शरीर का हर अंग तभी सही तरीके से काम करता है जब दिमाग ठीक से कार्य कर रहा हो। मस्तिष्क यानी ब्रेन हमारे शरीर का मुख्य कमांड सेंटर है, जो सोचने, समझने, महसूस करने, चलने-फिरने से लेकर सांस लेने जैसे सभी जरूरी कामों को कंट्रोल करता है। लेकिन जब किसी कारणवश ब्रेन को चोट पहुंचती है या उसका कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसे ब्रेन डैमेज कहा जाता है। यह स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है और व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है। ब्रेन डैमेज अचानक भी हो सकता है, जैसे सड़क हादसे में सिर पर गंभीर चोट लगना, न्यूरोलॉजिकल बीमारी (जैसे अल्जाइमर) या लंबे समय तक ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क को हुआ नुकसान। कई बार लोग इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और जब तक स्थिति गंभीर होती है, तब तक इलाज में देरी हो जाती है। इस लेख में डॉ. मधुकर भारद्वाज, डायरेक्टर एवं एचओडी, न्यूरोलॉजी, आकाश हेल्थकेयर (Dr. Madhukar Bhardwaj, Director & HOD, Neurology, Aakash Super Speciality Hospital) से जानिए, ब्रेन डैमेज के लक्षण क्या हैं?
ब्रेन डैमेज के लक्षण और संकेत - What are the Symptoms Of Damaged Brain
डॉ. मधुकर भारद्वाज बताते हैं कि ब्रेन डैमेज के लक्षण चोट की गंभीरता और प्रभावित मस्तिष्क के हिस्से पर निर्भर (How do you know you have brain damage) करते हैं।
1. शारीरिक लक्षण
जब किसी व्यक्ति का ब्रेन डैमेज होता है तो उसके शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या लकवा या चलने में समस्या हो सकती है। इसके अलावा सुन्नता, अचानक सिरदर्द या लगातार सिरदर्द, दौरे पड़ना या झटके आना, थकान या कमजोरी महसूस होना, आंखों का ठीक से न मूव करना, दूध पीने या निगलने में समस्या, अनावश्यक रोना या चुप रहना, बेहोशी या होश खोना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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2. मनोवैज्ञानिक लक्षण
जब किसी व्यक्ति का ब्रेन डैमेज होता है तो याददाश्त कमजोर होना, खासकर हाल की बातों को याद न रखना जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। इसके अलावा सोचने और निर्णय लेने में दिक्कत, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, भ्रमित या चक्कर आना, भाषा बोलने या समझने में कठिनाई, व्यवहार में बदलाव, जैसे अचानक गुस्सा आना या उदास रहना, नींद में बदलाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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3. भावनात्मक और व्यवहार संबंधी लक्षण
ब्रेन डैमेज की स्थिति में व्यक्ति के भावनात्मक और व्यवहार में भी बदलाव नजर आते हैं। इससे चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन, सामाजिक व्यवहार में बदलाव और चिंता या घबराहट महसूस होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
ब्रेन डैमेज के प्रमुख कारण
1. ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरी
सड़क दुर्घटना, गिरना, हिंसा या खेल के दौरान सिर पर गंभीर चोट।
2. स्ट्रोक
जब मस्तिष्क में ब्लड प्रवाह बाधित होता है या ब्लीडिंग होती है।
3. ऑक्सीजन की कमी
शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण भी ब्रेन डैमेज की स्थिति हो सकती है।
4. इंफेक्शन
मस्तिष्क में वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन।
5. न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां
अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी गंभीर बीमारियों में ब्रेन डैमेज की स्थिति हो सकती है।
ब्रेन डैमेज की जांच कैसे होती है?
CT Scan या MRI: मस्तिष्क की संरचना देखने के लिए
Neurological Exam: रिफ्लेक्स, संतुलन, दृष्टि और मानसिक स्थिति की जांच
Cognitive Tests: सोचने, याद रखने और बोलने की क्षमता की जांच
EEG: मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी जांचने के लिए
निष्कर्ष
ब्रेन डैमेज एक गंभीर स्थिति है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं पर पड़ता है। शुरुआती लक्षणों को पहचानना और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। सही इलाज से कई मामलों में व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। इसलिए यदि किसी को अचानक सिरदर्द, भ्रम, कमजोरी या अन्य ब्रेन डैमेज के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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FAQ
दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिए?
दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए बैलेंस लाइफस्टाइल और सही आदतें अपनाना जरूरी है। रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें ताकि दिमाग को आराम मिल सके। बैलेंस डाइट जैसे हरी सब्जियां, फल, नट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें खाएं। रोजाना एक्सरसाइज या योग करने से मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। किताबें पढ़ें, पहेलियां हल करें और नया सीखने की कोशिश करें।कमजोर दिमाग के लक्षण क्या हैं?
कमजोर दिमाग के लक्षणों को पहचानना जरूरी है ताकि समय रहते ध्यान दिया जा सके। इसके सामान्य लक्षणों में भूलने की आदत बढ़ जाना, नई चीजें सीखने में कठिनाई, ध्यान केंद्रित न कर पाना, बार-बार एक ही बात पूछना, निर्णय लेने में परेशानी, और सोचने-समझने की गति का धीमा होना शामिल है। इसके अलावा व्यक्ति भावनात्मक रूप से चिड़चिड़ा या उदास भी रहने लग सकता है। अगर ये लक्षण लगातार बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।कमजोर दिमाग को मजबूत कैसे करें?
कमजोर दिमाग को मजबूत करने के लिए सही खानपान, डेली रूटीन और मानसिक एक्सरसाइज बेहद जरूरी हैं। दिमागी ताकत बढ़ाने के लिए बादाम, अखरोट, ब्राह्मी, शंखपुष्पी और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त डाइट लें। रोजाना योग और प्राणायाम करें, खासतौर पर अनुलोम-विलोम और ध्यान (मेडिटेशन) से मस्तिष्क को गहरा आराम मिलता है। दिमागी एक्टिविटीज जैसे पहेलियां हल करना, किताब पढ़ना, नई भाषा या स्किल सीखना भी फायदेमंद होता है। पर्याप्त नींद और तनाव से दूरी भी दिमाग को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।