑप्शन ट्राई करें। बच्चे के वजन पर नजर बनाए रखें।

Image Credit: Freepik.com

 

 

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