शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ही किडनी का स्वस्थ होना बेहद आवश्यक है। किडनी ब्लड को फिल्टर करने में मदद करती है। साथ ही, यह ब्लड में मौजूद गंदगी को बाहर कर शरीर को डिटॉक्स करने में मुख्य भूमिका निभाती है। लेकिन, कई बार डायबिटीज व अन्य समस्याओं के कारण लोगों को किडनी की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा किडनी रोग में भी एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज (Acquired Cystic Kidney Disease - ACKD) होने की संभावना बढ़ जाती है। यह एक गंभीर समस्या हैं। इस समस्या में किडनी पर लिक्विड से भरे हुए सिस्ट बन जाते हैं। इससे किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में व्यक्ति को किडनी में दर्द, बार बार बुखार आना और हाथ पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है। आगे नारायणा अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुदीप सिंह सचदेव से जानते हैं कि एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज के क्या कारण होते हैं और इस दौरान मरीज को क्या लक्षण महसूस हो सकते हैं?
एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज के कारण - Causes Of Acquired Cystic Kidney Disease
क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD)
एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज अधिकतर उन लोगों में देखा जाता है जिनके गुर्दे पहले से ही किसी गंभीर और लंबे समय से चल रही बीमारी (क्रोनिक किडनी डिजीज) से प्रभावित होते हैं। जब गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पाते हैं, तो उनमें धीरे-धीरे सिस्ट बनने की संभावना बढ़ जाती है।
डायलिसिस
डायलिसिस पर निर्भर मरीजों में एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। डायलिसिस एक ऐसा उपचार है जो गुर्दों की खराबी के कारण ब्लड को प्यूरिफायर करने के लिए किया जाता है। डायलिसिस के दौरान, रक्त में मौजूद विषैले पदार्थों (गंदगी) को हटाया जाता है, लेकिन यह प्रक्रिया किडनी में सिस्ट होने की आशंका को बढ़ा सकती है।
उम्र का बढ़ना
एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। अधिक आयु में किडनी की कार्यक्षमता में कमी आती है, जिससे सिस्ट का निर्माण होने की संभावना बढ़ जाती है।
आनुवंशिक कारक
हालांकि, एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज सामान्यतः आनुवंशिक नहीं होते है। लेकिन, कुछ मामलों में आनुवंशिक कारक इस रोग की संभावना को बढ़ा सकते हैं। अगर परिवार में किसी को यह रोग हो, तो उसके अन्य सदस्यों में भी इसका जोखिम बढ़ सकता है।
एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज के लक्षण
- पेट में दर्द महसूस होना
- किडनी में सूजन और दबाव होना
- यूरिन में ब्लड आना (हेमट्यूरिया), किडनी के सिस्ट के फटने से यूरिन में ब्लड आ सकता है।
- मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ना,
- इस रोग में मरीज को बार-बार इंफेक्शन हो सकता है।
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