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बच्चे को फॉर्मूला मिल्क नहीं देना चाहती थीं रितु, ओट्स से बढ़ाया ब्रेस्ट मिल्क, जानें उनका अनुभव

World Breastfeeding Week के मौके पर हम लेकर आए हैं रितु सिंह की ब्रेस्टफीड जर्नी, जानिए उनका पहली बार मां बनने और ब्रेस्टफीड का अनुभव।
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बच्चे को फॉर्मूला मिल्क नहीं देना चाहती थीं रितु, ओट्स से बढ़ाया ब्रेस्ट मिल्क, जानें उनका अनुभव


साल की शुरूआत इतनी खूबसूरत होगी, ये मैंने कभी नहीं सोचा था। 17 जनवरी को जब मैंने अपनी बेटी को गोद में लिया तो मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे। उस समय मैं अपनी मां को याद कर रही थी कि मेरी मां ने भी कुछ ऐसी ही खुशी अनुभव की होगी, जब मेरा जन्म हुआ होगा। मैं अपनी बेटी आन्या को बहुत समय तक देखती रही कि इस नन्हीं सी जान को मैंने जन्म दिया है। ऐसे इमोशन्स और खुशी मैंने शायद कभी महसूस नहीं की थी। ये मेरे लिए सबसे यादगार पल था। इन्हीं खूबसूरत पलों के साथ शुरू हुई मेरी और मेरी बेटी की ब्रेस्टफीड जर्नी। 

दरअसल, मेरे लेबर पैन आर्टिफिशल थे, तो शुरूआती कुछ दिन तक ब्रेस्ट मिल्क नहीं बना। इसी वजह से बेटी को फॉर्मूला मिल्क दिया गया। मैं भी थोड़ा परेशान थी कि आखिर ब्रेस्ट मिल्क क्यों नहीं बन रहा। डॉक्टर या नर्स किसी ने नहीं बताया कि बच्ची को लैच कराओ तो ब्रेस्ट मिल्क बनना शुरू हो जाएगा। मैं भी पहली बार मां बनी थी, तो मुझे भी कोई खास अंदाजा नहीं था, लेकिन 1-2 दिन बाद मेरी जिद रही कि मुझे अपनी बेटी को ब्रेस्टफीड पर ही रखना है। मैं लगातार अपनी बेटी को लैच कराती रही और नतीजा भी खुश कर देने वाला निकला। मेरी बेटी पूरी तरह से ब्रेस्ट मिल्क पर ही निर्भर हो गई और हमने उसका फॉर्मूला दूध बिल्कुल बंद कर दिया। इससे एक फायदा ये भी हुआ कि मैं अपनी बेटी के साथ कहीं भी आ जा सकती थी, उसके लिए अलग से फॉर्मूला दूध का पाउडर या गर्म पानी आदि लेकर जाने का झंझट नहीं था।

डॉक्टर की सलाह आई काम

सब कुछ सही चल रहा था, मुझे पोस्टपार्टम डिप्रेशन जैसी समस्याएं से भी दोचार नहीं होना पड़ा क्योंकि घर पर मेरे सास-ससुर और पति अनुपम का सपोर्ट मिल रहा था। बेटी को संभालने की जिम्मेदारी घर में सभी ने ले ली थी। लेकिन आन्या की एक आदत ने फिर थोड़ा परेशानी में डाला। वह हमेशा ही दाई तरफ से ब्रेस्टफीड करती थी। जब भी मैं उसे बाई तरफ से करवाने की कोशिश करती, तो उसका रोना शुरू हो जाता। इससे मैं काफी परेशान हो गई थी क्योंकि बाई तरफ गांठ बनने या दूध न बनने की समस्या आ सकती थी। 

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इस परेशानी को जब मैंने अपने डॉक्टर के साथ साझा किया तो उन्होंने काफी अच्छी सलाह दी। उन्होंने कहा कि आप बाई तरफ ब्रेस्ट मिल्क को पंप से निकालकर बेटी को दें। साथ ही डाइट में ओट्स लें और हाइड्रेट रहे। ज्यादा पानी पीने से ब्रेस्ट मिल्क बनने में मदद मिलती है। मैंने उनकी सलाह को फॉलो किया और महसूस किया कि ज्यादा पानी पीने से भूख भी कम लगती है। इससे मेरी बिना वजह कुछ भी खा लेने की आदत कम हो गई। मुझे लगता है कि महिलाओं का डिलीवरी के बाद वजन कम हो जाता है, लेकिन ब्रेस्टफीड के दौरान पानी कम पीने से भूख बढ़ती है। इसी वजह से बार-बार खाने की तलब उठती है और वजन बढ़ता है। 

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ऑफिस ज्वाइन करने से पहले की तैयारी 

आन्या 6 महीने की बस होने ही वाली थी और मेरे ऑफिस ज्वाइन करने का समय आ गया था। मैंने उसके लिए पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। आन्या को हमने सॉलिड फूड जैसे फलों को मैश करना, दाल का पानी देना शुरू कर दिया था। इससे ब्रेस्ट मिल्क की निर्भरता थोड़ी कम हो गई थी। ऑफिस जाने से पहले मैं ब्रेस्ट मिल्क को पंप से निकालकर फ्रिज में रख देती हूं। जब भी उसे जरूरत होती है, तब उसे दे देते हैं। 

ब्रेस्टफीड और खाने-पीने की तो कोई समस्या नहीं है, बस मैं उसके उन पलों को मिस करती हूं जो मैंने अपने शुरूआती 6 महीनों में देखे थे। अब उसकी छोटी-छोटी शरारतों को सबसे ज्यादा मिस करती हूं। ब्रेस्टफीड को लेकर मुझे कोई खास दिक्कत नहीं होती।

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नई मांओं के लिए संदेश

मैंने अपने अनुभव से यही महसूस किया है कि कभी भी बच्चे को फॉर्मूला मिल्क ये सोचकर मत दो कि मैं ब्रेस्टफीड नहीं करवा पा रही हूं। शिशु को बार-बार लैच कराओ ताकि उसे समझ आए कि दूध कैसे पीना है। एक बार बच्चा लैच करना सीख लेता है, तो ब्रेस्ट में दूध भी बनने लगता है। बस थोड़ा धीरज रखने की जरूरत है, बाकी सब समय के साथ धीरे-धीरे हो जाता है। 

 

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