
सुबह के नाश्ते में हल्का और स्वादिष्ट विकल्प ढूंढ रहे हैं तो चिवड़ा या पोहा एक अच्छा विकल्प बन जाता है। लगभग हर भारतीय घर में यह नाश्ता फेमस है, क्योंकि इसे जल्दी तैयार किया जा सकता है और इसका स्वाद सभी को भाता है, लेकिन कई लोगों को इसके सेवन के बाद कब्ज की शिकायत हो जाती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि इसका मुख्य कारण यह है कि चिवड़ा पचाने में कठिन होता है और इसमें मौजूद तेल और मसाले पाचन तंत्र पर अतिरिक्त बोझ डाल सकते हैं। कई लोग नाश्ते में चिवड़ा खाते समय यह सोचते हैं कि हल्का और फायदेमंद भोजन ले रहे हैं, लेकिन अगर इसे सही तरीके से न खाया जाए तो यह कब्ज और पेट की अन्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, चिवड़ा खाने का सही तरीका क्या है?
चिवड़ा खाने का सही तरीका क्या है? - What is the right way to eat chivda
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की अग्नि यानी पाचन शक्ति और भोजन के प्रकार का गहरा संबंध है। अगर पाचन शक्ति कमजोर है या शरीर को भारी भोजन दिया जाता है, तो कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। चिवड़ा और पोहा, विशेषकर जब तेल में तला जाए, पेट पर भारी पड़ सकते हैं। इससे कब्ज, पेट में भारीपन और गैस जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।
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डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार चिवड़ा खाने के कुछ सही तरीके अपनाकर इसे पचाना आसान बनाना संभव है। पहला तरीका यह है कि चिवड़े को भूनकर सूखा बनाकर खाया जाए। सूखा चिवड़ा पचाने में आसान होता है और इसमें तेल की मात्रा कम होती है। दूसरा तरीका यह है कि चिवड़े को दूध या दही के साथ खाया जाए। दही पाचन में मदद करता है और इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स कब्ज को रोकने में मददगार होते हैं।
इसके अलावा, चिवड़ा खाने के साथ गुनगुना पानी या हल्का हर्बल टी पीना भी लाभकारी माना गया है। इससे पाचन तंत्र एक्टिव रहता है और भोजन जल्दी पचता है। अगर आप सुबह नाश्ते में चिवड़ा खाने की सोच रहे हैं, तो इसे हल्का और संतुलित मात्रा में खाना सबसे अच्छा विकल्प है।
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कब्ज होने के अन्य कारण
कब्ज केवल चिवड़े के कारण नहीं होती। आयुर्वेद के अनुसार, अनियमित भोजन, पानी की कमी, तनाव और नींद की कमी जैसी आदतें भी कब्ज का कारण बन सकती हैं। इसके साथ ही ज्यादा तला-भुना और मसालेदार भोजन लेने से पाचन धीमा पड़ सकता है। इसलिए नाश्ते में चिवड़ा खा रहे हैं तो शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार मात्रा तय करें।
निष्कर्ष
चिवड़ा या पोहा स्वाद में लाजवाब होने के बावजूद पाचन के लिहाज से कुछ लोगों के लिए मुश्किल साबित हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार इसे भूनकर, सूखा या दही/दूध के साथ खाने से कब्ज से बचा जा सकता है। साथ ही पर्याप्त पानी पीना, फाइबर युक्त आहार लेना और नियमित लाइफस्टाइल अपनाना भी जरूरी है। इस तरह न केवल चिवड़ा का स्वाद लिया जा सकता है, बल्कि पाचन तंत्र भी स्वस्थ और संतुलित रहता है।
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FAQ
चिवड़ा खाने से वजन बढ़ता है क्या?
यदि ज्यादा मात्रा में तेल और तला हुआ चिवड़ा खाया जाए तो वजन बढ़ सकता है। हल्का भुना हुआ या दही/दूध के साथ खाया हुआ चिवड़ा सुरक्षित और हेल्दी है।डायबिटीज के मरीज चिवड़ा खा सकते हैं?
डायबिटीज के मरीज हल्का और भुना हुआ चिवड़ा, बिना अतिरिक्त शुगर के कंट्रोल मात्रा में खा सकते हैं। दही या दूध के साथ खाने से इसका ग्लाइसेमिक प्रभाव कम होता है।कब्ज होने पर क्या खाना चाहिए?
फाइबर युक्त आहार जैसे दलिया, ओट्स, हरी सब्जियां, फल कब्ज को कम करने में मदद करते हैं।
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Oct 21, 2025 19:58 IST
Modified By : Akanksha TiwariOct 21, 2025 16:46 IST
Published By : Akanksha Tiwari