नाइट शिफ्ट में काम करना आपकी मजबूरी भी हो सकती है और आपकी पसंद भी। कुछ लोग दिन में ज्यादा एक्टिव महसूस करते हैं और कुछ लोग रात में। संभव है कि आप जानते हों या आपने खुद महसूस किया हो कि नाइट शिफ्ट में लंबे समय तक काम करना आपकी सेहत पर कई तरह से असर डालता है। इसके कारण आपकी नींद, भूख और पाचन तो प्रभावित होते ही हैं। लेकिन हाल में हुई एक स्टडी में एक नई बात सामने आई है।
जी हां, Mayo Clinic Proceedings में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उनमें किडनी की पथरी (Kidney Stone) होने का खतरा सामान्य लोगों से 15% ज्यादा होता है। ये स्टडी उन लाखों लोगों के लिए एक चेतावनी हो सकती है, जो ऐसी ड्यूटी करते हैं।
स्टडी में क्या आया सामने?
इस रिसर्च के लिए UK Biobank के 2,20,000 से ज्यादा लोगों का डेटा करीब 13.7 साल तक ट्रैक किया गया। स्टडी में सामने आया कि दिन के बजाय रात में काम करने और दिन में सोने से शरीर का आंतरिक संतुलन बिगड़ता है और इसका असर BMI, फ्लुइड इनटेक (तरल पदार्थ लेने की मात्रा) और बॉडी क्लॉक पर पड़ता है, जिसके कारण किडनी प्रभावित होती है। हालांकि इसी स्टडी में रिसर्चर्स को यह भी पता चला कि जो लोग बहुत लंबे समय से लगातार नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं, उनमें ये खतरा कम होता है क्योंकि उनके शरीर ने उनकी दिनचर्या को स्वीकार कर लिया है। लेकिन जो लोग थोड़े समय नाइट शिफ्ट और फिर डे शिफ्ट में काम करते हैं, उनमें ये खतरा ज्यादा है।
नाइट शिफ्ट कैसे सेहत पर असर डालता है?
नाइट शिफ्ट का सेहत पर क्या असर होता है, इस बारे में नवी मुंबई के फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग में कंसल्टेंट डॉ प्रशांत पवार ने ओनलीमायहेल्थ से एक अन्य लेख के संदर्भ में बताया है, “नाइट शिफ्ट वर्कर वे लोग होते हैं, जो सामान्य दिन के समय (सुबह से शाम) के बजाय रात में काम करते हैं, आमतौर पर शाम 6 बजे से सुबह 7 बजे तक। इस वजह से उनकी बॉडी की प्राकृतिक जैविक घड़ी (सर्केडियन रिद्म) बिगड़ जाती है, जिससे नींद का चक्र प्रभावित होता है और दिल की बीमारी, पेट की समस्या, कई तरह के कैंसर और प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। नाइट शिफ्ट में काम करने वालों में अक्सर "नॉन-डिपिंग हाइपरटेंशन" देखा जाता है, यानी रात में ब्लड प्रेशर सामान्य रूप से कम नहीं होता। इसके अलावा, उनमें ट्राइग्लिसराइड्स (खून में फैट) का स्तर ज्यादा पाया जाता है और शुगर कंट्रोल करने की क्षमता घट जाती है, जिससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।”
नाइट शिफ्ट का किडनी पर असर
नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने नाइट शिफ्ट के किडनी पर असर के कुछ कारण बताए हैं, जो इस प्रकार हैं।
1. बॉडी क्लॉक का बिगड़ना (Circadian disruption)
हमारे शरीर में जैविक रूप से ही अपनी एक क्लॉक यानी घड़ी है, जिसे बॉडी क्लॉक या सर्केडियन रिद्म कहते हैं। ये शरीर को दिन या रात का पता बताती है और उसी अनुसार शरीर के इंटरनल सिस्टम को काम करने के निर्देश देती है। इसका मुख्य काम शरीर में पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स, बॉडी टेम्परेचर आदि का संतुलन है। जब आप रात में जागते हैं, तो यह घड़ी गड़बड़ हो जाती है और किडनी पर दबाव बढ़ जाता है।
2. पानी कम पीना
रात की ड्यूटी में अक्सर लोग पर्याप्त पानी नहीं पीते क्योंकि रात में ज्यादातर मौसम ठंडा होता है और कम प्यास लगती है। इससे डिहाइड्रेशन होता है, पेशाब ज्यादा कंसंट्रेटेड होता है और क्रिस्टल बनने की संभावना बढ़ जाती है।
3. असंतुलित खान-पान
यह भी देखा गया है कि नाइट शिफ्ट के दौरान आप अगर हैवी चीजें खाते हैं, खासकर प्रॉसेस्ड या पैकेटबंद स्नैक्स, जिनमें नमक, कार्बोहाइट्रेड और ऑयल की मात्रा ज्यादा होती है, तो ऐसे फूड्स भी किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
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4. अनियमित नींद
रात में जागने वाले दिन में सोकर नींद पूरी तो करते हैं, लेकिन ये नींद शरीर के सिस्टम के लिए वैसी नींद नहीं होती, जैसी रात में होती है। ऐसी नींद से हार्मोन्स को असंतुलन हो सकता है और किडनी पर असर पड़ता है।
5. BMI ज्यादा होना
अध्ययन में BMI (Body Mass Index) को भी एक बड़ा कारक माना गया है। जिन लोगों का वजन अधिक है, उनमें शिफ्ट वर्क और बढ़ा हुआ वजन मिलकर जोखिम और बढ़ा सकते हैं।
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बचाव के लिए क्या कर सकते हैं आप?
अगर नाइट शिफ्ट में काम करना आपकी मजबूरी है और आप ऊपर बताई गई शारीरिक समस्याओं से बचना चाहते हैं, तो कुछ छोटे-छोटे उपाय आपके काम आ सकते हैं। हालांकि ये उपाय आपकी बीमारी के जोखिम को पूरी तरह कम कर देंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
- पानी खूब पिएं: हर घंटे थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें और पेशाब जाते रहें। अगर पेशाब का रंग पीला लग रहा है, तो आपको और ज्यादा पानी पीने की जरूरत है।
- खानपान अच्छा रखें: नमक, प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट का सेवन कम करें। इसके बजाय हेल्दी स्नैक्स हरी सब्जियां और फाइबर आदि को डाइट में शामिल करें।
- अच्छी और गहरी नींद लें: अगर आप दिन में सोते हैं, तो कोशिश करें कि सोने वाली जगह पर अंधेरा हो और कमरा शांत हो, ताकि आपको बिना किसी दखल के अच्छी और गहरी नींद आए।
- वजन कंट्रोल में रखें: अगर आपका वजन ज्यादा है, तो इसे कंट्रोल करना और धीरे-धीरे कम करना बेहद जरूरी है। स्टडी में भी यही बात सामने आई है कि ज्यादा वजन और नाइट शिफ्ट वर्क मिलकर शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- ब्रेक लें और एक्टिव रहें: काम के बीच छोटे-छोटे अंतराल पर ब्रेक लेकर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या वॉक जरूर करें। देर तक एक ही जगह पर बैठे रहना सही नहीं।
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बॉडी चेकअप कराते रहें: नाइट शिफ्ट में काम करने वालों को अपना फुल बॉडी चेकअप थोड़े-थोड़े समय में कराते रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है।
कुल मिलाकर नाइट शिफ्ट में काम करने वालों को अपने सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। अगर कोई समस्या महसूस हो रही है, तो इसके शुरुआती छोटे संकेतों को नजरअंदाज करने या “आगे देखेंगे” कहकर टालने के बजाय, डॉक्टर से मिलकर बात करना जरूरी है।
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Current Version
Oct 01, 2025 20:32 IST
Published By : Anurag Gupta