दिल्ली-एनसीआर की हवा बेहद जहरीली हो चुकी है। घना कोहरा और धुंध पूरी राजधानी को अपनी चपेट में ले चुका है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। ऐसा लग रहा है जैसे पूरा शहर एक गैस चैंबर में बदल गया हो। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से लेकर गुरुग्राम तक हर जगह प्रदूषण का कहर साफ दिखाई दे रहा है। वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है, और मंगलवार सुबह यह स्थिति और भी गंभीर हो गई, जब एक्यूआई 500 के पार दर्ज किया गया। यह स्थिति वयस्कों के साथ-साथ नवजात शिशुओं के लिए भी जानलेवा है। नवजात शिशु, जिनकी इम्यूनिटी पूरी तरह से विकसित नहीं होती है, जहरीली हवा के प्रभाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। घर के अंदर और बाहर की हवा में मौजूद हानिकारक कण, जैसे पीएम 2.5 और पीएम 10, शिशु के फेफड़ों, त्वचा और पूरे शारीरिक विकास पर बुरा असर डाल सकते हैं। खासकर सर्दियों के मौसम में, जब स्मॉग (धुंध और धुआं) का लेवल बढ़ जाता है, नवजात शिशुओं के बीमार पड़ने का खतरा ज्यादा होता है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण लंबे समय तक संपर्क में रहने से बच्चों में मोटापा, हृदय रोग और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अब जानते हैं कि प्रदूषण के कारण कौन-कौन सी बीमारियां नवजात शिशुओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
नवजात शिशु में प्रदूषण से होने वाली बीमारियां- High AQI Effects on Newborn Health
प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से शिशु की इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे वे बार-बार बीमार पड़ सकते हैं। हाई एक्यूआई में ये बीमारियां हो सकती हैं-
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- वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कण शिशु के फेफड़ों में जाकर सूजन पैदा कर सकते हैं। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- प्रदूषित हवा शिशु की कोमल त्वचा में जलन, खुजली और रैशेज का कारण बन सकती है। साथ ही, एलर्जी के मामलों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
- जहरीली हवा में मौजूद केमिकल्स शिशु के दिमाग के विकास में रुकावट डालते हैं। इससे आगे चलकर उनकी याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और सीखने की शक्ति पर असर पड़ सकता है।
- प्रदूषण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य केमिकल्स, शिशु के हृदय के विकास पर असर डाल सकते हैं। इससे उनके बड़े होने पर हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रदूषण से शिशु में कान, नाक और गले में इंफेक्शन हो सकता है। यह बार-बार होने वाली सर्दी, गले की खराश और कान में दर्द जैसी समस्याओं का कारण बनता है।
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नवजात शिशु को प्रदूषण से बचाने के उपाय- Ways to Prevent Air Pollution Effects on Newborn
- नवजात शिशु को साफ हवा में रखने के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- शिशु के कमरे में धूल, धुआं और गंध फैलाने वाली चीजों का इस्तेमाल न करें।
- प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान शिशु को घर के बाहर ले जाने से बचें। खासतौर पर सुबह और शाम के समय।
- अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो शिशु को गर्म कपड़ों से ढकें और ज्यादा प्रदूषित इलाकों में जाने से बचें।
- शिशु को रोज स्तनपान कराएं, इससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनेगी और इंफेक्शन और बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा मिलेगी।
- घर के अंदर हवा को साफ बनाने के लिए एलोवेरा, तुलसी और मनी प्लांट जैसे हानिकारक गैसों को सोखने वाले पौधे लगाएं।
- शिशु के आसपास के वातावरण को साफ रखना बेहद जरूरी है। घर के पर्दे, बिस्तर और फर्श को नियमित रूप से साफ करें ताकि धूल न फैलें।
- शिशु के खिलौने और बर्तन भी साफ रखें और ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल करें जिसमें हानिकारक केमिकल्स मौजूद हों।
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