
Delhi NCR AQI: दिल्ली-एनसीआर की हवा इस समय जहरीली हो चुकी है और आज सुबह की बात करें तो दिल्ली का एक्यूआई 452 दर्ज किया गया है। कुछ इलाकों में एक्यूआई इंडेक्स 500 के करीब था, ऐसे में स्थिति को देखते हुए सरकार ने दोबार से GRAP-4 लागू कर दिया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि इस प्रदूषित हवा में सांस लेने के साथ आप कई जहरीली गैस को इनहेल कर रहे हैं। दरअसल, आपने इस बात की कल्पना तक नहीं की होगी कि हर सांस के साथ आप किन-किन जहरीले कंपाउंड्स को शरीर में जमा कर रहे हैं। इसलिए हमने Dr. Sunil Kumar K, Lead Consultant - Interventional Pulmonology, Aster CMI Hospital, Bangalore से बात की जिन्होंने बताया कि ये जहरीली गैस कौन सी है और इनका आपकी सेहत पर कैसा असर हो सकता है?
इस पेज पर:-
ये 8 जहरीली गैसें कर रही हैं शरीर को बर्बाद-Major Gaseous Pollutants effects on body
Dr. Sunil Kumar K बताते हैं कि इस प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ रहा है जिसकी सबसे बड़ी जिम्मेदार हैं 8 जहरीली गैस। दरअसल, हर सांस के साथ आप इन्हें इनहेल कर रहे हैं और यही इम्यूनिटी कमजोर हो रही हैं, टिशूज और सेल्स में सूजन बढ़ रही हैं और फिर इसका असर शरीर के कई अंगों पर व्यापक तरीके से देखा सकता है। जैसे कि
1. सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (Suspended Particulate Matter)
सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर असल में PM 2.5 वाले कण हैं जो कि 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे कण होते हैं और फेफड़ों और खून में गहराई तक जाकर मिल सकते हैं। ये धूल, धुआं और फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं में पाए जाते हैं। ये प्राकृतिक प्रक्रियाओं से हवा में फैलते हैं और इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखते नहीं हैं पर हर सांस के साथ खून में मिलकर जमा होने लगते हैं।
इसे भी पढ़ें: ठंडी हवा और प्रदूषण कैसे बढ़ाते हैं सीओपीडी के लक्षण? डॉक्टर से जानें
2. नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) ईंधन के दहन से उत्पन्न गैसें जैसे NO और NO2 से मिलकर तैयार होता है जो सांस से संबंधी समस्याओं और एसिडिक रेन का कारण बनती है। इसकी वजह से आपके टिशूज और नर्व तक डैनेज हो सकते हैं और लंबे समय शरीर में जमा होने पर ये कैंसर की वजह बन सकती है।
| वायु प्रदूषण में मौजूद जहरीली गैस | सेहत पर असर |
| सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (Suspended Particulate Matter) | आंख और नाक में जलन, दिल की बीमारियों का खतरा, श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस को ट्रिगर करना, किडनी और लिवर डैमेज कर सकती है |
| नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) | ये बहुत रिएक्टिव गैस है जो कि टिशूज को डैमेज करने के साथ नर्व डैमेज का भी कारण बनता है। |
| कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) | इस गैस में सांस लेने से सिर दर्द , आंखों में दर्द और सीने में जलन की समस्या हो सकती है। |
| सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) | अस्थमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों को बदतर बनाने के साथ बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा करने की वजह बन सकती है। |
| ओजोन (O3) | ये फेफडों को नुकसान पहुंचाने के साथ लंबे समय तक शरीर के कई अंगों से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है। |
| वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (Volatile Organic Compounds) | आंखें, नाक, और गले में जलन के साथ सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, पेट खराब होना और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान हो सकता है। |
| कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) | सिरदर्द, हाई बीपी, नींद न आना, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत के साथ अंत में आप बेहोशी के शिकार भी हो सकते हैं। |
| मीथेन (CH4) | इस गैस की वजह से आपको सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है। |
3. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
ये कार, ट्रक, जनरेटर जैसे गैसोलीन या डीजल इंजन से निकले वाली गैस है जो कि जो आंखों के लिए नुकसानदेह है। इतना ही नहीं इसकी वजह से आपको चक्कर आ सकते हैं, सिर दर्द हो सकता है और सीने में दर्द की समस्या भी हो सकती है। इतना ही नहीं ये उन लोगों के लिए बेहद खतरनाक है जिन्हें पहले से ही दिल की बीमारी रही हो।
4. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
ये जीवाश्म ईंधन जलाने से उत्पन्न होती है, जो फेफड़ों में जलन पैदा करती है और एसिडिक रेन का कारण बनती है। ये पौधों के साथ इंसान के शरीर को नुकसान पहुंचाती है। इसकी वजह से नाक, गले और फेफड़ों में जलन हो सकती है। इसके अलावा ये खांसी, बलगम, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ और सीने में जकड़न को ट्रिगर कर सकती है।
5. ओजोन (O3)
सूर्य के प्रकाश में NOx और VOCs की प्रतिक्रिया से जमीनी स्तर पर ओजोन (स्मॉग) बनता है, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इतना ही नहीं ये इम्यूनिटी कमजोर करने के साथ सेहत को लंबे समय में प्रभावित कर सकता है यानी कि भले ही कोई बीमारी आपको आज न हुई हो लेकिन आगे चलकर आपको हो कती है।
इसे भी पढ़ें: प्रदूषण में एयर प्यूरिफायर का काम करेंगे ये पौधे, साफ कर देंगे घर के अंदर की हवा
6. वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (Volatile Organic Compounds in hindi)
पेंट और ईंधनों से निकलने वाले ये कैमिकल्स रिएक्ट करके स्मॉग बनाते हैं। इससे आंख, नाक और गले में जलन के साथ सिरदर्द, चक्कर आना, मतली और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से लिवर, किडनी, और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है।
7. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
जीवाश्म ईंधनों को जलाने से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैस, जो वैश्विक तापमान वृद्धि में योगदान करती है। बंद या खराब हवादार जगहों जैसे घर, ऑफिस, स्कूल में ज्यादा लोगों के होने पर भी हवा में इसकी मात्रा बढ़ जाती है। इससे सिरदर्द, हाई बीपी, चक्कर आना, थकान, उनींदापन, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत के साथ बेहोशी भी हो सकती है।
8. मीथेन (CH4)
कृषि और जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न होने वाली एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जो कि वायु प्रदूषण में मिला रहता है। इससे सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इतना ही नहीं, आपको भ्रम, कमजोरी और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
डॉ. सुनील बताते हैं कि वायु प्रदूषण फेफड़ों और हृदय में सूजन, जलन और दीर्घकालिक क्षति का कारण बनते हैं। अस्थमा, हृदय रोग, डायबिटीज से पीड़ित लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को इसका अधिक खतरा होता है। इसलिए, निष्कर्ष सीधा है प्रदूषित हवा के लंबे समय संपर्क में रहना खतरनाक है। ऐसे में मास्क का उपयोग करना, एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना, प्रदूषण के चरम समय में बाहरी गतिविधियों को सीमित करना और नियमित रूप से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की जांच करना आपके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। डॉक्टर होने के नाते, हम सभी से प्रदूषण को गंभीरता से लेने का आग्रह करते हैं क्योंकि स्वच्छ हवा स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है।
यह विडियो भी देखें
FAQ
वायु प्रदूषण से शरीर पर क्या असर पड़ता है?
वायु प्रदूषण से शरीर के अंदर रिएक्टेंट की तरह काम करते हैं और फेफड़े और दिल की बीमारियों को ट्रिगर करते हैं। इतना ही नहीं ये फेफड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारियों को भी ट्रिगर कर सकता है।वायु से फैलने वाली कौन सी बीमारियां हैं?
वायु प्रदूषण की वजह से आप अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी की समस्या ट्रिगर कर सकती है। इसके अलावा कुछ लोगों को इससे दिल की बीमारी हो सकती है।हृदय स्वास्थ्य को वायु प्रदूषण कैसे प्रभावित करता है?
वायु प्रदूषण की वजह से आपको एथेरोस्क्लेरोसिस की दिक्कत हो सकती है जिसमें धमनियों की दीवार सकड़ी हो जाती है और ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और हाई बीपी की समस्या होने लगती है।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version
Dec 15, 2025 13:12 IST
Published By : Pallavi Kumari