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क्या नाइट शिफ्ट में काम करने से बांझपन का खतरा बढ़ता है? डॉक्टर से जानें

आज के समय में वर्किंग कल्चर काफी बदल चुका है और काम के दवाब का बुरा असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है। यहां जानिए, क्या नाइट शिफ्ट में काम करने से बांझपन का खतरा (night shift ke nuksan) बढ़ता है?
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क्या नाइट शिफ्ट में काम करने से बांझपन का खतरा बढ़ता है? डॉक्टर से जानें


आज के समय में वर्किंग कल्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, पहले जहां अधिकांश लोग दिन के समय काम करते थे, वहीं अब कई कंपनियों, खासकर मल्टीनेशनल और बीपीओ सेक्टर में 24 घंटे और हफ्ते के 7 दिन काम होता है। इस कारण नाइट शिफ्ट यानी रात की शिफ्ट में काम करने का चलन तेजी से बढ़ा है। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इसका हिस्सा बन चुकी हैं। हालांकि, इस बदलते ट्रेंड के साथ कुछ नई स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आ रही हैं, खासकर महिलाओं के लिए। महिलाओं की जैविक संरचना और हार्मोनल सिस्टम काफी संवेदनशील होता है, जो नींद, खानपान और मानसिक स्थिति से गहराई से प्रभावित होता है। ऐसे में जब कोई महिला नियमित रूप से रात की शिफ्ट में काम करती है, तो उसकी नींद का चक्र, हार्मोन रिलीज और प्रजनन तंत्र प्रभावित हो सकता है। यही वजह है कि कई महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि क्या नाइट शिफ्ट में काम करने से बांझपन का खतरा बढ़ता है?

यह सवाल सिर्फ एक शंका नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य मुद्दा बनता जा रहा है, जिस पर रिसर्च और डॉक्टर्स की राय भी लगातार सामने आ रही है। इस लेख में हम जयपुर में स्थित माहेश्वरी चिकित्सालय की वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ. वंदना भराड़िया (Dr. Vandana Bharadia, Senior Consultant Obstetrics and Gynecology, Maheshwari Hospital, Jaipur) से जानेंगे कि रात की शिफ्ट में काम करने से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है और इस खतरे से बचाव के लिए कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं।

क्या नाइट शिफ्ट में काम करने से बांझपन का खतरा बढ़ता है? - Does Night Shift Cause Infertility Risk

मानव शरीर की एक नेचुरल जैविक घड़ी होती है, जिसे "सर्केडियन रिद्म" कहा जाता है। यह दिन और रात के चक्र के अनुसार शरीर की नींद, भूख, हार्मोन रिलीज और एनर्जी लेवल को कंट्रोल करती है। जब कोई व्यक्ति रात में काम करता है और दिन में सोता है, तो यह सर्केडियन रिद्म गड़बड़ा जाती है। महिलाओं के शरीर में यह गड़बड़ी प्रजनन हार्मोन्स जैसे एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रोन और LH/FSH के लेवल को प्रभावित कर सकती है, जिससे ओव्यूलेशन चक्र बिगड़ सकता है। जो महिलाएं लंबे समय तक नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, उनकी प्रजनन क्षमता में गिरावट देखी गई। रिसर्च में बताया गया कि लगातार रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, ओव्यूलेशन से संबंधित समस्याएं और गर्भधारण में देरी जैसे लक्षण अधिक पाए गए।

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1. तनाव और नींद की कमी भी एक बड़ा कारण

नाइट शिफ्ट का सबसे बड़ा प्रभाव नींद की क्वालिटी पर पड़ता है। जब नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर में कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। यह तनाव हार्मोन ओव्यूलेशन प्रक्रिया में रुकावट डाल सकता है। साथ ही, नींद की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी भी कमजोर होती है, जिससे गर्भधारण की संभावना और कम हो जाती है।

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2. हार्मोन असंतुलन और अनियमित पीरियड्स

नाइट शिफ्ट के दौरान उजाले और अंधेरे के सामान्य क्रम में बदलाव होता है, जिससे मेलाटोनिन जैसे हार्मोन का रिलीज प्रभावित होता है। मेलाटोनिन केवल नींद ही नहीं, बल्कि प्रजनन क्रिया में भी भूमिका निभाता है। मेलाटोनिन की कमी से महिलाओं के मासिक धर्म चक्र यानी पीरियड्स में असंतुलन हो सकता है, जो बांझपन का कारण बन सकता है।

Does Night Shift Cause Infertility

बचाव के उपाय

  • नाइट शिफ्ट के बाद कम से कम 7–8 घंटे की गहरी नींद लेना जरूरी है।
  • योग, मेडिटेशन और हल्की एक्सरसाइज तनाव को कम करने में सहायक हैं।
  • अगर मासिक धर्म यानी पीरियड्स अनियमित हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
  • विटामिन-डी, आयरन, फोलिक एसिड से भरपूर डाइट फर्टिलिटी को बेहतर बनाती है।
  • लंबे समय तक नाइट शिफ्ट से बचें और यदि संभव हो तो दिन और रात की शिफ्ट में संतुलन बनाए रखें।

निष्कर्ष

नाइट शिफ्ट में काम करना आज की जरूरत हो सकती है, लेकिन इसके प्रभावों को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। महिलाओं की फर्टिलिटी पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। समय रहते उचित सावधानी और जागरूकता के साथ इस खतरे को कम किया जा सकता है। यदि आप लंबे समय से नाइट शिफ्ट में हैं और गर्भधारण की योजना बना रही हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। हेल्दी लाइफस्टइल अपनाकर बांझपन के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • नाइट ड्यूटी करने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

    नाइट ड्यूटी करने से शरीर की सर्केडियन रिद्म बिगड़ जाती है, जिससे नींद का चक्र, हार्मोन रिलीज और पाचन तंत्र प्रभावित होते हैं। लगातार रात में जागने से थकान, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। महिलाओं में यह हार्मोनल असंतुलन, अनियमित पीरियड्स और फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा, नाइट शिफ्ट से तनाव, मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
  • नाइट शिफ्ट के क्या नुकसान हैं?

    नाइट शिफ्ट के कई नुकसान होते हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करते हैं। सबसे बड़ा नुकसान नींद की कमी और जैविक घड़ी के बिगड़ने से होता है, जिससे थकावट, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आती है। लंबे समय तक नाइट शिफ्ट में काम करने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, खासकर महिलाओं में फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं, अनियमित पीरियड्स की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, तनाव, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, दिल के रोग और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • 1 दिन में कितने घंटे सोना चाहिए?

    एक हेल्दी वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। पर्याप्त नींद शरीर की मरम्मत, दिमाग की कार्यक्षमता और मानसिक संतुलन के लिए जरूरी होती है। नींद की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान की कमी और इम्यूनिटी में गिरावट आ सकती है। बच्चों को ज्यादा नींद की जरूरत होती है जैसे नवजात शिशु को 14–17 घंटे, छोटे बच्चों को 10–12 घंटे और किशोरों को लगभग 8–10 घंटे।

 

 

 

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