पेरियोडोंटल डिजीज, जिसे मसूड़ों की बीमारी कहा जाता है, आज के समय में एक आम लेकिन गंभीर समस्या बन चुकी है। यह बीमारी तब होती है जब दांतों और मसूड़ों के बीच की जगह में बैक्टीरिया, प्लाक और टार्टर जमा हो जाता है, जिससे सूजन, खून आना और दर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह दांतों की जड़ों तक पहुंचकर हड्डी को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे दांत गिर भी सकते हैं। आजकल खराब ओरल हाईजीन, असंतुलित खानपान, धूम्रपान, तम्बाकू सेवन और डायबिटीज जैसी बीमारियों के कारण पेरियोडोंटल डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीमारी की शुरुआत अक्सर बिना दर्द के होती है, जिससे लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं और तब ध्यान देते हैं जब स्थिति बिगड़ चुकी होती है। यही कारण है कि लोग इंटरनेट पर या डॉक्टरों से यह जानना चाहते हैं कि क्या पेरियोडोंटल डिजीज पूरी तरह से ठीक की जा सकती है या नहीं।
इस लेख में भोपाल स्थित अपोलो सेज अस्पताल की बीडीएस और एमएचए डेंटिस्ट डॉक्टर सुरभि श्रीवास्तव (Dr. Surbhi Shrivastava, BDS, MHA Dentist, Apollo Sage Hospitals, Bhopal) से जानिए, क्या मसूड़े की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है?
क्या मसूड़े की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है? - Is Periodontal Disease Curable
पेरियोडोंटल डिजीज के इलाज की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि बीमारी किस लेवल तक पहुंच चुकी है। शुरुआती चरणों में इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर बीमारी गंभीर हो गई हो तो दांतों के नुकसान को पूरी तरह वापस लाना मुश्किल होता है। हालांकि, मॉडर्न डेंटल ट्रीटमेंट से इसे कंट्रोल किया जा सकता है और आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। जब मसूड़ों में सूजन और खून आना होता है, तो इसे जिंजिवाइटिस कहा जाता है। इस स्थिति में दांतों की सफाई, नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग और डेंटल क्लीनिंग से बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। जिंजिवाइटिस को नजरअंदाज करने पर यह पेरियोडोंटाइटिस में बदल सकती है।
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1. स्केलिंग और रूट प्लेनिंग
यह एक प्रोफेशनल डेंटल क्लीनिंग प्रोसेस है जिसमें दांतों से प्लाक और टार्टर हटाए जाते हैं। इससे मसूड़ों की सूजन कम होती है और इंफेक्शन रुकता है।
2. एंटीबायोटिक्स और माउथवॉश
डॉक्टर इंफेक्शन को कंट्रोल करने के लिए दवाइयां और एंटीसेप्टिक माउथवॉश दे सकते हैं।
3. सर्जिकल ट्रीटमेंट
अगर इंफेक्शन गहरा हो गया हो, तो मसूड़ों की सर्जरी कर कीटाणुओं को हटाया जाता है।
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4. ओरल केयर
रोजाना दांतों की सफाई, सही ब्रशिंग, फ्लॉसिंग और बैलेंस डाइट पेरियोडोंटल डिजीज से बचाव में मदद करते हैं।
5. धूम्रपान छोड़ना
तम्बाकू और धूम्रपान से बचना बीमारी को बढ़ने से को रोकता है।
पेरियोडोंटल डिजीज के कारण - What is the cause of periodontal disease
पेरियोडोंटल डिजीज मुख्य रूप से बैक्टीरिया और प्लाक के कारण होती है। जब हम दांतों की सफाई ठीक से नहीं करते, तब दांतों की सतह पर प्लाक जमा हो जाता है। यह प्लाक धीरे-धीरे टार्टर में बदल जाता है, जो दांतों के साथ-साथ मसूड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, कई अन्य कारण भी इस बीमारी को बढ़ावा देते हैं।
- गलत ब्रशिंग करना या ब्रश न करना
- धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
- अनियमित खान-पान और शुगर का ज्यादा सेवन
- हार्मोनल बदलाव, जैसे प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज के दौरान
- डायबिटीज या अन्य पुरानी बीमारियां
पेरियोडोंटल डिजीज से बचाव के उपाय - how to prevent periodontal disease
- दिन में कम से कम दो बार सही तरीके से ब्रश करें।
- नियमित रूप से फ्लॉस का उपयोग करें।
- हर 6 महीने में दांतों की प्रोफेशनल क्लीनिंग कराएं।
- तम्बाकू, धूम्रपान और ज्यादा मीठा खाना कम करें।
- तनाव कम करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह भी इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है।
निष्कर्ष
पेरियोडोंटल डिजीज एक गंभीर लेकिन कंट्रोल की जा सकने वाली बीमारी है। अगर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न किया जाए और समय पर उचित इलाज किया जाए, तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। हालांकि, गंभीर मामलों में पूरी तरह से दांत या टिशू वापस नहीं आ पाते, फिर भी सही उपचार से दांतों को बचाया जा सकता है। इसलिए अपने मसूड़ों और दांतों की नियमित देखभाल करें और किसी भी समस्या के शुरुआत में डेंटिस्ट से संपर्क करें।
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FAQ
किसकी कमी से पायरिया रोग हो जाता है?
पायरिया रोग दांतों और मसूड़ों से जुड़ी बीमारी है, जिसमें मसूड़ों से खून आना, सूजन, दर्द और बदबू आना आम लक्षण होते हैं। विटामिन C की कमी से शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती है और मसूड़ों की कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा दांतों की सही सफाई न करना, तंबाकू या गुटखा का सेवन करना भी पायरिया के अन्य कारण हो सकते हैं।मसूड़ों में इन्फेक्शन कैसे होता है?
मसूड़ों में इन्फेक्शन तब होता है जब दांतों और मसूड़ों की ठीक से सफाई नहीं की जाती, जिससे प्लाक और बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। ये बैक्टीरिया मसूड़ों में सूजन, लालिमा और दर्द का कारण बनते हैं। धीरे-धीरे यह स्थिति गंभीर हो सकती है और पायरिया जैसे रोगों का रूप ले सकती है। तंबाकू सेवन, कमजोर इम्यूनिटी, डायबिटीज, हार्मोनल बदलाव और पोषण की कमी भी मसूड़ों के इंफेक्शन का कारण बनते हैं।ठंडा पानी पीने से दांतों में झनझनाहट क्यों होती है?
ठंडा पानी पीने से दांतों में झनझनाहट होना दांतों की सेंसिटिविटी का संकेत है। यह समस्या तब होती है जब दांतों की ऊपरी परत यानी इनैमल डैमेज हो जाती है या घिस जाती है, जिससे दांतों के अंदर की परत खुल जाती है। यह समस्या कैविटी, मसूड़ों की बीमारी या दांत पीसने की आदत के कारण भी हो सकती है। सेंसिटिव टूथपेस्ट से राहत मिल सकती है।