आजकल की तेज-रफ्तार जिंदगी में हर कोई किसी न किसी रूप में स्ट्रेस का सामना करता है। अगर यह स्ट्रेस लंबे समय तक बना रहता है, तो इसे क्रॉनिक स्ट्रेस कहा जाता है और यह आपके हार्ट की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है। क्रॉनिक तनाव को लंबे समय तक अनदेखा करना हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों का कारण बन सकता है। स्ट्रेस, आपके शरीर में कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ा देता है, जो बीपी को बढ़ा सकता है और हार्ट के ब्लड वैसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, स्ट्रेस के कारण अक्सर लोग अनहेल्दी खाना, कम नींद और शारीरिक गतिविधियों की कमी के शिकार बन जाते हैं, जो हार्ट की सेहत को और खराब करते हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि क्रॉनिक स्ट्रेस, हार्ट को कैसे प्रभावित करता है और इससे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के पल्स हॉर्ट सेंटर के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक शुक्ला से बात की।
क्रॉनिक स्ट्रेस से हार्ट को होने वाले नुकसान- Effects of Chronic Stress on Heart
1. हार्ट अटैक- Heart Attack
क्रॉनिक स्ट्रेस, हार्ट अटैक का प्रमुख कारण बन सकता है। जब शरीर में लगातार स्ट्रेस बढ़ता है, तो यह बीपी को बढ़ा देता है और ब्लड वैसल्स में सूजन आ जाती है। इससे हार्ट तक ब्लड फ्लो बाधित हो सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। स्ट्रेस के कारण एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का लेवल भी बढ़ता है, जो हार्ट पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं।
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2. स्ट्रोक- Stroke
जब शरीर में स्ट्रेस लंबे समय तक बना रहता है, तो यह हाई बीपी का कारण बन सकता है, जो स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है। हाई बीपी, ब्लड वैसल्स को कमजोर कर देता है, जिससे ब्लड फ्लो बाधित हो सकता है। इससे दिमाग में ब्लड क्लॉट जमने का खतरा भी बढ़ सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है। लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने से दिमाग के ब्लड फ्लो में रुकावट आ सकती है।
3. कार्डियोमायोपैथी- Cardiomyopathy
क्रॉनिक स्ट्रेस से कार्डियोमायोपैथी की संभावना बढ़ सकती है, जो हार्ट की मांसपेशियों की बीमारी है। यह स्थिति तब होती है जब स्ट्रेस के कारण, हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और सही तरीके से काम नहीं कर पाती। स्ट्रेस के दौरान कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन का लेवल बढ़ता है, जो हृदय को ज्यादा काम करने के लिए मजबूर करता है। समय के साथ, इस दबाव के कारण हार्ट की मांसपेशियों का आकार बदल सकता है, जिससे कार्डियोमायोपैथी हो सकती है।
4. एंजाइना- Angina
एंजाइना एक ऐसी स्थिति है जिसमें हार्ट को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता, जिसके कारण छाती में दर्द होता है। यह मुख्य रूप से हार्ट की ब्लड वैसल्स में सिकुड़न के कारण होता है। क्रॉनिक स्ट्रेस, इस स्थिति को और बढ़ा सकता है, क्योंकि स्ट्रेस के दौरान शरीर में एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे ब्लड वैसल्स संकुचित हो सकती हैं। इस वजह से, हार्ट को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और एंजाइना का खतरा बढ़ता है।
5. हाई बीपी- Hypertension
क्रॉनिक स्ट्रेस, हाई बीपी (हाइपरटेंशन) का एक प्रमुख कारण है। स्ट्रेस के दौरान शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन बढ़ जाते हैं, जो हाई बीपी को अस्थायी रूप से बढ़ा सकते हैं। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो इससे बीपी बढ़ सकता है, जो हार्ट की सेहत के लिए हानिकारक है। हाई बीपी के कारण हार्ट पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे हार्ट का आकार बढ़ सकता है और ब्लड वैसल्स कमजोर हो सकती हैं।
हार्ट की बीमारियों से बचने के उपाय- Heart Diseases Prevention Tips
- नियमित एक्सरसाइज, स्ट्रेस को कम करने का एक असरदार तरीका है।
- चलना, दौड़ना और मेडिटेशन जैसे उपाय, स्ट्रेस को कम करते हैं और हृदय को मजबूत बनाते हैं।
- नींद की कमी से स्ट्रेस बढ़ सकता है। रोज 7-8 घंटे की नींद लें।
- स्वस्थ और संतुलित आहार, स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। हरी सब्जियां, फल और होल ग्रेन्स का सेवन करें।
- साथ ही, ज्यादा नमक, शुगर और फैट से बचें, जो हार्ट के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
- डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज और योग जैसी तकनीकें स्ट्रेस को कम करने में मदद करती हैं।
क्रॉनिक स्ट्रेस, हार्ट के लिए गंभीर खतरा हो सकता है, लेकिन सही जीवनशैली अपनाकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है। एक्सरसाइज, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद जैसे उपाय हार्ट की सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं।
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