हर साल 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है लोगों को जागरूक करना कि याददाश्त से जुड़ी बीमारियां केवल उम्र बढ़ने का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो सकते हैं। अल्जाइमर दुनिया भर में डिमेंशिया का सबसे बड़ा कारण माना जाता है और इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। आज के समय में ज्यादातर लोगों की लाइफस्टाइल अनहेल्दी है और खानपान भी बिगड़ा हुआ है, ऐसे में डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां भी एक गंभीर समस्या है। डायबिटीज के शिकार लोगों में कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, कई लोगों का सवाल होता है कि क्या डायबिटीज से अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने एशियन हॉस्पिटल की एसोसिएट डायरेक्टर और हेड-न्यूरोलॉजी, डॉ. नेहा कपूर(Dr. Neha Kapoor, Associate Director & Head-Neurology, Asian Hospital) से बात की-
क्या डायबिटीज से अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है? - Does Diabetes Increase Risk Of Alzheimer
डॉ. नेहा कपूर, एसोसिएट डायरेक्टर एवं हेड-न्यूरोलॉजी, एशियन हॉस्पिटल का कहना है कि डायबिटीज और अल्जाइमर के बीच एक गहरा संबंध देखा गया है। लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित रहने पर मस्तिष्क की रक्त वाहिकाए यानी ब्लड वैसेल्स कमजोर हो जाती हैं। इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और याददाश्त पर नकारात्मक असर पड़ता है। अल्जाइमर में धीरे-धीरे स्मृति, सोचने की क्षमता और व्यवहार (Who is most at risk for Alzheimer's) पर असर पड़ने लगता है। शुरुआती दौर में मरीज को चीजें याद रखने में दिक्कत होती है, लेकिन समय के साथ यह समस्या गंभीर हो जाती है और रोजमर्रा के कामकाज करने की क्षमता पर भी असर डालती है।
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जब डायबिटीज जैसी मेटाबॉलिक बीमारी इसमें जुड़ जाती है तो स्थिति और बिगड़ जाती है। ब्लड शुगर का असंतुलन मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और ब्रेन फंक्शन पर सीधा असर (How can diabetes cause Alzheimer's) डालता है।
डॉक्टर की राय
डॉ. नेहा कपूर का कहना है, ''लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर लेवल मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को कमजोर करता है, जिससे स्मृति से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं। डायबिटीज के रोगियों को सिर्फ ब्लड शुगर पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि ब्रेन हेल्थ की भी देखभाल करनी चाहिए।'' डॉ. नेहा कपूर का मानना है कि नियमित स्वास्थ्य जांच, डॉक्टर की सलाह और लाइफस्टाइल में सुधार से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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बचाव के उपाय
डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे सिर्फ ब्लड शुगर कंट्रोल पर ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पर भी ध्यान दें।
- दवा, डाइट और नियमित मॉनिटरिंग से शुगर लेवल को कंट्रोल रखना सबसे जरूरी है।
- रोजाना 30-40 मिनट तक वॉकिंग, योग या हल्की एक्सरसाइज करना दिमाग और शरीर दोनों के लिए लाभकारी है।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड, हरी सब्जियां, फल और साबुत अनाज का सेवन ब्रेन हेल्थ के लिए अच्छा है।
- अच्छी नींद से मस्तिष्क को आराम मिलता है और याददाश्त बेहतर रहती है।
- किताब पढ़ना, पजल हल करना या कोई नई स्किल सीखना दिमाग को एक्टिव रखता है।
- मेडिटेशन और रिलेक्सेशन तकनीक से तनाव कम करके मस्तिष्क की सेहत सुधारी जा सकती है।
निष्कर्ष
डायबिटीज और अल्जाइमर दोनों ही गंभीर बीमारियां हैं, लेकिन जब ये साथ आती हैं तो मरीज के लिए चुनौती और बड़ी (Does diabetes lead to Alzheimer's) हो जाती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को चाहिए कि वे न सिर्फ ब्लड शुगर लेवल पर ध्यान दें बल्कि अपने मस्तिष्क की सेहत को भी प्राथमिकता दें। नियमित जांच, हेल्दी लाइफस्टाइल और डॉक्टर की सलाह मानकर अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है।
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FAQ
क्या अल्जाइमर सिर्फ बुजुर्गों को ही होता है?
नहीं, हालांकि इसका खतरा उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा होता है, लेकिन डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अनहेल्दी लाइफस्टाइल वाले लोगों में यह जल्दी भी हो सकता है।अल्जाइमर की शुरुआती पहचान कैसे करें?
चीजें बार-बार भूलना, रोजमर्रा के कामों में कठिनाई, बातचीत में शब्द याद न आना और बार-बार एक ही सवाल पूछना इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं।अल्जाइमर से बचाव के लिए कौन-सी आदतें अपनानी चाहिए?
नियमित एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट, पर्याप्त नींद, तनाव कंट्रोल और मानसिक रूप से एक्टिव रहना बेहद फायदेमंद हैं।
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Sep 17, 2025 12:17 IST
Modified By : आकांक्षा तिवारीSep 17, 2025 12:13 IST
Published By : आकांक्षा तिवारी