
हर कपल के लिए माता-पिता बनना एक सुखद एहसास होता है। नए मेहमान के आने की खुशी में माता-पिता न जाने कितने सपने बुनते हैं, लेकिन डर भी साथ-साथ चलता है कि कहीं शिशु की परवरिश या देखभाल में उनसे कोई भूल न हो जाए। 29 वर्षीय अर्चना साहू की भी यही स्थिति रही जब वह पहली बार मां बनीं। अर्चना रांची की रहने वाली हैं और हाल ही में उन्होंने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया है। शिशु को जन्म देने के बाद अक्सर कपल को शुरुआत में यह समझ नहीं आता कि वे बच्चे को कैसे संभाले, कैसे दूध पिलाएं या कैसे सुलाएं? अर्चना भी इसी उलझन में थीं, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि शिशु को ब्रेस्टफीड कैसे कराना है? नई मांओं के साथ अक्सर ऐसी समस्या आती है तब काम आते हैं उन मांओं के अनुभवों को जानना जो पहले इस दौर से गुजर चुकी हैं। ओनलीमायहेल्थ आज आपके साथ साझा करने जा रहा है ब्रेस्टफीडिंग का अनुभव, उससे जुड़ी समस्याएं और डॉक्टर गाइडेंस ताकि अर्चना जैसी नई मांओं तक शिशु की देखभाल से संबंधित जानकारी पहुंंचाई जा सके। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. Tanima Singhal, Lactation Expert, Ma-Si Care Clinic, Lucknow से बात की।
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ब्रेस्टफीडिंग के बाद भी शिशु का पेट नहीं भरता था

अर्चना ने बताया कि वह पहली बार मां बनकर बेहद खुद थीं। शिशु के होने के बाद उनके सामने एक चुनौती आई और वो थी ब्रेस्टफीडिंग। अर्चना ने बताया कि उन्हें शिशु को दूध पिलाने का सही तरीका पता नहीं था और न ही उन्हें दूध कम बनने की वजह समझ आ रही थी। हर बार ब्रेस्टफीडिंग सेशन के बाद वह यह महसूस करतीं कि शिशु संतुष्ट नहीं है। वह रोता रहता और यह देखकर अर्चना को बेहद दुख हुआ।
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शिशु को फार्मूला मिल्क देना पड़ा
अर्चना ने बताया कि शिशु होने के कुछ हफ्तों तक भी जब उन्हें स्तनपान कराने में सहज महसूस नहीं हुआ, तो उन्होंने शिशु को फार्मूला मिल्क देना शुरू किया। अर्चना यह बताते हुए भावुक हो गईं और बताया कि कोई मां नहीं चाहती कि उसके होते हुए शिशु को फार्मूला मिल्क पीना पड़े। उनके मन में बार-बार यह सवाल आता था कि क्या वह अपने बच्चे के लिए काफी नहीं हैं? अर्चना के पति ने उन्हें सलाह दी कि डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। बस फिर क्या था, अर्चना ने देर किए बगैर लैक्टेशन एक्सपर्ट के साथ अपॉइंटमेंट बुक कर ली।
लैक्टेशन एक्सपर्ट से संपर्क किया

अर्चना ने बताया कि पति की सलाह मानकर उन्होंने लखनऊ मां-सी केयर क्लिनिक की डायरेक्टर और लैक्टेशन एक्सपर्ट डॉ. तनिमा सिंघल से संपर्क किया। डॉ. तनिमा की टीम ने अर्चना को ऑनलाइन सलाह दी। डॉ. तनिमा सिंघल की टीम से डॉ. इरा और डॉ. श्रुति ने अर्चना को लैक्टेशन सलाह दी। डॉक्टर के जरिए अर्चना को लैच कराने का सही तरीका पता चला। अर्चना ने सीखा कि उन्हें पंप कब करना है, कितनी देर और कैसे करना है? अर्चना ने अलग-अलग लैचिंग पोजीशन भी सीखीं।
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एक्सपर्ट के डाइट प्लान से मिल्क सप्लाई बढ़ाने में मदद मिली
अर्चना ने बताया कि डॉ. श्रुति ने उनके लिए खास डाइट प्लान तैयार किया जिससे उन्हें मिल्क सप्लाई को बढ़ाने में काफी मदद हुई। अर्चना ने बताया कि उनकी डाइट में प्रोटी, आयरन और कैल्शियम से भरपूर फूड्स शामिल थे। साथ ही हाइड्रेशन का भी खास ध्यान रखा गया था ताकि शरीर में पोषण की कमी न हो। अर्चना ने बताया कि डाइट मेरी पसंद के मुताबिक थी और उसमें घर पर बनी चीजों पर खास फोकस किया गया था।
एक महीने में ब्रेस्टफीडिंग आसान लगने लगी
अर्चना ने बताया कि उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ डाइट प्लान फॉलो किया, नियमित पंपिंग की और बार-बार शिशु को ब्रेस्टफीड करवाया। सिर्फ एक महीने में अर्चना शिशु को ठीक से स्तनपान कराने लगीं। अर्चना ने इस पल को याद करते हुए बताया कि यह पल उनके लिए किसी जीत से कम नहीं था। दो महीने के शिशु को ठीक से ब्रेस्टफीड कराने के बाद अर्चना ने खुद को लकी मॉम कहा।
नई मांओं के लिए अर्चना का संदेश
अर्चना ने बताया कि उनका बेटा 21 अगस्त 2025 को पैदा हुआ था। लैक्टेशन एक्सपर्ट से सलाह के दौरान उनका बेटा दो महीने का था। अर्चना ने बताया उन्हें अपने अनुभव के आधार पर यह समझ आया कि अगर वह ब्रेस्टफीड करवा सकती हैं, तो कोई भी मां ऐसा कर सकती है। शिशु को ठीक से ब्रेस्टफीड करवाने के लिए नई मांएं धैर्य रखें, सही गाइडेंस लें और चुनौतियों का डटकर सामना करें।
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लैक्टेशन एक्सपर्ट की राय- Lactation Expert Opinion On Breastfeeding
- Maa-Si Care क्लिनिक की लैक्टेशन एक्सपर्ट डॉ. तनिमा सिंघल बताती हैं कि-
अधिकांश नई मांओं को लगता है कि उनका दूध कम है, जबकि असल समस्या सही लैचिंग और फीडिंग फ्रीक्वेंसी की होती है। ब्रेस्टफीडिंग एक नेचुरल प्रोसेस है, लेकिन इसके लिए सही गाइडेंस बहुत जरूरी होती है।
- वह आगे कहती हैं कि-
मां का दूध बढ़ाने का सबसे असरदार तरीका है बार-बार ब्रेस्ट को स्टिमुलेट करना। पंपिंग और फ्रीक्वेंट फीडिंग से शरीर को साफ संदेश जाता है कि दूध की मांग है और उसी हिसाब से सप्लाई बढ़ती है।
- डॉ. तनिमा सिंघल के अनुसार-
नई मांओं को खुद पर शक नहीं करना चाहिए। सही डाइट, सही पोजीशन और थोड़े धैर्य से लगभग हर मां अपने बच्चे को सफलतापूर्वक एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीड करा सकती है।
नई मांओं के लिए एक्सपर्ट का संदेश- Message For New Mothers From Expert
डॉ. तनिमा सिंघल कहती हैं-
अगर बच्चा बार-बार रो रहा है या फीड के बाद भी संतुष्ट नहीं लग रहा, तो तुरंत यह न मान लें कि दूध कम है। समय रहते लैक्टेशन एक्सपर्ट से सलाह लेने पर समस्या को शुरुआती दौर में ही सुलझाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
अगर आप भी नई मां हैं और ब्रेस्टफीडिंग में परेशानी महसूस कर रही हैं, तो खुद को दोष न दें। मदद लेना कमजोरी नहीं, समझदारी है। सही काउंसलिंग आपकी और आपके बच्चे की जिंदगी बदल सकती है।
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FAQ
ब्रेस्टफीडिंग के क्या फायदे हैं?
ब्रेस्टफीडिंग से शिशु की इम्यूनिटी मजबूत होती है, पाचन बेहतर होता है और इंफेक्शन एवं बीमारियों का खतरा कम होता है। मां की सेहत के लिए भी स्तनपान फायदेमंद है।ब्रेस्टफीडिंग की बेस्ट पोजीशन क्या है?
क्रैडल होल्ड, क्रॉस क्रैडल और फुटबॉल होल्ड सबसे अच्छी ब्रेस्टफीडिंग पोजीशन मानी जाती हैं। सही पोजीशन से दर्द कम होता है और बच्चे को पर्याप्त दूध मिल पाता है।ब्रेस्टफीडिंग कब तक करनी चाहिए?
डब्लूएचओ के अनुसार, छह महीने तक शिशु को केवल ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए। इसके बाद दो साल या उससे ज्यादा समय तक भी आहार के साथ ब्रेस्टफीडिंग जारी रख सकते हैं।
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Dec 21, 2025 07:00 IST
Published By : Yashaswi Mathur