
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब तनाव, थकान और नींद की कमी आम समस्या बन गई है, ऐसे में प्राणायाम (Pranayama) शरीर और मन के संतुलन का सबसे आसान और प्राकृतिक उपाय माना जाता है, लेकिन एक सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है कि प्राणायाम सुबह करना बेहतर है या शाम को (Morning vs Evening Pranayama)? आयुर्वेद और योग शास्त्र दोनों ही श्वास की साधना को जीवनशक्ति यानी प्राण का सोर्स मानते हैं। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की श्वास कंट्रोल है, उसका मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं, लेकिन सही समय पर प्राणायाम करना उतना ही जरूरी है जितना कि सही तकनीक अपनाना। अगर आप भी योग या मेडिटेशन की शुरुआत करने जा रहे हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि आपके शरीर के लिए कौन-सा समय अधिक फायदेमंद है। इस लेख में उत्तम नगर में स्थित योग जंक्शन के योग थेरेपिस्ट प्रवीण गौतम से जानिए, प्राणायाम सुबह करना बेहतर या शाम को?
प्राणायाम सुबह करना बेहतर या शाम को - Morning Vs Evening Pranayama Which Is Better In Hindi
योग थेरेपिस्ट प्रवीण गौतम बताते हैं कि सुबह का समय प्राणायाम करने के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से लगभग एक घंटे पहले का समय जब वातावरण शुद्ध, शांत और प्रदूषण रहित होता है, तब श्वास की साधना शरीर को गहराई से एनर्जी प्रदान करती है। आयुर्वेद के अनुसार सुबह किए गए प्राणायाम से शरीर के दोष संतुलित रहते हैं और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। सुबह प्राणायाम करने से दिनभर ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर रहती है, जिससे थकान, आलस्य और मानसिक सुस्ती दूर होती है। खासकर अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और कपालभाति जैसे प्राणायाम सुबह करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, इम्यूनिटी मजबूत होती है और मन शांत रहता है। जो लोग ऑफिस या कॉलेज जाते हैं, उनके लिए सुबह प्राणायाम दिन की सकारात्मक शुरुआत के रूप में काम करता है।
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शाम का प्राणायाम
शाम का समय दिनभर की थकान और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए उत्तम माना जाता है। सूर्यास्त के बाद वातावरण में ठंडक और स्थिरता बढ़ जाती है, जिससे शरीर शांति की अवस्था में आने लगता है। इस समय नाड़ी शोधन, भ्रामरी और उज्जायी जैसे प्राणायाम मन को शांत करने और तनाव घटाने में विशेष रूप से लाभकारी हैं। जो लोग रात में बेचैनी, अनिद्रा या अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति से परेशान हैं, उनके लिए शाम का प्राणायाम बहुत कारगर होता है। दिनभर की भागदौड़ के बाद यह अभ्यास मानसिक शांति और संतुलन लौटाने में मदद करता है।
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एक्सपर्ट की सलाह
योग थेरेपिस्ट प्रवीण गौतम बताते हैं, ''सुबह प्राणायाम करने से शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा मिलती है और यह पूरे दिन की मेटाबॉलिक एक्टिविटी को सही दिशा में रखता है। वहीं शाम को किया गया प्राणायाम दिनभर की थकान और मानसिक तनाव को खत्म करने में सहायक होता है। इसलिए जो लोग जल्दी उठ सकते हैं, उनके लिए सुबह का समय श्रेष्ठ है, और जो देर तक काम करते हैं या तनाव में रहते हैं, उनके लिए शाम का अभ्यास उपयोगी रहता है।''
निष्कर्ष
प्राणायाम का असली फायदा तभी मिलता है जब इसे नियमित रूप से किया जाए। चाहे सुबह करें या शाम, सबसे जरूरी है रोजाना कुछ समय अपने श्वास-प्रश्वास पर ध्यान देना। आयुर्वेद के अनुसार, नियमित प्राणायाम न केवल फेफड़ों को मजबूत करता है, बल्कि मन, नींद और पाचन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। अगर आप नई शुरुआत कर रहे हैं, तो सुबह हल्का प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम से शुरुआत करें और धीरे-धीरे शाम में भी 10-15 मिनट का अभ्यास जोड़ें।
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FAQ
प्राणायाम करने से क्या फायदे होते हैं?
नियमित प्राणायाम से फेफड़े मजबूत होते हैं, इम्यूनिटी बढ़ती है, ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है, तनाव घटता है, मन शांत रहता है और नींद बेहतर होती है।प्राणायाम कितनी देर तक करना चाहिए?
शुरुआती लोगों को रोजाना 10 से 15 मिनट प्राणायाम से शुरुआत करनी चाहिए। धीरे-धीरे इसे 30 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।क्या प्राणायाम खाने के बाद किया जा सकता है?
नहीं, प्राणायाम हमेशा खाली पेट या भोजन के 2-3 घंटे बाद ही करना चाहिए। भरे पेट में प्राणायाम करने से गैस या असहजता हो सकती है।
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Oct 28, 2025 16:54 IST
Published By : Akanksha Tiwari