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World Brain Day: नाइट शिफ्ट में काम करने से मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? डॉक्टर से जानें

World Brain Day 2025: आज दुनिया के अन्य देशों की तरह ही भारत में भी नाइट में भी कई शिफ्ट्स चलती हैं। ऐसे में जानते हैं कि नाइट शिफ्ट में काम करने से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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World Brain Day: नाइट शिफ्ट में काम करने से मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? डॉक्टर से जानें


समय के साथ ऑफिस में काम करने घंटों में बदलाव देखने को मिला है। आज के दौर में कई ऑफिस तीन-तीन शिफ्ट में काम किया जाता है। हालांकि देश की उन्नति के लिए यह बदलाव अच्छा माना जा सकता है। क्योंकि इससे जॉब्स की संख्या बढ़ती है। काम के बदलते नेचर में व्यक्ति खुद को इस माहौल में धीरे-धीरे ढाल ही लेता है। लेकिन, जो लोग रात की शिफ्ट में ही काम करना पंसद करते हैं उन्हें लंबे समय के बाद मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। शुरुआत में नाइट शिफ्ट के साथ तालमेल बैठा पाने में मुश्किल होती है। लेकिन, धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाती है। जहां यह जॉब्स आपको फाइनेंशियल स्टेबिलिटी प्रदान करती हैं, वहीं दूसरी ओर यह मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने का कारण बन सकती है। इस लेख में मणिपाल अस्पताल के क्लीनिकल साइकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ सतीश कुमार से जानेंगे कैसे नाइट शिफ्ट मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और इससे निपटने के उपाय क्या हो सकते हैं।

रात की शिफ्ट में काम करने से शरीर में क्या बदलाव होते हैं? - What Changes Occur In The Body Due To Working in Night Shift?

रात की शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारी "सर्केडियन रिद्म" (circadian rhythm) में असंतुलन आने लगता है। यह हमारे शरीर की आंतरिक जैविक घड़ी होती है, जो हमारे सोने और जगाने की प्रक्रिया को नियमित बनाई रखती है। लेकिन, जब आप रात में सोने की जगह काम करते हैं, तो इससे यह सर्केडियन रिद्म प्रभावित होती है, जिससे व्यक्ति को शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव महसूस होते हैं। इससे मानसिक थकान और चीजों को फोकस करने में परेशानी हो सकती है।

नाइट शिफ्ट का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? - What are the Effects Of Night Shifts On Mental Health?

अनिद्रा या नींद की कमी

नाइट शिफ्ट करने वाले अधिकतर लोग दिन में पर्याप्त और गहरी नींद नहीं ले पाते। दिन के समय में रोशनी और शोर की वजह से नींद में रुकावट आती है। जिससे व्यक्ति को डिप्रेशन, तनाव, चिंता और निर्णय न ले पाने में परेशानी हो सकती है।

डिप्रेशन और चिंता (Anxiety Disorders)

लगातार नाइट शिफ्ट करने से सेरोटोनिन (Serotonin) नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर कम हो सकता है, जो मूड और भावनाओं को नियंत्रित करता है। इससे डिप्रेशन और चिंता विकार विकसित हो सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति नकारात्मक सोचने लगता है, निराशा और घबराहट होती है।

लोगों से न मिल पाना

रात में काम करने वाले व्यक्ति का शेड्यूल आम लोगों से अलग हो जाता है, जिससे पारिवारिक और सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में वह ज्यादातर समय अकेले (Loneliness) रहते है, संबंधों में दूरी बनाती है और उनको भावनात्मक सपोर्ट नहीं मिल पाती है। यह सामाजिक अलगाव मानसिक तनाव को और अधिक बढ़ा देता है।

बर्नआउट (Burnout)

नाइट शिफ्ट में लगातार काम करने से मानसिक थकान बढ़ती है, जिसे बर्नआउट कहते हैं। यह कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है। इस समस्या में व्यक्ति को काम में रुचि नहीं होती है। छोटी-छोटी बातो पर चिड़चिड़ापन और प्रोडक्टिविटी कम होती है।

मानसिक समस्याओं से बचने के लिए क्या करें?

  • सोने से पहले मोबाइल या स्क्रीन से दूरी बनाएं।
  • एक निर्धारित समय पर सोने की कोशिश करें
  • फल, सब्जी और प्रोटीन युक्त आहार लें
  • योग और मेडिटेशन मानसिक शांति देते हैं
  • दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ मिलें और बातों को शेयर करें।

इसे भी पढ़ें: मानसिक थकान कैसे दूर करें? जानें 5 आसान तरीके

रात की शिफ्ट में काम करना ज़रूरी हो सकता है, लेकिन इसके मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर गहरे प्रभाव पड़ते हैं। नींद की कमी, सामाजिक अलगाव और मानसिक तनाव जैसे दुष्प्रभावों को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। सही जीवनशैली, समय प्रबंधन और मानसिक देखभाल से इन प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यदि कोई गंभीर मानसिक लक्षण दिखाई दें तो समय रहते चिकित्सीय सलाह अवश्य लें।

FAQ

  • नाइट शिफ्ट में काम करने के क्या नुकसान हैं?

    नाइट शिफ्ट में काम करने के कई नुकसान हो सकते हैं, जिनमें नींद की समस्या, पाचन संबंधी समस्याएं, वजन बढ़ना, और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं। 
  • मानसिक बीमारी के 5 संकेत क्या हैं?

    नींद की क्वालिटी प्रभावित होना और बहुत कम या बहुत अधिक सोना, मोटिवेशन में कमी, खुद को अपने दोस्तों और परिवार से अलग करना, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, या आम तौर पर अच्छा महसूस नहीं करना आदि मानसिक समस्या के लक्षण हो सकते हैं।
  • मानसिक समस्या को दूर करने के लिए क्या करें?

    मानसिक समस्या को दूर करने के लिए आप योग में प्राणायाम कर सकते हैं। इससे मानसिक शांति मिलती है और आपको दबाव कम महसूस होता है।

 

 

 

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