
दिल्ली की हवा इस समय जहरीली हो गई है। हर दिन AQI 450 के ऊपर और गंभीर श्रेणी में रहता है। दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर हिस्सों के यही हालात हैं। सवाल ये है कि अभी तो जो सेहत को नुकसान हो रहा है वो है ही लेकिन अगर आप आने वाले 5 से 10 साल इस जहरीली हवा में रहें तो आपकी सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है। आपको इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि इस प्रदूषित हवा में सांस लेने से आपको किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस बारे में विस्तार से जानकारी के लिए हमने Dr. Sunil Kumar K, Lead Consultant - Interventional Pulmonology, Aster CMI Hospital, Bangalore और Dr. Ankit Bansal Consultant Internal Medicine & Infection Diseases Shri Balaji Action Medical Institute Delhi से बात की।
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जहरीली हवा में सांस लेने से आने वाले 5 से 10 साल बाद आपकी सेहत कैसे होगी?
डॉ. सुनील कुमार कहते हैं कि अगले 5 से 10 सालों तक जहरीली हवा में सांस लेने से आपके शरीर के लगभग हर हिस्से को धीरे-धीरे नुकसान पहुंच सकता है और यह नुकसान धीरे-धीरे बढ़ता जा सकता है क्योंकि आप रोजाना जो विषाक्त पदार्थ सांस के जरिए अंदर लेते हैं, वे आपके अंगों पर दबाव डालते हैं। सबसे पहले आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है क्योंकि प्रदूषित हवा में छोटे-छोटे कण, रसायन और हानिकारक गैसें होती हैं जो वायुमार्ग में गहराई तक प्रवेश कर जाती हैं और लगातार जलन पैदा करती हैं। इससे लंबे समय तक सांस लेने में समस्याएं हो सकती हैं जैसे खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और बार-बार गले में संक्रमण। समय के साथ, फेफड़ों में मौजूद छोटी-छोटी वायुकोष कमजोर हो सकती हैं, जिससे आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलना मुश्किल हो जाता है, जिससे अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और यहाँ तक कि स्थायी फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
तो डॉ. अंकित बताते हैं कि यह जहरीली हवा फेफड़ों की क्षमता को धीरे-धीरे कम करती है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अगले 5–10 सालों में अस्थमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी जैसी सांस से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ सकती हैं। लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने के कारण थकान, प्रतिरोधक क्षमता में कमी और समय से पहले बूढ़ा दिखने जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।
प्रदूषित हवा में सांस लेने से क्या होता है?
| क्या-क्या और किन लोगों को समस्याएं हो सकती हैं | समस्याएं |
| श्वसन संबंधी समस्याएं (Respiratory Issues): | अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और फेफड़ों के कैंसर जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं |
| हृदय संबंधी समस्याएं (Cardiovascular Problems): | वायु प्रदूषण से दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है |
| तंत्रिका संबंधी प्रभाव (Neurological Effects): | वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से संज्ञानात्मक हानि, स्मृति हानि और अल्जाइमर व पार्किंसंस जैसी तंत्रिका संबंधी बीमारियों का खतरा |
| प्रजनन और विकास संबंधी समस्याएं (Reproductive and Developmental Issues): | वायु प्रदूषण प्रजनन क्षमता, गर्भावस्था के परिणामों और भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है |
| बच्चे की समस्याएं (Children Health Issues): | बचपन से अस्थमा, श्वसन संबंधी समस्याएं और संज्ञानात्मक हानि का डर |
| वयस्कों की दिक्कत ( Adults Health Issues): | श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर और तंत्रिका संबंधी प्रभावों का खतरा |
| श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर और तंत्रिका संबंधी प्रभावों का खतरा | वृद्ध वयस्क वायु प्रदूषण के हृदय संबंधी और श्वसन संबंधी प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं, जिससे अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता है। |
| महिलाओं की समस्याएं (Women Specific Impacts): | गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं, प्रजनन संबंधी समस्याएं और स्तन कैंसर का बढ़ता जोखिम |
| पुरुषों की समस्याएं (Men Specific Impacts): | फेफड़ों के कैंसर, हृदय संबंधी रोगों और प्रजनन संबंधी समस्याओं का बढ़ता जोखिम |
5 से 10 साल बाद होंगे आप इन समस्याओं के शिकार
PM 2.5 के कणों में सांस लेना आपकी सोच से भी ज्यादा सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। जैसे कि
- -सबसे पहले तो ये आपके हृदय को प्रभावित कर सकता है क्योंकि जहरीली हवा रक्त को गाढ़ा बना देती है और सूजन बढ़ा देती है, जिससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
- -कई वर्षों के बाद, इससे हाई बीपी, अनियमित दिल की धड़कन, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
- -इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है क्योंकि शरीर हमेशा प्रदूषण से लड़ने में व्यस्त रहता है, जिससे आपको सर्दी, एलर्जी और संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
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मस्किष्क पर होता है गहरा असर
जहरीली हवा के लगातार संपर्क में रहने से आपके मस्तिष्क पर भी असर पड़ सकता है। खराब वायु गुणवत्ता ऑक्सीजन के प्रवाह को कम कर सकती है, जिससे सिरदर्द, ध्यान केंद्रित करने में कमी, कम ऊर्जा और चिड़चिड़ापन व चिंता जैसे मनोदशा में बदलाव हो सकते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से जीवन में बाद में याददाश्त संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ सकता है।

त्वचा और आंखों की सेहत प्रभावित हो सकती है
इसी तरह आप जहरीली हवा में सांस लेते रहें तो आपकी त्वचा और आंखों में क्षति के शुरुआती लक्षण दिखाई दे सकते हैं। प्रदूषित हवा त्वचा की सतह पर जमने और प्राकृतिक सुरक्षात्मक परतों को तोड़ने के कारण सुस्ती, चकत्ते, मुंहासे, समय से पहले बुढ़ापा, आंखों में लालिमा और जलन पैदा कर सकती है।
अगर यह बिना सुरक्षा के 5 से 10 वर्षों तक जारी रहता है, तो आपके जीवन की समग्र गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। आपको अक्सर थकान महसूस हो सकती है, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
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क्या करें?
मास्क पहनना, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना, प्रदूषित दिनों में घर के अंदर रहना और अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखना जैसे कदम उठाने से दीर्घकालिक प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। इसलिए मास्क का उपयोग करें, घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं और प्रदूषण के दिनों में बाहर की गतिविधियों को सीमित करें।
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FAQ
वायु प्रदूषण के 5 प्रमुख कारण क्या हैं?
वायु प्रदूषण के 5 प्रमुख कारणों में शामिल हैं कोयला, पेट्रोल, डीजल) का जलना, औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों से निकलने वाला धुआं, वनों की आग, पेड़-पौधों की कमी और कचरा जलाना।वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जिनमें अस्थमा और सीओपीडी, दिल का दौरा और स्ट्रोक आदि की दिक्कत हो सकती है।कौन सा ज्यादा हानिकारक है, पीएम 2.5 या पीएम 10?
2.5 माइक्रोमीटर से कम वाले कण, जितने भी सूक्ष्म कण हैं सभी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं।
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Nov 21, 2025 15:02 IST
Published By : Pallavi Kumari