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क्या प्रेग्नेंसी के दौरान रोने से बच्चे पर असर पड़ता है? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी के दौरान मां का खानपान और खुश रहना गर्भ में पल रहे शिशु और मां की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। यहां जानिए, प्रेग्नेंसी में रोने से बच्चे पर क्या असर होता है?
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क्या प्रेग्नेंसी के दौरान रोने से बच्चे पर असर पड़ता है? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का बेहद खास और सेंसिटिव दौर होता है और इस समय न केवल शरीर में बड़े बदलाव आते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति भी तेजी से बदलती है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं में भावनाएं ज्यादा तीव्र हो जाती हैं जैसे कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना, चिंता होना या बिना वजह रो देना भी आम हो सकता है। ऐसे में जब कोई प्रेग्नेंट महिला रोती है, तो परिवार के लोगों या स्वयं महिला के मन में यह सवाल उठता है कि क्या इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है? कभी-कभार रोना स्वाभाविक और सामान्य माना जाता है, लेकिन यदि यह आदत बन जाए या लगातार भावनात्मक अस्थिरता बनी रहे, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। इस लेख में जयपुर के दिवा अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की प्रसूति एवं स्त्री रोग की विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिखा गुप्ता (Dr. shikha gupta, Laparoscopic surgeon and IVF specialist, DIVA hospital and IVF centre) से जानिए, क्या प्रेग्नेंसी के दौरान रोने से बच्चे पर असर पड़ता है?

क्या प्रेग्नेंसी के दौरान रोने से बच्चे पर असर पड़ता है? - Does Crying Affect Baby During Pregnancy

प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन की मात्रा में ज्यादा होती है। ये हार्मोन मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं। इसी वजह से प्रेग्नेंट महिलाएं अधिक संवेदनशील, चिड़चिड़ी या भावुक महसूस कर सकती हैं। कभी-कभी बिना किसी कारण के भी रोना आ जाता है। हल्का या कभी-कभी रोना आमतौर पर बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह शरीर की तनाव निकालने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो सकती है। लेकिन यदि महिला बार-बार या ज्यादा भावनात्मक तनाव में रहती है, या डिप्रेशन से पीड़ित होती है, तो इसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है। लगातार तनाव या चिंता से शरीर में कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जो प्लेसेंटा के माध्यम से बच्चे तक पहुंच (does crying affect baby in pregnancy) सकता है। इससे शिशु के मस्तिष्क और न्यूरोलॉजिकल विकास पर असर पड़ सकता है।

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  • ज्यादा तनाव या चिंता का लेवल बच्चे के वजन को प्रभावित कर सकता है।
  • ज्यादा तनाव से प्रसव समय से पहले हो सकता है।
  • कुछ मामलों में बच्चे के जन्म के बाद उसमें ज्यादा रोना, नींद की परेशानी या व्यवहार संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।
  • प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा तनाव शिशु के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है।

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Does Crying Affect Baby During Pregnancy

प्रेग्नेंसी में खुश रहने के लिए क्या करें - What to do to stay happy during pregnancy

यदि आप प्रेग्नेंसी में बार-बार रोती हैं या भावनात्मक अस्थिरता महसूस करती हैं, तो घबराएं नहीं। अपने पार्टनर, परिवार या दोस्तों से अपनी भावनाएं शेयर करें। प्रेग्नेंसी योग और मेडिटेशन से मन शांत रहता है और हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है। इसके अलावा पोषणयुक्त भोजन से न केवल शरीर हेल्दी रहता है बल्कि मूड भी बेहतर होता है। साथ ही नींद की कमी से चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ सकता है, ऐसे में पसंदीदा किताबें पढ़ना या मधुर संगीत सुनना मन को प्रसन्न करता है।

निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी में रोना एक सामान्य बात हो सकती है, लेकिन यदि यह ज्यादा या बार-बार हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मां का मानसिक स्वास्थ्य गर्भस्थ शिशु के लिए उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक पोषण। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी भावनाओं को गंभीरता से लें, जरूरत पड़े तो मदद लें और स्वयं को मानसिक रूप से संतुलित रखें। एक शांत, खुश और स्वस्थ मां ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • गर्भवती महिला को खुश कैसे करें? 

    प्रेग्नेंट महिला को खुश रखने के लिए परिवार और खासकर पति का सहयोग बहुत जरूरी होता है। उसके साथ प्यार से बात करें, उसकी बातों को ध्यान से सुनें और उसकी भावनाओं को समझें। हल्की-फुल्की बातें करें, मनपसंद खाना खिलाएं और उसे पसंदीदा संगीत या फिल्में दिखाएं। नियमित सैर पर साथ जाएं और उसकी थकान को समझते हुए आराम करने दें। सरप्राइज देना, हल्की मसाज करना या उसके लिए छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखना उसे भावनात्मक रूप से सुरक्षित और खुश महसूस करवा सकता है।
  • सफल गर्भावस्था के संकेत क्या हैं?

    सफल प्रेग्नेंसी के संकेतों में सबसे पहले नियमित रूप से भ्रूण की दिल की धड़कन सुनाई देना और उसका सही विकास होना शामिल है। मां का वजन धीरे-धीरे बढ़ना, सुबह की उल्टी या मतली, स्तनों में बदलाव, थकान और मूड में बदलाव आम लक्षण हैं। समय-समय पर की गई अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भ्रूण का विकास सही दिशा में होना, प्लेसेंटा का ठीक जगह होना और एमनियोटिक फ्लूड का संतुलन भी सफल गर्भावस्था के संकेत हैं।
  • गर्भवती महिला को ज्यादा से ज्यादा क्या खाना चाहिए?

    प्रेग्नेंट महिला को ज्यादा मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स, साबुत अनाज, दालें, अंडा, ड्राई फ्रूट्स और आयरन व फोलिक एसिड युक्त फूड्स खाने चाहिए। भरपूर पानी पीना चाहिए और घर का साफ, ताजा व हल्का खाना ही लेना चाहिए। ज्यादा तेल, मसाले और बाहर का खाना टालना चाहिए। डॉक्टर की सलाह अनुसार सप्लिमेंट्स भी लेना जरूरी है।

 

 

 

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