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Delhi Pollution: प्रदूषण के बीच गले की खराश और खांसी से परेशान हैं? डॉक्टर से जानें क्यों है खतरे की घंटी

दिल्ली की जहरीली हवा से गले में खराश, खांसी और जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। डॉक्टर के अनुसार इसे अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।
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Delhi Pollution: प्रदूषण के बीच गले की खराश और खांसी से परेशान हैं? डॉक्टर से जानें क्यों है खतरे की घंटी


दिल्ली-एनसीआर की हवा में इस समय सांस लेना मुश्किल हो रहा है। पिछले कुछ दिनों में राजधानी का AQI 400 के पार जा चुका है। आज भी दिल्ली का औसत AQI 301 है, जो "गंभीर" (Severe) श्रेणी में आता है। दिल्ली एनसीआर में इन दिनों बहुत सारे लोग लगातार खांसी और गले में खराश की समस्या का अनुभव कर रहे हैं। यह सामान्य नहीं है क्योंकि प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ रहा है। बहुत सारे लोग इन समस्याओं को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर रहे हैं।

डॉक्टर्स के मुताबिक यही सबसे बड़ी गलती है। लगातार गले में खराश या जलन रहना, सूखा खांसी आना या आवाज बैठना, यह संकेत हो सकते हैं कि वायु में मौजूद जहरीले कण आपके श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही लापरवाही आगे चलकर गले के इंफेक्शन, ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकती है।

अस्पतालों में आ रहे बड़ी संख्या में मरीज

एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पतालों में पिछले एक हफ्ते में सांस, खांसी और गले की शिकायत वाले मरीजों की संख्या में लगभग 30-40 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं Citizen Engagement Platform LocalCircles द्वारा ऑनलाइन कराए गए एक सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली एनसीआर में इस समय हर 4 में से 1 व्यक्ति को गले में खराश, खांसी, आंखों में जलन आदि समस्याएं हो रही हैं।

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डॉक्टर का क्या कहना है?

बेंगलुरु के किंडर हॉस्पिटल्स की इंटनरल मेडिसिन की कंसल्टैंट और जनरल फिजीशियन Dr. Sai Sravani Kesiraju कहती हैं, “प्रदूषण से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर गले का संक्रमण कोई गंभीर बीमारी है। ऊपरी सांस से जुड़ी ज्यादातर बीमारियां वायरस से होती हैं, जिनके लिए सिर्फ लक्षणों के हिसाब से इलाज और थोड़ा ध्यान रखना ही काफी होता है। लेकिन हमें बढ़ते प्रदूषण पर जरूर रोक लगानी चाहिए, क्योंकि ये हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है और कीटाणुओं के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाता है।”

कुछ लोग मान रहे हैं कि मौसम में बदलाव के कारण गले में खराश और खांसी की समस्या हो रही है मगर यह सिर्फ मौसम बदलने का असर नहीं है। हवा में मौजूद PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे कण गले की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह संक्रमण सांस की नली और फेफड़ों तक पहुंच सकता है।

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क्यों गले की खराश को गंभीरता से लेना जरूरी

प्रदूषण का असर वायुमार्ग पर पड़ता है। प्रदूषण के महीन कण (PM2.5) सीधे गले की परत में सूजन पैदा करते हैं। लगातार एक्सपोजर से टिश्यूज कमजोर हो जाते हैं, जिससे बैक्टीरिया और वायरस को संक्रमण फैलाने का मौका मिल जाता है। इसका असर सबसे ज्यादा उन लोगों पर हो सकता है, जो पहले से बीमार हैं, खासकर अस्थमा, साइनस या एलर्जी वाले लोगों को गले की समस्या और तेजी से हो सकती है। इसके अलावा बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी प्रदूषण ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

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कैसे बचें प्रदूषण में गले की तकलीफ से?

  • बाहर निकलते समय N95/N99 मास्क पहनना जरूरी है, खासकर सुबह और शाम के वक्त।
  • गुनगुने पानी से गरारे करते रहें, इससे गले को आराम मिलेगा।
  • घर में एयर प्यूरीफायर या पौधे रखें। घर की हवा को भी स्वच्छ रखना उतना ही जरूरी है।
  • लक्षण बढ़ें तो डॉक्टर से संपर्क करें। अगर खांसी या गले में जलन 3 दिन से ज्यादा रहे या आवाज बैठ जाए, तो जांच कराएं।

कुल मिलाकर दिल्ली की हवा इस समय सिर्फ सांस लेने की नहीं, जीने की भी चुनौती बन चुकी है। गले की हल्की खराश या खांसी को सामान्य समझकर नजरअंदाज न करें। ये इंफेक्शन हो सकता है और अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह धीरे-धीरे पूरे श्वसन तंत्र को जकड़ सकता है। थोड़ी सतर्कता, जैसे मास्क, स्वच्छ हवा और गले की देखभाल, न सिर्फ राहत दे सकती है, बल्कि बड़ी बीमारी से भी बचा सकती है।

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  • Current Version

  • Oct 28, 2025 18:42 IST

    Published By : Anurag Gupta

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