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शिशुओं के शरीर में नजर आए ये 2 लक्षण तो न करें नजरअंदाज, विटामिन डी की कमी का हो सकते हैं संकेत

विटामिन डी की कमी के कारण शिशुओं की हड्डियां कमजोर हो जाती है, जिससे उनके शरीरिक विकास में समस्या आ सकती है।
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शिशुओं के शरीर में नजर आए ये 2 लक्षण तो न करें नजरअंदाज, विटामिन डी की कमी का हो सकते हैं संकेत


शिशुओं के बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का होना जरूरी है। शरीर में किसी भी पोषक तत्व की कमी उनके विकास में बाधा डाल सकता है और कई बीमारियों का कारण बन सकता है। बढ़ते शिशुओं की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए विटामिन डी एक अहम भूमिका निभाता है, लेकिन शरीर में इस विटामिन की कमी हड्डियों को कमजोर बना सकता है। स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए मां का दूध पोषक तत्वों का सबसे अच्छा स्रोत होता है। लेकिन शिशुओं के शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए यह काफी नहीं है। किरण मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और न्यूबोर्न स्पेशलिस्ट डॉ. पवन मंडाविया का कहना है कि, “अगर आपने अपने बच्चे को जन्म से विटामिन डी नहीं दिया है और शिशु को सही से सन एक्सपोजर नहीं मिला है, तो उसके शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है।” तो आइए डॉ. पवन मंडाविया से जानते हैं शिशुओं के शरीर में विटामिन डी की कमी के क्या लक्षण नजर आते हैं। 

शिशुओं के शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षण - Symptoms of Vitamin D Deficiency in Babies in Hindi

1. कलाई का चौड़ा होना 

शिशुओं में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स नाम की समस्या हो सकती है, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। रिकेट्स का एक लक्षण शिशुओं के कलाई के जोड़ का चौड़ा होना है, जो कलाई के पास की हड्डियों के नरम होने के कारण होता है।

2. पैरों का मुड़ना 

विटामिन डी की कमी के कारण शिशुओं के पैर मुड़ सकते हैं। यह समस्या विटामिन डी की कमी के कारण रिकेट्स की समस्या होने का एक और आम लक्षण है। यह तब होता है जब कमजोर हड्डियां बच्चे के वजन को ठीक से सहन करने में असमर्थ होती हैं, जिससे पैर मुड़ जाते हैं। 

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शिशुओं में विटामिन डी की कमी कैसे पूरा करें? - How To Increase Vitamin D in Babies in Hindi?

  • अपने शिशु को गर्मी में सुबह 8 बजे से पहले सूरज की रोशनी में 10 से 15 मिनट के लिए रखें। ऐसा करने से उनके शरीर को विटामिन डी का उत्पादन करने में मदद मिल सकती है। 
  • अगर आपके बच्चे को विटामिन डी की कमी का खतरा ज्यादा है, तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट की सलाह पर आप उनको विटामिन डी सप्लीमेंट्स दे सकते हैं। 
  • अपने बच्चे की डाइट में विटामिन डी से भरपूर या फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इसमें फोर्टिफाइड शिशु फार्मूला, फोर्टिफाइड अनाज और प्राकृतिक रूप से विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल है। 

 

 

 

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  • अगर शिशु मां के दूध पर निर्भर है, तो कोशिश करें कि स्तनपान कराने वाली मां को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल रहा हो। 
  • अपने बच्चे के विकास और विटामिन डी के स्तर की निगरानी करने के लिए नियमित रूप से बच्चे का हेल्थ चेकअप करवाएं। 

Image  Credit- Freepik 

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