इन 10 कारणों से बढ़ता है किडनी की पथरी (किडनी स्टोन) का खतरा, डॉक्टर से जानें इनसे बचाव के लिए क्या करें

किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी) की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, एक्सपर्ट डॉक्टर से जानें इसके जोखिम कारक और बचाव के बारे में। 
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इन 10 कारणों से बढ़ता है किडनी की पथरी (किडनी स्टोन) का खतरा, डॉक्टर से जानें इनसे बचाव के लिए क्या करें

किसी भी बीमारी के बारे में इंसान का जागरूक होने बहुत जरूरी है। जब हम बीमारी के बारे में जागरूक होते हैं तो उसके शुरूआती लक्षणों को पहचान कर समय पर उसका इलाज कराने में सक्षम हो पाते हैं। किसी भी बीमारी के जोखिम कारकों (Risk Factors) के बारे में भी जानने से हमें उस बीमारी के शुरूआती लक्षणों को पहचानने में मदद मिलती है जिसकी वजह से हम उस बीमारी से बचाव के कदम उठा सकते हैं। किसी भी बीमारी के जोखिम के बारे में जानकारी होने से आप उसकी गंभीरता को भी कम करने में सफल हो सकते हैं। हमारे देश में किडनी स्टोन के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में हमें इस बीमारी के जोखिम कारकों के बारे में जानना बहुत जरूरी है ताकि हम-आप इस बीमारी से बच सकें। गुर्दे की पथरी यानी किडनी स्टोन के प्रमुख जोखिम कारकों के बारे में बता रहे हैं दिल्ली एनसीआर के प्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर नितिन श्रीवास्तव (Dr. Nitin Shrivastava)। आइये जानते हैं किडनी स्टोन के प्रमुख जोखिम के बारे में। 

किडनी स्टोन के 10 जोखिम कारक (10 Risk Factors of Kidney Stones)

डॉ नितिन के मुताबिक किसी भी व्यक्ति में किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी के 10 प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।

1. आनुवांशिक या पारिवारिक इतिहास की वजह से (Family History or Genetics)

लोगों में किडनी स्टोन होने की समस्या के पीछे सबसे बड़ा कारण इस बीमारी का आनुवंशिक या पारिवारिक इतिहास है। आपके गुणसूत्र या जेनेटिक्स शरीर के अंदर मौजूद लिक्विड या पेशाब को प्रभावित करते हैं। जिन व्यक्तियों को किडनी स्टोन की समस्या होती है उनकी यूरिन केमिस्ट्री दूसरे लोगों की तुलना में अलग होती है। आनुवंशिक कारणों से आपके शरीर में किडनी स्टोन का निर्माण हो सकता है, जेनेटिक्स की वजह से आपके यूरिन में मौजूद साल्ट की वजह से आपके शरीर में किडनी स्टोन का निर्माण हो सकता है। किडनी स्टोन की समस्या में आमतौर पर शरीर में मौजूद घुलनशील केमिकल क्रिस्टल के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं और यही किडनी स्टोन का रूप ले लेते हैं। शरीर में यूरिन टेंडेंसी के लिए भी आपकी आनुवंशिकी काफी हद तक जिम्मेदार होती है लेकिन किडनी स्टोन के लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार माने जाते हैं। आपके शरीर में यूरिन की अम्लीयता या क्षारीयता आनुवंशिकी द्वारा निर्धारित होती है। इसके अलावा क्रोमोसोम भी यूरिन में मौजूद कुछ पदार्थों के उत्सर्जन में प्रमुख भूमिका निभाता है जो आपको किडनी स्टोन से बचाने में सहायक हो सकते हैं जैसे साइट्रेट और कई अन्य यौगिक। तो इस प्रकार से अगर आपका किडनी स्टोन का पारिवारिक इतिहास है तो दूसरों की अपेक्षा आपको किडनी स्टोन का खतरा अधिक होता है।

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2. मोटापे के कारण किडनी स्टोन की समस्या (Obesity)

अधिक वजन वाले लोगों में सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा यूरिन अधिक अम्लीय होता है। मोटापे की समस्या से ग्रसित व्यक्ति के यूरिन में यूरिक एसिड और कैल्शियम अधिक उत्सर्जित होता है जो किडनी स्टोन का कारण बनता है। इसलिए अधिक वजन वाले लोगों में या मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों को किडनी स्टोन होने का खतरा अधिक होता है।

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3. डायबिटीज की समस्या में (Diabetes)

किडनी स्टोन को लेकर हुए कई शोधों से पता चला है कि डायबिटीज की समस्या से ग्रसित मरीजों में, विशेष रूप से अनियंत्रित ब्लड शुगर की समस्या वाले मरीजों के यूरिन में एसिड की मात्रा नॉन-डायबिटिक लोगों की तुलना में अधिक होता है। यूरिक एसिड के असामान्य उत्सर्जन और किडनी द्वारा एसिड और क्षारीय भार को सही तरह से मैनेज न कर पाने के पीछे कई अन्य कारण भी होते हैं। इनकी वजह से डायबिटीज के रोगियों में भी किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है।

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4. डिहाइड्रेशन (Dehydration)

किडनी स्टोन की समस्या में शरीर में मौजूद पानी की मात्रा भी सबसे आम और महत्वपूर्ण जोखिम करक है। सामान्य इंसान की तुलना में जो व्यक्ति डिहाइड्रेशन की समस्या से ग्रसित होते हैं उनके शरीर में यूरिन का निर्माण बहुत कम होता है और उनके यूरिन में साल्ट्स अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं। उच्च सांद्रता के कारण यूरिन में मौजूद साल्ट्स ही क्रिस्टल के रूप में किडनी में इकठ्ठा होते हैं और किडनी स्टोन का रूप ले लेते हैं। जैसे-जैसे एक व्यक्ति अधिक मात्रा में तरल पदार्थ या पानी पीता है उसका यूरिन पतला होने लगता है और उसके यूरिन में मौजूद साल्ट्स का क्रिस्टल के रूप में परिवर्तित होने की प्रवृत्ति कम हो जाती है जिसके कार किडनी स्टोन का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा अगर ये क्रिस्टल, स्टोन का रूप नहीं लेते हैं तो ये पेशाब के रस्ते से बाहर निकल जाते हैं। इसलिए डिहाइड्रेशन में व्यक्ति को किडनी स्टोन होने का खतरा रहता है।

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5. जंक फूड्स का सेवन (Junk Foods)

हाई कैलोरी और हाई साल्ट फूड्स का सेवन करने से आपको किडनी स्टोन का जोखिम हो सकता है। अगर आप रोजाना अपने भोजन में जंक फूड्स का सेवन करते हैं, खासकर जिसमें नमक और शुगर की मात्रा अधिक होती है तो आपको किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है। आपके भोजन में चीनी और नमक की मात्रा बढ़ने से आपके यूरिन में साल्ट बनाने वाले केमिकल अधिक मात्रा में उत्सर्जित होते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से किडनी स्टोन बनाने का काम करते हैं।

6.  हार्मोनल असंतुलन या हाइपरपरथायरायडिज्म (Hormonal Imbalance - Hyperparathyroidism)

शरीर में थायरॉइड ग्रंथि के पास एक ग्रंथि होती है जिसे पैराथाइरॉइड ग्रंथि कहा जाता है। इस पैराथाइरॉइड ग्रंथि का काम ब्लड में मौजूद कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करना होता है। जब इस पैराथाइरॉइड ग्रंथि में कुछ असामान्यता आती है तो ब्लड में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से यूरिन में कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ जाता है और ये किडनी स्टोन बनाने के खतरे को बढ़ा देता है। अगर आपको किडनी स्टोन है और आपके खून में कैल्शियम का स्तर अधिक है तो संभावना है कि यह आपकी पैराथायरायड ग्रंथि हाइपर फंक्शन कर रही है।

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7. आंत की सर्जरी (Intestinal Surgery)

जिन लोगों को आंत की सर्जरी या बैरिएट्रिक सर्जरी से गुजरना पड़ा है ऐसे लोगों में किडनी स्टोन का खतरा सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक होता है। ऐसा किडनी स्टोन को बनाने के लिए जिम्मेदार केमिकल्स का अवशोषण सही ढंग से न होने की वजह से होता है। सामान्य लोगों में किडनी स्टोन के लिए जिम्मेदार केमिकल ऑक्सालेट (जो कि भोजन में मौजूद होता है) मल के द्वारा उत्सर्जित होता है। लेकिन जिन लोगों की आंत या वजन कम करने की सर्जरी हुई है उनमें ऑक्सालेट अधिक मात्रा में अवशोषित हो जाता है और इसकी वजह से ब्लड में ऑक्सालेट बढ़ जाता है और यूरिन में ये अधिक मात्रा में उत्सर्जित होता है। इस वजह से ऐसे लोगों में किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है।

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8. पुरानी दस्त (Chronic Diarrhoea)

पुरानी दस्त या कुअवशोषण से पीड़ित व्यक्तियों में सामान्य लोगों की तुलना में किडनी स्टोन का जोखिम अधिक होता है। सामान्य व्यक्तियों में आंत से ऑक्सालेट का अवशोषण सामान्य रूप से होता है जो फैटी एसिड के साथ मिल जाते हैं और मल में उत्सर्जित हो जाते हैं। लेकिन पुराने दस्त वाले रोगियों में इसका अवशोषण बढ़ जाता है।

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9. बार-बार यूटीआई की समस्या होने पर (Recurrent UTI)

चिकित्सा अनुसंधान में यह पाया गया है कि जिन रोगियों को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होता है उनके यूरिन की रासायनिक प्रकृति बैक्टीरिया के संपर्क में आने के कारण बदल जाती है। बार-बार होने वाले यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से पेशाब की रासायनिक प्रकृति लंबे समय तक बदल सकती है जो एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक क्षारीय हो जाता है। पेशाब में अधिक क्षारीयता के कारण किडनी स्टोन का निर्माण होता है जिन्हें फॉस्फेट स्टोन या संक्रमण स्टोन कहते हैं। 

10. यूरिन ट्रैक्ट में ऐनाटॉमिकल या फंक्शनल असामान्यता होने पर (Any Anatomical and Functional Abnormality of Urinary Tract)

किसी भी व्यक्ति जिसको यूरिन ट्रैक्ट में शारीरिक या संरचनात्मक असामान्यता होती है उसे पेशाब कम मात्रा में निकलता है और यह अलग-अलग जगहों पर पूलिंग करता है, इसकी वजह से पेशाब में साल्ट की मात्रा बढ़ जाती है। ठीक इसी प्रकार जब यूरिन ट्रैक्ट में कार्यात्मक असामान्यता होने कारण पेशाब का निष्कासन बाधित होता है तब भी यही समस्या होती है। पेल्विक्यूरेटिक जंक्शन ऑब्स्ट्रक्शन और प्रोस्टेटिक एन्लार्ग्मेंट जैसी सामान्य संरचनात्मक असमान्यता की वजह से स्टोन का निर्माण हो सकता है। सामान्य कार्यात्मक असामान्यता जो स्टोन ए बनने का कारण बन सकती है उसे न्यूरोजेनिक मूत्राशय के रूप में जाना जाता है जो मूत्राशय की सिकुड़न को प्रभावित करता है।

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ये जोखिम करक किसी भी व्यक्ति में किडनी स्टोन के खतरे को बढ़ा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से एक से अधिक समस्याएं हैं तो उसे किडनी स्टोन का खतरा और बढ़ जायेगा। इन जोखिम कारकों के अलावा यदि किसी व्यक्ति को किशोरावस्था या बचपन में पहली बार किडनी स्टोन हुआ है, या किसी व्यक्ति को कई किडनी स्टोन हैं या यदि स्टोन दोनों किडनी में मौजूद हैं, तो बार-बार पथरी बनने की संभावना अधिक होती है। इन जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता निश्चित रूप से किडनी स्टोन की संभावना को कम करने में आपकी मदद कर सकती है। इनमें से अधिकांश जोखिम कारक खानपान से जुड़ी आदतों, मोटापा और डिहाइड्रेशन हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है। बाकि अन्य खतरों को इलाज के द्वारा कम किया जा सकता है। आनुवंशिक जोखिम के अलावा अगर आको इनमें से कोई भी समस्या है तो इसे ठीक करने का प्रयास करने से आपको किडनी स्टोन का खतरा कम हो जायेगा।

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