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प्रेग्नेंसी में दुखी रहने से बच्चे पर क्या असर पड़ता है, डॉक्टर से जानें ये 3 जरूरी बातें

Can Sadness Affect Pregnancy In Hindi: प्रेग्नेंसी में दुखी महिलाओं को दुखी नहीं रहना चाहिए। इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही, शिशु के विकास पर भी नेगेटिव असर पड़ता है।
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प्रेग्नेंसी में दुखी रहने से बच्चे पर क्या असर पड़ता है, डॉक्टर से जानें ये 3 जरूरी बातें


Will Sadness Affect Pregnancy In Hindi: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हो रहे उतार-चढ़ाव अक्सर उन्हें परेशान रखते हैं। इन दिनों उल्टी, मतली, मन खराब होना, मूड अच्छा न रहना जैसी तमाम समस्याएं होने लगती हैं। यही नहीं, प्रेग्नेंसी की वजह से महिला ठीक से सो नहीं पाती, रिलैक्स होने में दिक्कतें आती हैं। ऐसे में उनकी मेंटल हेल्थ पर इसका नेगेटिव असर पड़ना लाजिमी है। क्या आप जानते हैं कि अगर प्रेग्नेंट महिलाएं लंबे समय तक तनाव में रहती हैं, तो इसका बुरा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है। इस लेख में हमानेंगे कि प्रेग्नेंसी में दुखी रहने से गर्भ में पल रहे शिशु पर इसका क्या असर पड़ सकता है? इस संबंध में हमने Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।

प्रेग्नेंसी में दुखी रहने से बच्चे पर क्या असर पड़ता है?- Does Sadness Affect Pregnancy In Hindi

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प्रीटर्म बर्थ का जोखिम

प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिला खुश नहीं रहती है, परेशान रहती है और लंबे समय तक तनाव से घिरी रहती है। यह स्थिति न सिर्फ प्रेग्नेंट महिला के लिए नुकसानदायक है, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकती है। असल में, जब महिला लंबे समय तक दुखी होती हैं, जिससे डिप्रेशन या एंग्जाइटी बढ़ जाती है। इस स्थिति में महिला के शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। इसकी वजह से यूटराइन आर्टरी का ब्लड फ्लो बाधित होता है, जिससे भ्रूण के विकास पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से प्रीटर्म डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ता है।

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डिलीवरी के बाद शिशु का वजन कम होना

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला अवसाद, सैडनेस या तनाव से घिरी रहती है, तो इस स्थिति में डिलीवरी के बाद शिशु का वजन कम हो सकता है। अवसाद और जन्म के बाद शिशु के वजन कम होने के बीच गहरा संबंध है। एक्सपर्ट्स की मानें, तो प्रेग्नेंसी के दौरान डीप डिप्रेशन या सैडनेस की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोनल दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। इससे महिला की इम्यूनिटी पर बुरा असर पड़ता है, जो कि गर्भ में पल रहे शिशु के वजन पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

शिशु के विकास में बाधा

कई रिसर्चों से यह बात सामने आई है कि जब महिला अवसाद, तनाव या चिंता से घिरी रहती है यानी जब दुखी रहती हैं, तो अक्सर फिजिकली कम एक्टिव हो जाती हैं। जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान कम एक्टिव होती हैं, गर्भ में पल रहे उनके शिशु का सही तरह से विकास नहीं होता है या उनकी विकास गति धीमी होती है। कई साक्ष्यों से यह भी पता चलता है कि जिन बच्चों को सही तरह से विकास नहीं हो पाता है, भविष्य में उन्हें कुछ बीमारियां होने का जोखिम बना रहता है।

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ब्रेन डेवेलपमेंट पर असर

विशेषज्ञों की मानें, जो महिलाएं लंबे समय तक दुखी रहती हैं, परेशान रहती हैं और प्रेग्नेंसी के दौरान कभी खुश नहीं होती हैं। ऐसी स्थिति में गर्भ में पल रहे शिशु का न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे बच्चों की मेंटल हेल्थ डेवेलपमेंट धीमी हो जाती है। यही नहीं, इस तरह के बच्चों में इमोशनल डेवेलपमेंट की भी कमी देखी जा सकती है। हालांकि, हर बच्चे के साथ ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है।


FAQ

  • क्या मां के दुखी होने पर गर्भ में बच्चे महसूस कर सकते हैं?

    कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान जब महिलाएं परेशान होती हैं, गर्भ में पल रहा उनका शिशु भी उस स्थिति का महसूस करता है। इसलिए, जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिलाएं खुश रहें और पॉजिटिव बिहेव करें।
  • प्रेग्नेंसी में ज्यादा रोने से क्या होता है?

    आमतौर पर तनाव और अवसाद के कारण ही महिलाएं प्रेग्नेंसी में रोती हैं। तनाव और अवसाद जैसी स्थितियां प्रेग्नेंसी में सही नहीं होती हैं। इसलिए, कोशिश करें कि प्रेग्नेंसी में आप न रोएं।
  • गर्भ में बच्चा कैसे कमजोर हो सकता है?

    अगर गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अच्छा डाइट फॉलो नहीं करती है, खराब जीवनशैली अपनाती हैं, तो इसकी वजह से गर्भ में शिशु कमजोर हो सकता है। इसके अलावा, अगर महिला को पहले से किसी तरह की मेडिकल कंडीशन है या प्रेग्नेंसी के दौरान उनकी सेहत खराब होती है, तब भी शिशु जन्म के समय कमजोर हो सकता है।

 

 

 

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