फैटी लिवर और हेपेटाइटिस में क्या अंतर है? फैटी लिवर हेपेटाइटिस दाेनाें लिवर की गंभीर बीमारियां हैं। ये खराब जीवनशैली और खान-पान गलत आदताें के कारण व्यक्ति काे अपनी चपेट में लेता है। इनमें लिवर धीरे-धीरे अपने कार्य करने की क्षमता में असमर्थ हाे जाता है। देश में लाखाें लाेग हेपेटाइटिस और फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं हजाराें, लाखाें लाेग इन बीमारियाें से अपनी जान भी गंवाते हैं। लेकिन इन दाेनाें में से अधिक खतरनाक कौन-सी बीमारी है? हेपेटाइटिस और फैटी लिवर के बीच के अंतर काे जानने के लिए हमने सलाहकार-मेडिकल गैस्ट्राेएंटेराेलॉजिस्ट डॉक्टर रविशंकर टाटा से बातचीत की-
फैटी लिवर क्या है? (What is Fatty Liver)
जब लिवर की काेशिकाओं या सेल्स में अधिक मात्रा में फैट जमा हाे जाता है, ताे इस स्थिति काे फैटी लिवर कहा जाता है। दरअसल, लिवर में वसा या फैट का हाेना सामान्य है, लेकिन जब लिवर में 10 प्रतिशत से फैट बढ़ जाता है ताे इसे फैटी लिवर कहते हैं। इस अवस्था में लिवर सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता है।
फैटी लिवर दाे प्रकार के हाेते हैं- इसमें एल्काेहॉलिक फैटी लिवर और नॉन एल्काेहॉलिक फैटी लिवर शामिल हैं। एल्काेहॉलिक फैटी लिवर की समस्या उन लाेगाें में देखने काे मिलती है, जाे शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करते हैं। इसके अलावा नॉन एल्काेहॉलिक फैटी लिवर वसायुक्त भाेजन और खराब जीवनशैली की वजह से हाेता है। डायबिटीज और माेटापा फैटी लिवर का कारण बनता है।
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फैटी लिवर के लक्षण (Symptoms of Fatty Liver)
- पेट के दाएं भाग के ऊपरी हिस्से में दर्द हाेना
- वजन कम हाेना
- कमजाेरी और थकान महसूस हाेना
- आंखाें और त्वचा में पीलापन दिखाई देना
- पाचन तंत्र का सही से कार्य न करना
- एसिडिटी, पेट में जलन आदि
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हेपेटाइटिस क्या है (What is Hepatitis)
हेपेटाइटिस क्या है? हेपेटाइटिस लीवर की एक गंभीर बीमारी है। इसकी वजह से देश में कई लाेगाें की जान चली जाती है। भारत में हेपेटाइटिस की वजह से लिवर की बीमारी सबसे अधिक हाेती है। हेपेटाइटिस में लिवर में सूजन आ जाती है। इसके वायरस पांच तरह के हाेते हैं- इसमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई शामिल हैं। हेपेटाइटिस लिवर सिराेसिस और लिवर कैंसर का भी कारण बनता है। हेपेटाइटिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है, इसलिए इसे वायरल हेपेटाइटिस भी कहा जाता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण (Hepatits Symptoms)
- त्वचा और आंखाें का रंग पीला पड़ना
- पेशाब का रंग गहरा हाेना
- अत्यधिक थकान और कमजाेरी महसूस हाेना
- भूख न लगना
- लगातार वजन कम हाेना
- उल्टी और मतली
- त्वच में खुजली और खुरदुरापन
- पेट में दर्द और सूजन
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हेपेटाइटिस और फैटी लिवर में से अंतर
सलाहकार-मेडिकल गैस्ट्राेएंटेराेलॉजिस्ट डॉक्टर रविशंकर टाटा बताते हैं कि फैटी लिवर, लिवर में वसा का जमाव होता है। यह अधिक वजन, मधुमेह, कुछ दवाओं या अन्य आनुवंशिक कारकों के कारण होता है। एक साधारण फैटी लिवर आपातकालीन समस्या का कारण नहीं बनता है। इसे वजन काे नियंत्रित करके प्रबंधित किया जा सकता है। आजकल 100 में से हर 35-40 लोगों को फैटी लिवर की समस्या होती है।
वहीं दूसरी तरफ हेपेटाइटिस संक्रमण या चोट के कारण लिवर के ऊतकों की सूजन है। जब एक फैटी लिवर हेपेटाइटिस से जुड़ा होता है, तो इससे लीवर सिरोसिस हो सकता है। इसे एनएएसएच कहा जाता है। हेपेटाइटिस ए और ई स्व-सीमित हैं, जिसमें रोगी 6 सप्ताह के लिए पीलिया से पीड़ित हाेता है और आमतौर पर ठीक हो जाता है। जबकि हेपेटाइटिस बी और सी क्रॉनिक होते हैं, जिससे सिरोसिस और लीवर कैंसर भी होता है। हेपेटाइटिस डायबिटीज राेगियाें में भी देखने काे मिलती है।
हेपेटाइटिस और फैटी लिवर में से क्या है अधिक खतरनाक?
डॉक्टर रविशंकर टाटा बताते हैं कि फैटी लिवर और हेपेटाइटिस दोनों के विशिष्ट शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए इस पर अकसर किसी का ध्यान तब तक नहीं जाता है, जब तक कि क्राेनिक नहीं बन जाती हैं। इसलिए आपकाे नियमित रूप से पूर्ण शरीर की जांच करवाते रहना चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में इन दाेनाें बीमारियाें का इलाज संभव है। फैटी लिवर और हेपेटाइटिस दाेनाें के प्रारंभिक अवस्था में इलाज संभव है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर समस्या गंभीर हाे सकती है।
लेकिन अगर किसी व्यक्ति काे फैटी लिवर और हेपेटाइटिस दाेनाें एक साथ हाेता है, ताे यह लिवर कैंसर और लिवर सिराेसिस का कारण बन सकता है। यह स्थिति मरीज के लिए जानलेवा भी हाे सकती है।
(Main Image Source :Sunnews.cc, Brainstudy.info)
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