आजकल लोगों का रुझान प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक उपचारों की ओर बढ़ता जा रहा है। जब बात त्वचा की देखभाल की आती है, तो लोग ज्यादातर बाजार में मिलने वाले स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये प्रोडक्ट्स कभी-कभी त्वचा को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। ऐसे में आयुर्वेद में वर्णित प्राकृतिक औषधियां सबसे अच्छा और सुरक्षित विकल्प हो सकती हैं। इन्हीं प्राकृतिक औषधियों में से एक है वटांकुर, यानी बरगद की कोंपल, जिसका उपयोग प्राचीन काल से त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता रहा है। बरगद की जड़ें, छाल, पत्ते और कोंपलें सभी किसी न किसी रूप में लाभकारी होती हैं। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, त्वचा के लिए वटांकुर (बरगद की कोंपल) के फायदे क्या-क्या हैं।
त्वचा के लिए वटांकुर (बरगद की कोंपल) के फायदे - Banyan Leaf Buds Benefits For Skin
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि बरगद के पेड़ की जड़ें, छाल, पत्ते और कोंपलें सभी किसी न किसी रूप में लाभकारी होती हैं। खासकर वटांकुर, यानी इसकी नन्ही कोंपलें, कई त्वचा समस्याओं के इलाज में मददगार होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, वटांकुर में शीतल (ठंडा), कषाय रस (कसैला स्वाद) और ग्राही गुण होते हैं, जो त्वचा को निखारने, पिग्मेंटेशन कम करने और चर्म रोगों के इलाज में सहायक होते हैं।
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1. त्वचा पर निखार
वटांकुर में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और खनिज तत्व होते हैं, जो त्वचा को निखारने में मदद करते हैं। यह डेड स्किन सेल्स को हटाने में सहायक होता है और त्वचा को चमकदार और सॉफ्ट बनाता है।
2. पिग्मेंटेशन कम करे
पिग्मेंटेशन, यानी त्वचा के विभिन्न हिस्सों का गहरा रंग, एक सामान्य समस्या है जो सूरज की किरणों, हार्मोनल बदलावों या अन्य कारणों से हो सकती है। वटांकुर का उपयोग त्वचा के पिग्मेंटेशन को कम करने में मदद करता है और त्वचा के रंग को समान बनाता है। यह प्राकृतिक उपाय त्वचा को हानिकारक केमिकल्स से बचाता है और उसे हेल्दी बनाता है।
3. कफ-पित्त को संतुलित करना
आयुर्वेद के अनुसार, वटांकुर का उपयोग कफ और पित्त दोषों को संतुलित करने के लिए किया जाता है। यह दोनों दोष त्वचा की समस्याओं को बढ़ाते हैं, जैसे कि मुंहासे, सूजन, खुजली और अन्य समस्याएं। वटांकुर का सेवन या बाहरी उपयोग कफ और पित्त को कंट्रोल करके इन समस्याओं से राहत दिलाता है।
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4. चर्म रोगों का इलाज
वटांकुर का उपयोग चर्म रोगों, जैसे कि एक्जिमा, सोरायसिस, फंगल इंफेक्शन और खुजली के इलाज में किया जाता है। इसका एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण त्वचा पर बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोकता है और त्वचा को हेल्दी रखता है।
5. जख्मों पर उपयोग
बरसात के दिनों में अक्सर पैरों की उंगलियों पर जख्म या त्वचा में फटने जैसी समस्याएं होती हैं, जिनके लिए वटांकुर का बाहरी उपयोग बेहद लाभकारी होता है। इसे जख्मों पर लगाने से सूजन कम होती है और घाव जल्दी ठीक होते हैं। यह त्वचा को शीतलता और ठंडक प्रदान करता है, जिससे दर्द में आराम मिलता है।
वटांकुर का उपयोग कैसे करें? - How To Use Vatankur
बरगद का पेड़ आपको आसानी से अपने आसपास मिल जाएगा। खासकर पार्कों में यह देखा जाता है। इसकी कोमल कोंपलें निकालकर त्वचा पर लेप बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह न केवल सस्ता बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक उपाय भी है। वटांकुर की कोंपलें लेकर इन्हें अच्छे से कूट लें और पानी में मिलाकर लेप तैयार करें। इसे त्वचा पर लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर पानी से धो लें।
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