छोटी आंत को काफी प्रभावित करता है ग्लूटन, इंफेक्शन से बचने के लिए करें ये काम

यह ठीक वैसा ही है जैसा कुछ लोगों के साथ दूध के सेवन को लेकर होता है। यानी जब शरीर किसी खास प्रकार के खाद्य या पेय को पचाने में असमर्थ होता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
छोटी आंत को काफी प्रभावित करता है ग्लूटन, इंफेक्शन से बचने के लिए करें ये काम


यह ठीक वैसा ही है जैसा कुछ लोगों के साथ दूध के सेवन को लेकर होता है। यानी जब शरीर किसी खास प्रकार के खाद्य या पेय को पचाने में असमर्थ होता है। यही समस्या सिलियक डिसीज से पीड़ित लोगों के साथ ग्लूटन युक्त खाद्य के सेवन के समय होती है। छोटी आंत की बड़ी पीड़ा सिलियक डिसीज छोटी आंत से जुड़ी एक ऑटोइम्यून डिसॉर्डर है। यह जेनेटिक समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को परेशान कर सकती है। इसे ग्लूटन सेंसेटिव एन्टेरोपैथी भी कहा जाता है। इस पाचन तंत्र से जुड़ी तकलीफ के चलते ग्लूटन युक्त पदार्थ खाने से छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है।

ग्लूटन असल में एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो कुछ अनाजों में पाया जाता है। चूंकि ग्लूटन के सेवन से छोटी आंत को नुकसान होता है। इस नुकसान के कारण शरीर को आयरन, कैल्शियम, फैट आदि जैसे पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

लक्षण और तकलीफ

आमतौर पर हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम शरीर के बाहर से आने वाली वस्तुओं यानी फॉरेन बॉडीज से शरीर की सुरक्षा करता है। जब सिलियक डिसीज से ग्रसित व्यक्ति ग्लूटन वाले खाद्य का सेवन करते हैं तो उनका इम्यून सिस्टम एक प्रकार की एंटीबॉडीज का निर्माण करता है जो आंत पर हमला कर देती हैं। इससे छोटी आंत को नुकसान पहुंचने के साथ ही उसमें सूजन भी आ जाती है। आंत के उस हिस्से को भी नुकसान होता है जो पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब करने में मुख्य भूमिका निभाता है।

इसे भी पढ़ें:- ये 6 आदतें उम्र से पहले बना रही हैं आपको बूढ़ा, लाइफस्टाइल में करें जरूरी बदलाव

नतीजा पेट दर्द से लेकर गैस, दस्त, वजन का अचानक कम होना, स्किन पर रैशेज होना, जोड़ों तथा हड्डियों में दर्द और खिंचाव, बच्चों में विकास का धीमा पड़ जाना, मुंह में छाले, महिलाओं में पीरियड्स से जुड़ी तकलीफ, एनीमिया आदि जैसी समस्याएं पनप सकती हैं।

यही नहीं ध्यान न देने पर सिलियक डिसीज से ग्रसित लोगों में हड्डियों से जुड़ी गंभीर परेशानियां, बर्थ डिफेक्ट्स, मिसकैरेज या इन्फर्टिलिटी से लेकर कैंसर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कई बार इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में थायरॉइड, टाइप-1 डाइबिटीज, ल्यूपस तथा आर्थराइटिस आदि जैसी परेशानिया भी साथ में हो सकती हैं।

चिकित्सा तथा सावधानियां

दुनियाभर में चिकित्सा जगत में हुए शोध तथा इस क्षेत्र की बढ़ती उपलब्धियों ने अब बहुत सी बीमारियों में पीड़ितों को राहत पहुंचाने का काम किया है। सिलियक डिसीज के मामले में भी ऐसा हो सकता है। सबसे पहली जरूरत इस बीमारी के पता चलने पर ग्लूटन युक्त पदार्थों के सेवन पर रोक लगाने की होती है।

पर्याप्त चिकित्सा और सावधानी से खाद्य अपनाने पर इस तकलीफ में आराम मिल सकता है। औषधियों तथा ग्लूटन युक्त पदार्थों से परहेज करने से समस्या में जल्द ही लाभ मिल सकता है। कुछ केसेस में स्थिति गंभीर होने से चिकित्सा के अन्य उपाय भी अपनाए जा सकते हैं।

इसे भी पढ़ें:- हाई हील्स, गलत बॉडी पॉश्चर जैसी ये 5 आदतें आपके घुटनों के लिए हैं खतरनाक

खासतौर पर घर में हों या बाहर, अपनी डाइट पर ध्यान देना महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। गेंहू से लेकर बार्ली जैसे अनाजों तथा ब्रेड, पास्ता, सीरियल्स जैसी कई खाने की चीजों में ग्लूटन हो सकता है। ऐसे में अपने डॉक्टर और डाइटीशियन से मार्गदर्शन लेकर सही डाइट का चुनाव करें।

ग्लूटन युक्त पदार्थों की जगह चावल, आलू या सोया जैसे पदार्थों के आटे को भी विकल्प के तौर पर प्रयोग में लाया जा सकता है। सही और नियमित जीवनशैली तथा सही डाइट इस तकलीफ से पुन: सामान्य जीवन की ओर लाने में मददगार हो सकती है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Miscellaneous in Hindi

Read Next

सिगरेट या एल्कोहल ही नहीं, ये 5 आदतें भी बनाती हैं आपको बीमार

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version