Can extreme hot weather conditions impact baby in womb expert explains in hindi : इन दिनों पूरे उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद समेत देश के कई हिस्सों में गर्मी का आलम यह है कि तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। गर्म मौसम के साथ-साथ हीट वेव ने लोगों को परेशान किया हुआ है। हीट वेव की वजह से लोगों का घर से निकलना तक मुश्किल हो गया है। गर्मियों में चलने वाली हीट वेव की वजह से आम लोगों से ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं परेशान हो रही हैं। नेशनल चाइल्ड बर्थ ट्रस्ट द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, आम लोगों के मुकाबले प्रेग्नेंट महिलाओं को गर्मी ज्यादा लगती है। इसका मुख्य कारण है हार्मोन्स में बदलाव। शोध के अनुसार प्रेग्नेंसी में महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं। जिसकी वजह से उनके शरीर का तामपान ज्यादा होता है और उन्हें गर्मी ज्यादा महसूस होती है। इन्हीं बातों के बीच सवाल उठता है कि क्या महिला के भ्रूण में पल रहे बच्चे को भी गर्मी या हीट वेव का असर होता है?, क्या हीट वेव गर्भ में पलने वाले शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकती है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आस्था दयाल से बात की। आइए इस लेख में आगे जानते हैं इन सवालों के जवाब।
क्या हीट वेव गर्भ में पलने वाले शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकती है?- Can extreme hot weather conditions impact baby in womb?
डॉ. आस्था दयाल के अनुसार, यह बात बिल्कुल सच है कि गर्मी और हीट वेव गर्भ में पलने वाले शिशु पर भी असर डालती है। जब आसपास का तापमान प्रेग्नेंट महिला के शरीर के तापमान से अधिक गर्म होता है (यानी जब हवा का तापमान 38 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है) तो पसीना बहने के लिए ब्लड का फ्लो स्किन की ओर चला जाता है। इसकी वजह से प्लेसेंटा में ब्लड का फ्लो कम हो जाता है। जब प्लेसेंटा में ब्लड का फ्लो कम होने से गर्भ में पलने वाले शिशु को ऑक्सीजन कम मिल पाता है। जिसका अर्थ यह है कि शिशु को गर्म मौसम और हीट वेव की वजह से कम पोषण मिल रहा है।
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इतना ही नहीं, हीट वेव में अगर प्रेग्नेंट महिलाएं सही मात्रा में पानी न पिएं, तो इसकी वजह से डिहाइड्रेशन की समस्या होती है। जब डिहाइड्रेशन होता है, तो हार्मोनल परिवर्तन में प्रोस्टाग्लैंडीन और ऑक्सीटोसिन का फ्लो बढ़ने लगता है। इसकी वजह से समय से पहले शिशु को जन्म होने का खतरा रहता है।
जन्म के समय कम हो सकता है शिशु का वजन
डॉ. दयाल के अनुसार, जब प्रेग्नेंट महिलाएं ज्यादा समय हीट वेव और गर्मी में बिताती हैं, तो इसकी वजह से उनके शरीर से हीट-शॉक प्रोटीन (तनावपूर्ण स्थितियों के कारण कोशिकाओं द्वारा उत्पादित प्रोटीन का एक परिवार) भी निकल सकता है, जो प्लेसेंटल कोशिकाओं और प्लेसेंटल फंक्शन को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण भ्रूण को मिलने वाले पोषण में कमी आ सकती है। जब भ्रूण को सही मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलेंगे, तो जन्म के समय शिशु का वजन काफी कम हो जाता है, जिसकी वजह से उसे भविष्य में बीमारियां परेशान कर सकती हैं।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि गर्मियों में जिन प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा वक्त घर से बाहर बिताना पड़ता है, उन्हें डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए, ताकि गर्भ में पलने वाले शिशु को विकास सही तरीके से हो सके।
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