छोटी आंत का काम भोजन को तोड़ना होता है और इनसे निकले वाले पोषक तत्वों को शरीर को भेजना होता है। इसलिए छोटी आंत हमारे पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। अगर छोटी आंत को कोई नुकसान होता है, तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं। इससे न सिर्फ पाचन तंत्र के काम काज में गड़बड़ी आती है बल्कि, डाइजेशन भी लंबे समय तक प्रभावित रहता है। लेकिन, सवाल यह है कि छोटी आंत खराब कैसे होती है, ऐसी कौन सी चीजें हैं जो इन्हें नुकसान पहुंचाती हैं और फिर किन लक्षणों से हम छोटी आंत के डैमेज (Small intestine damage) को पहचान सकते हैं? इन तमाम चीजों के बारे में जानने के लिए हमने डॉ. साद अनवर, सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड जनरल सर्जरी, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर से बात की।
क्यों डैमेज हो जाती है छोटी आंत-Small intestine damage reason
छोटी आंत को नुकसान कई कारणों से हो सकता है, जिनमें इंफेक्शन, क्रोहन रोग और सीलिएक रोग जैसे ऑटो इम्यून बीमारियां भी शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ दवाएं, शराब और स्मोकिंग भी छोटी आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में कारणों को जानते हुए आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप छोटी आंत के डैमेज से बचें और लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाएं।
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छोटी आंत खराब होने के क्या लक्षण हैं-Small intestine damage symptoms in Hindi
डॉ. साद अनवर, सीनियर कंसल्टेंट बताते हैं कि सबसे सामान्य लक्षणों में लगातार पेट दर्द या ऐंठन, पेट में सूजन, बार-बार दस्त या कब्ज की समस्या, और गैस होने जैसी पाचन समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों को उल्टी या भूख में कमी भी महसूस होती है। ये लक्षण इस बात का संकेत हो सकते हैं कि छोटी आंत ठीक तरह से काम नहीं कर रही है। इसके अलावा जब छोटी आंत क्षतिग्रस्त होती है, तो शरीर जरूरी पोषक तत्वों जैसे विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीनों को अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे पोषण की कमी हो जाती है। इससे
- - वजन कम होना
- - कमजोरी
- -थकान और ऊर्जा में कमी
- -त्वचा का रूखा पड़ना
- -बालों का झड़ना
- -बार-बार बीमार पड़ना जैसे कुछ आम लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।
कुछ मामलों में खून की कमी या एनीमिया भी हो सकता है क्योंकि विटामिन बी12 और आयरन का अवशोषण सही ढंग से नहीं हो पाता। इससे थकान बढ़ती है और शरीर कमजोर हो जाता है। छोटी आंत की बीमारी से पीड़ित लोगों को संक्रमण का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। जिन लोगों को पहले से इम्यून सिस्टम की समस्या हो, उनके लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है। खराब पाचन के कारण डायबिटीज, ऑटोइम्यून बीमारियां और अन्य जटिलताएं भी बढ़ सकती हैं, जिससे जीवनशैली प्रभावित हो जाती है।
इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज हो सकती है
अगर छोटी आंत में सूजन या नुकसान गंभीर हो तो यह क्रोनिक स्थिति में बदल सकती है, जिसे इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (inflammatory bowel disease) कहते हैं। ऐसी स्थिति में पेट दर्द, वजन घटना, खून आना और लगातार थकान बनी रहती है, जो व्यक्ति के सामान्य जीवन को प्रभावित करती है। इस बीमारी के इलाज के लिए दवाइयां, खास डाइट प्लान, और गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत भी पड़ती है।
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समय पर सही इलाज न मिलने पर छोटी आंत की बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर स्थायी असर डाल सकती है। इसलिए, अगर पेट में लगातार दर्द, सूजन, वजन कम होना, दस्त या कब्ज की समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। जांच में ब्लड टेस्ट, स्कैन और एंडोस्कोपी जैसी तकनीकें शामिल हो सकती हैं, जो समस्या की गंभीरता और कारण को समझने में मदद करती हैं।
छोटी आंत की देखभाल के लिए एक स्वस्थ और संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज, पर्याप्त पानी पीना और तनाव कम करना जरूरी है। इसके साथ ही डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाओं और इलाज को समय पर लेना भी जरूरी होता है। घर पर भी पाचन में सुधार के लिए हल्का आहार लेना और भारी या मसालेदार भोजन से बचना लाभकारी होता है।
FAQ
आंतों में जमा मल कैसे निकालें?
आंतों में जमा मस को निकालने के लिए सबसे पहले तो आप अपने खाने में फाइबर बढ़ाएं, साथ ही हाइड्रेटिंग फूड्स का सेवन करें जो कि मल को मुलायम करके इन्हें बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा आप डाइट में छाछ और दही को शामिल कर सकते हैं जो कि आंतों में जमा मल को साफ करने में मददगार है।आंत खराब होने से क्या होता है?
आंत खराब होने से सबसे पहले आपका पाचन तंत्र प्रभावित हो जाता है। इसके अलावा कुछ लोगों को पेट में दर्द, सूजन और भूख न लगने की समस्या होती है।आंतों को ठीक करने के लिए क्या खाएं?
आंतों को ठीक करने के लिए डाइट में ज्यादा प्रोबायोटिक फूड्स को शामिल करें। जैसे कि दही और छाछ का सेवन करें जो कि आंतों की गति को तेज करने के साथ उन्हें हीलिंग और रिकवरी का भी मौका देते हैं।