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दिमाग पर डिहाइड्रेशन का क्या असर पड़ता है? न्यूरोलॉजिस्ट से जानें

शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन को अक्सर हल्के में लिया जाता है, लेकिन जब यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह सीधे तौर पर ब्रेन हेल्थ को प्रभावित कर सकती है।
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दिमाग पर डिहाइड्रेशन का क्या असर पड़ता है? न्यूरोलॉजिस्ट से जानें

क्या आपने कभी सोचा है कि दिनभर हल्की-सी थकान, सिर भारी लगना, मूड बिगड़ जाना या काम में ध्यान न लगना सिर्फ स्ट्रेस या नींद की कमी की वजह से नहीं, बल्कि पानी की कमी की वजह से भी हो सकता है? हम अक्सर प्यास लगने को एक साधारण संकेत मान लेते हैं, लेकिन यही साधारण-सी प्यास अगर हफ्तों और महीनों तक नजरअंदाज होती रहे, तो यह चुपचाप दिमाग पर गहरा असर डालने लगती है। इस लेख में हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट न्यूरो फिजीशियन डॉ. भरथ कुमार सुरिसेट्टी (Dr. Bharath Kumar Surisetti, Consultant Neuro Physician, Yashoda Hospitals) से जानिए, दिमाग पर डिहाइड्रेशन का क्या असर पड़ता है?


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दिमाग पर डिहाइड्रेशन का क्या असर पड़ता है? - Dehydration Effects On Brain

न्यूरो फिजीशियन, डॉ. भरथ कुमार सुरिसेट्टी बताते हैं, ''लॉन्ग-टर्म डिहाइड्रेशन अलर्टनेस को कम करता है, सोचने की गति को धीमा कर देता है और ब्रेन फॉग को बढ़ाता है।'' हल्का डिहाइड्रेशन भी कॉग्निटिव परफॉर्मेंस यानी ध्यान, याददाश्त, फोकस और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स को प्रभावित करना शुरू कर देता है। जब दिमाग तक फ्लुइड की मात्रा कम पहुंचती है, तो न्यूरॉन्स की फंक्शनिंग सुस्त हो जाती है। इससे व्यक्ति को साधारण काम भी भारी लगने लगते हैं। डॉक्टर के अनुसार, जिन लोगों में पानी की कमी बनी रहती है, उनमें अक्सर ब्रेन फॉग, चिड़चिड़ापन और थकान की शिकायत अधिक होती है।

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  • डिहाइड्रेशन के प्रभाव सिर्फ दिमाग की संरचना पर ही नहीं, बल्कि मूड और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी पड़ते हैं।
  • लगातार पानी की कमी से व्यक्ति को थकान, तनाव, बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है।
  • डॉ. सुरिसेट्टी के अनुसार, ''जब शरीर में पानी कम हो जाता है, तो स्ट्रेस हार्मोन का लेवल बढ़ने लगता है, जिससे मानसिक थकान और कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है।''
  • यही कारण है कि कई लोग बिना किसी मेडिकल समस्या के भी केवल हाइड्रेशन की कमी के कारण एंग्जायटी जैसे लक्षण महसूस करते हैं।

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effects of dehydration on the brain

रिसर्च क्या कहती है?

NCBI की रिसर्च बताती है कि क्रॉनिक डिहाइड्रेशन यानी लंबे समय तक बनी रहने वाली पानी की कमी से ब्रेन टिश्यू सिकुड़ने लगता है। जब दिमाग की टिश्यू में पतलापन आता है, तो मस्तिष्क को उतना ही काम करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे एक तरह का 'ओवरलोड' बनता है, जो सीखने, ध्यान बनाए रखने और निर्णय लेने की क्षमता पर सीधा असर डालता है।

कितना पानी पर्याप्त है? - How much water is good enough for a day

  • पानी की जरूरत उम्र, मौसम और एक्टिविटी लेवल पर निर्भर करती है, लेकिन डॉक्टर सामान्य रूप से वयस्कों को रोजाना 2-3 लीटर पानी लेने की सलाह देते हैं। ज्यादा पसीना आने, गर्मी के मौसम या लगातार मानसिक स्ट्रेस की स्थिति में पानी की आवश्यकता और बढ़ जाती है।
  • फ्रूट्स, नारियल पानी, सूप, छाछ जैसे वाटर-रिच फूड्स भी हाइड्रेशन लेवल को बनाए रखने में मदद करते हैं।

निष्कर्ष

लॉन्ग-टर्म डिहाइड्रेशन सिर्फ प्यास की समस्या नहीं है, बल्कि यह धीरे-धीरे दिमाग की संरचना, भावनाओं और सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। ब्रेन फॉग, चिड़चिड़ापन, कमजोर याददाश्त, धीमी रिएक्शन टाइम और मूड में गिरावट, ये सभी संकेत हो सकते हैं कि आपके शरीर को अधिक पानी की जरूरत है। इसलिए, सही हाइड्रेशन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और अपनी ब्रेन हेल्थ को लंबे समय तक सुरक्षित रखें।

All Image Credit- Freepik

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FAQ

  • डिहाइड्रेशन के लक्षण क्या होते हैं?

    शुरुआती संकेतों में प्यास लगना, मुंह सूखना, हल्का सिर दर्द, थकान, स्किन का रूखापन और कम यूरिन शामिल हैं। कई बार ये लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग पहचान नहीं पाते।
  • क्या डिहाइड्रेशन केवल गर्मियों में होता है?

    सर्दियों में भी लोग कम पानी पीते हैं, जिससे विंटर डिहाइड्रेशन हो सकता है। एयर कंडीशनर, हीटर और लंबे समय तक बैठकर काम करने से भी शरीर में पानी की कमी होती है।
  • क्या कॉफी और चाय हाइड्रेशन के लिए अच्छी है?

    चाय और कॉफी शरीर में कुछ मात्रा में फ्लुइड तो देती हैं, लेकिन इनमें मौजूद कैफीन हल्का डिहाइड्रेट कर सकता है। इसलिए इन्हें पानी का विकल्प नहीं माना जाता।

 

 

 

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  • Current Version

  • Nov 21, 2025 16:20 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

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