
Delhi NCR air pollution: दिवाली से 1 हफ्ते पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा खराब हो चुकी है। वायु प्रदूषण के चलते grap 1 लागू हो चुका है और आज सुबह कई इलाकों में aqi level 250 से 350 के बीच था। दिन चढ़ने के साथ आपको आसान में का धुंधलापन नजर आ रहा होगा। मौसम विभाग की मानें तो ये स्थिति दिन पर दिन और खराब हो सकती है। ऐसे में आप प्रदूषित हवा में सांस लेने की तैयारी कर लेनी चाहिए। इस स्थिति में कुछ बीमारी वाले लोगों को खासतौर पर अपने बचाव की तैयारी कर लेनी चाहिए। कौन हैं ये और किन तैयारियों की जरूरत है? आइए जानते हैं इस बारे में Dr. Sunil Kumar K, Lead Consultant - Interventional Pulmonology, Aster CMI Hospital, Bangalore से। पर उससे पहले जान लेते हैं कि GRAP-1 लागू होने का क्या मतलब होता है?
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GRAP-1 लागू होने का क्या मतलब होता है?
दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह प्रदूषण बढ़ रहा है इसे देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने तत्काल प्रभाव से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी GRAP-I लागू कर दिया है। ग्रेप-1 के तहत कई नियम लोगू होते हैं जैसे कि 10-15 साल पुरानी डीजल और पेट्रोल गाड़ियों को न चलाने की सलाह दी जाती है। खुले में कूड़ा-कचरा, पत्ते और अन्य वेस्ट जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और सड़क किनारे स्थित दुकानों और रेस्टोरेंट को कोयला और लकड़ी के स्थान पर बिजली, गैस या अन्य स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।

इन लोगों को रहना चाहिए सबसे ज्यादा सतर्क
Dr. Sunil Kumar K बताते हैं कि चूंकि दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता के कारण GRAP-1 लागू किया गया है, इसलिए कुछ लोगों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि वे वायु प्रदूषण के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। बच्चों के फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो रहे होते हैं, इसलिए उन्हें श्वसन संक्रमण अधिक आसानी से हो सकता है। वृद्ध लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है और पहले से ही स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिससे उन्हें जटिलताओं का खतरा अधिक होता है। अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), या ब्रोंकाइटिस जैसी फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ, खांसी या घरघराहट जैसे लक्षण बिगड़ सकते हैं। हृदय रोगियों को दिल के दौरे या अनियमित दिल की धड़कन का खतरा अधिक होता है क्योंकि वायु प्रदूषण रक्त वाहिकाओं और ऑक्सीजन की आपूर्ति को प्रभावित करता है। यहां तक कि गठिया से पीड़ित लोगों को भी शरीर में प्रदूषण से उत्पन्न तनाव के कारण जोड़ों में दर्द और सूजन का अनुभव हो सकता है।
1. छोटे बच्चों को
वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ सबसे ज्यादा चिंता कमजोर इम्यूनिटी वाले छोटे बच्चों की करनी चाहिए क्योंकि उनके फेफड़े प्रदूषण की मार झेलने के लिए तैयार नहीं होते। दरअसल, छोटे बच्चों के फेफड़े बड़ों की तुलना में कमजोर होते हैं और अभी विकसित हो रहे होते हैं। ऐसे में प्रदूषित हवा में उनके लिए सांस लेना संघर्ष जैसा होता है। NIH के इस शोध में बताया गया है कि वायु प्रदूषण की वजह छोटे बच्चों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और विटामिन डी की कमी से रिकेट्स रोग हो सकता है। इतना ही नहीं, स्कूल न जाना भी उनकी सेहत को प्रभावित कर सकता है।
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2. सीनियर सिटीजन
NIH के इस शोध में ये भी बताया गया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से बुजुर्गों या कहें कि सीनियर सिटीजन को काफी मुश्किल हो सकता है। सीनियर सिटीजन में फेफड़ों की समस्या बढ़ सकती है और उन्हें घर पर भी सांस लेने में मुश्किल हो सकती है। इसकी वजह से उन्हें नींद से जुड़ी समस्या, पेट से जुड़ी समस्या और एक्सरसाइज और वॉक में कमी की वजह से हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
3.COPD के मरीजों को
वायु प्रदूषण सीओपीडी के लक्षणों को काफी हद तक बिगाड़ देता है। NIH की इस शोध से पता चलता है वायु प्रदूषण की वजह से सीओपीडी के मरीजों में सूजन, बलगम का उत्पादन बढ़ जाता है और सांस लेने में गंभीर कठिनाई होती है। थोड़े समय के लिए प्रदूषण के संपर्क में रहने से स्थिति और बिगड़ सकती है और अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है। दरअसल, मुख्य रूप से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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4. ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और निमोनिया के मरीजों को
ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और निमोनिया के मरीजों में ये बीमारी दोबारा से ट्रिगर कर सकती है। इसकी वजह से इन तमाम बीमारियों के लक्षण परेशान कर सकते हैं जैसे कि आपको सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, कंजेशन की वजह से सोने और रोज के कामों को करने में भी दिक्कत महसूस हो सकती है। इसके अलावा प्रदूषित हवा इन समस्याओं को और गंभीर रूप दे सकती है।
5. दिल के मरीजों को
World Heart Federation की मानें तो दिल के मरीजों के लिए हवा का प्रदूषित होना गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। वायु प्रदूषण, विशेष रूप से सूक्ष्म कण पदार्थ (PM2.5), हृदय रोग के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, जो एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान देता है और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाता है। दरअसल, PM2.5 के कण रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे सूजन, एंडोथेलियल कोशिकाओं को नुकसान और हृदय की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
कैसे करें खुद का बचाव?
इस स्थिति में Dr. Sunil Kumar K का सुझाव है कि खराब वायु गुणवत्ता के लिए तैयार रहने के लिए, इन समूहों को बाहरी गतिविधियों को सीमित करना चाहिए। जब बाहर निकलना जरूरी हो, तो मास्क पहनने से हानिकारक कणों को फ़िल्टर करने में मदद मिल सकती है। खिड़कियां और दरवाजे बंद रखना, घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना और हाइड्रेटेड रहना, संक्रमण को कम कर सकता है और सांस लेने में आसानी कर सकता है। बच्चों और मरीजों को जोरदार बाहरी व्यायाम से बचना चाहिए। ऐप्स या न्यूज़ अलर्ट के जरिए AQI अपडेट की निगरानी करने से दैनिक दिनचर्या की योजना बनाने में मदद मिलती है। हृदय और फेफड़ों के मरीजों को दवाइयां अपने पास रखनी चाहिए और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए।
इन सावधानियों को अपनाकर, संवेदनशील लोग वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम कर सकते हैं और हाई AQI के दौरान अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं।
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Oct 15, 2025 12:57 IST
Published By : Pallavi Kumari