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खांसी की दवा से 24 बच्चों की मौत: क्या है पूरा मामला, क्या है डॉक्टरों की राय और क्या हैं सुरक्षित विकल्प?

खांसी की दवा के कारण बच्चों की मौत का पूरा मामला क्या है, क्या ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं और बच्चों को खांसी होने पर क्या देना सुरक्षित है, जानें सबकुछ डॉक्टर से।
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खांसी की दवा से 24 बच्चों की मौत: क्या है पूरा मामला, क्या है डॉक्टरों की राय और क्या हैं सुरक्षित विकल्प?


छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम हो और आप डॉक्टर के पास जाएं, तो डॉक्टर अक्सर उन्हें दवा के रूप में सिरप देते हैं, क्योंकि बच्चों को इसे पिलाना आसान होता है। लेकिन क्या हो अगर जो सिरप आप बच्चे को दवा समझकर दे रहे हैं, वही उसकी जान ले ले? बात डरावनी है, लेकिन हाल में मध्य प्रदेश और राजस्थान में ऐसी घटनाएं सच में हुई हैं। इन दोनों राज्यों में अब तक जहरीले कफ सिरप के कारण कुल 24 बच्चों की जान चली गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में ऐसी तीन खांसी की सिरप की पहचान की है, जो मिलावटी पाई गई हैं। WHO ने सभी देशों से कहा है कि अगर उनके यहां भी ये दवाएं मिलें, तो तुरंत इसकी जानकारी स्वास्थ्य एजेंसी को दें।

मामला कैसे सामने आया?

सबसे पहले यह मामला मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और बेतूल जिलों से सामने आया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ बच्चों को हल्का बुखार और खांसी थी। परिजन पास की दवा दुकान से Coldrif syrup लेकर आए और डॉक्टर से बिना राय लिए बच्चों को दे दिया। सिरप पीने के कुछ दिनों बाद इन बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। उन्हें लगातार उल्टी-दस्त, कमजोरी और थकान के साथ सांस लेने में तकलीफ की समस्या हुई और कुछ बच्चों को पेशाब आना बंद हो गया। बच्चों को जब अस्पताल ले जाया गया, तो रिपोर्ट में सामने आया कि उन्हें Acute Kidney Failure हो गया था। ये लक्षण किसी सामान्य वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से नहीं थे। डॉक्टरों को मामला संदिग्ध लगा। जब जांच आगे बढ़ी, तो हर केस में एक बात कॉमन मिली कि सभी बच्चों ने एक ही दवा पी थी, जिसका नाम Coldrif था।

जांच में क्या पाया गया?

राज्य की दवा नियंत्रण टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उस सिरप के बैच को जांच के लिए भेज दिया। लैब रिपोर्ट आने के बाद जो खुलासा हुआ, उसने सभी को चौंका दिया। Coldrif के सैंपल में Diethylene Glycol (DEG) नाम का खतरनाक केमिकल पाया गया।

इसे भी पढ़ें: क्या आपको पता है बच्चों को कफ सिरप देने की सही उम्र? कहीं आप भी तो नहीं कर रहे कोई गलती

किन दवाओं पर कार्रवाई हुई और मामला इतना बड़ा क्यों बना?

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह साफ होने लगा कि यह सिर्फ एक जिले की समस्या नहीं है। मामला कई राज्यों तक फैल गया। Coldrif कफ सिरप के साथ दो और सिरप- Respifresh TR और Relife की भी जांच शुरू हुई। प्राथमिक रिपोर्ट में इन सिरपों में भी संदिग्ध रासायनिक तत्व मिले। इन तीनों दवाओं पर अब देशभर में अलर्ट जारी हो चुका है।

DEG क्या है, जो बना कफ सिरप में बच्चों की मौत का कारण?

DEG एक औद्योगिक रसायन है, जिसका इस्तेमाल ब्रेक फ्लूइड, पेंट और कई तरह के एंटीफ्रीज प्रोडक्ट्स में किया जाता है। यह दवा में इस्तेमाल करने के लिए नहीं होता और मानव शरीर के लिए जहर के समान है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसकी थोड़ी मात्रा किडनी को बर्बाद कर सकती है और ज्यादा मात्रा मौत तक का कारण बन सकती है। सबसे खतरनाक बात यह थी कि जिस बैच की जांच हुई, उसमें DEG की मात्रा सुरक्षित सीमा से कई गुना ज्यादा थी। यहीं से यह साफ हो गया कि यह मामला सिर्फ एक साधारण गलती की वजह से नहीं, बल्कि घातक लापरवाही के कारण हुआ।

Cough-Syrup-Deaths-Inside

पहले भी आए हैं DEG के कारण मौत के मामले

DEG के कारण मौत का ये अकेला मामला नहीं है। कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटनाएं दुनिया भर में पहले भी हो चुकी हैं, जिनमें मुख्य रूप से डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीले केमिकल का इस्तेमाल पाया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, 2022 में अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारत में बनी कफ सिरप से करीब 70 बच्चों की मौत हुई थी, और उसी साल उज़्बेकिस्तान में भी ऐसी ही घटना में 20 बच्चों ने अपनी जान गंवाई थी। भारत में भी ऐसे मामले पहले सामने आए हैं, जैसे 1986 में मुंबई के एक अस्पताल में दूषित ग्लिसरीन के कारण 21 मरीजों की मौत हुई थी, जिसमें 18.5% DEG पाया गया था। इसके अलावा हाल ही में 2019-20 में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर जिले में एक कफ सिरप से 12 बच्चों की जान चली गई थी। ये सभी घटनाएं दवा कंपनियों की लापरवाही और नियामक तंत्र की कमजोरी को उजागर करती हैं। WHO इस बारे में पहले भी कई बार चेतावनी जारी कर चुका है। 

डॉक्टर क्या कह रहे हैं?

इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद पेरेंट्स के मन में सबसे बड़ा डर यही है कि क्या अब हम बच्चों को कफ सिरप भी नहीं दे सकते? इस विषय पर विशेषज्ञ भी चिंता जता रहे हैं। गुरुग्राम के Paras Health में कॉन्सल्टेंट, इंफेक्शियस डिजीज विशेषज्ञ डॉ आकाशनील भट्टाचार्य इस मामले पर कहते हैं, “Coldrif cold syrup आमतौर पर खांसी और गले की खराश में दी जाती है, लेकिन हाल की जांचों में कुछ बैचों में Diethylene Glycol (DEG) मिला है। यह एक औद्योगिक केमिकल है जो दवा में नहीं होना चाहिए। DEG शरीर के लिए जहरीला होता है और यह किडनी फेलियर, नर्व सिस्टम डैमेज और गंभीर मामलों में बच्चों की मौत तक का कारण बन सकता है। यह घटना दिखाती है कि दवा निर्माण और गुणवत्ता जांच में गंभीर कमियां हैं। माता-पिता को बिना डॉक्टर की सलाह बच्चों को कोई भी कफ सिरप नहीं देना चाहिए।” डॉ भट्टाचार्य साफ कहते हैं कि खांसी की दवा हमेशा सुरक्षित नहीं होती। खासकर बच्चे दवा में मौजूद टॉक्सिक तत्वों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।

इसी मुद्दे पर Regency Health Kanpur के Neonatology विभाग में Consultant & Incharge डॉ आशीष सिन्हा कहते हैं, "दो साल से कम उम्र के बच्चों को ओवर-द-काउंटर (OTC) खांसी की दवा देना सुरक्षित नहीं है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक परामर्श जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं न तो लिखी जाएं और न ही दी जाएं। आमतौर पर ये दवाएं पांच साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए, और पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों में इनका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही किया जाना चाहिए।"

क्या बच्चों को खांसी की दवा देनी ही नहीं चाहिए?

हमने डॉ आशीष सिन्हा से सवाल किया कि क्या बच्चों को कुछ खास ब्रांड्स की दवाएं देना असुरक्षित है या कोई भी दवा नहीं देनी चाहिए? इसके जवाब में डॉक्टर कहते हैं, "ये सुरक्षा चिंता किसी एक ब्रांड तक सीमित नहीं हैं, बल्कि खांसी की दवा में मौजूद तत्वों और उनके असर से जुड़ी हैं। दो साल से छोटे बच्चों को कोई भी ओवर-द-काउंटर (बिना डॉक्टर की सलाह वाली) खांसी या जुकाम की दवा नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इनमें मौजूद कुछ तत्व गंभीर साइड इफेक्ट्स जैसे दौरे पड़ना, तेज धड़कन या मौत तक का कारण बन सकते हैं। ऐसे में माता-पिता को हमेशा डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा देनी चाहिए। छोटे बच्चों को खांसी होने पर प्राकृतिक या घरेलू उपाय ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं।"

बच्चे को खांसी होने पर क्या करें?

नई दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित Cloudnine Group of Hospitals के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक चोपड़ा कहते हैं, “अगर हम बात करें खांसी और जुकाम की तो छोटे बच्चों को पहले दो साल में 8 से 10 बार ये समस्याएं होना आम है। अगर बच्चे को साधारण जुकाम है, तो सबसे सुरक्षित और असरदार इलाज है नाक में डालने वाली सलाइन ड्रॉप्स। या फिर आप बच्चे को अपने गोद पर लिटाकर थोड़े दूर से स्टीम दे सकते हैं। बात करें अगर खांसी की तो 5 साल से कम के बच्चों को कफ सिरप नहीं देनी चाहिए। ये सेफ नहीं होती हैं। सबसे सुरक्षित और असरदार चीज है बच्चों के लिए शहद. लेकिन यह भी 1 साल से छोटे बच्चे को नहीं देना चाहिए। लेकिन एक साल से बड़े बच्चे को आप शहद को हल्के गुनगुने पानी में डालकर सुबह और शाम पिला सकते हैं। इसके अलावा आप शहद में थोड़ा अदरक का रस या नींबू क रस डालकर शिशु को दिन में दो से तीन बार दे सकते हैं।”

इसे भी पढ़ें: अब दो साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दे सकते Cough Syrup, डॉक्टर से जानें इस स्थिति में क्या करें?

बच्चे की खांसी घरेलू उपायों से ठीक न होने पर क्या करें?

डॉ अभिषेक चोपड़ा कहते हैं, “अगर आपको लगे कि घरेलू उपायों से बच्चे को खांसी में आराम नहीं मिल रहा है। बच्चा काफी सुस्त है, कुछ खा-पी नहीं पा रहा या बच्चे की सांस बहुत तेज हो रही है, तो आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ध्यान रखें कि किसी केमिस्ट से ओवर द काउंटर कफ सिरप लेकर बच्चे को न पिलाएं। बच्चे को सिर्फ वही कफ सिरप दें, जो डॉक्टर ने लिखी हो और उतनी ही मात्रा में दें, जितना डॉक्टर ने बताया हो, क्योंकि डॉक्टर बेबी के वेट के हिसाब से पूरा डोज कैलकुलेट करते हैं। उसके बाद ही कफ सिरप लिखते हैं।”

कुल मिलाकर कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत के ये मामले दुखद तो हैं ही, लेकिन एक चेतावनी भी हैं कि किसी भी बीमारी में दवा खुद-ब-खुद लेने के बजाय, डॉक्टर की राय लेनी बहुत जरूरी है। खासकर बच्चों के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है। इसके अलावा सरकार और स्वास्थ्य विभागों के लिए भी ये एक चेतावनी है कि दवा बनाने वाली कंपनियों पर कड़ी निगरानी रखें और समय-समय पर जांच के द्वारा इन्हें सही और सुरक्षित दवाएं बनाने के लिए प्रेरित करें।

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  • Oct 14, 2025 17:47 IST

    Modified By : Anurag Gupta
  • Oct 14, 2025 17:47 IST

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  • Oct 14, 2025 17:47 IST

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