
Delhi aqi today: दिवाली के बाद दिल्ली-एसीआर की हवा बेहद जहरीली हो गई है। आज सुबह कई इलाकों में एक्यूआई इंडेक्स 500 पार था। बता दें कि एक्यूआई इंडेक्स का ये ग्राफ (aqi index graph) पिछले 5 दिनों में लगातार बढ़ता जा रहा है। अगर हर साल के ग्राफ पर एक नजर दौड़ाएं तो अक्टूबर और नवंबर में एक्यूआई इंडेक्स बढ़ता-घटता रहता है। समझने वाली बात ये है कि इस बढ़ते-घटते का सेहत पर कैसा असर होता है ( impact of fluctuating AQI on health)? आप इस दौरान होने वाली समस्याओं से कैसे बच सकते हैं, जानते हैं इस बारे में Dr. Sunil Kumar K, Lead Consultant - Interventional Pulmonology, Aster CMI Hospital, Bangalore से।
National Centre for Disease Control (NCDC) के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), वातावरण में वायु प्रदूषकों के मानदंड का एक तरीका है जिसे संतोषजनक, मध्यम प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक के बिगड़ने पर, खासकर जब किसी क्षेत्र में यह 'खराब से गंभीर' की श्रेणी में हो, तो इसके संपर्क में आने वाले लोगों में सेहत से जुड़ी समस्याओं और मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है।
एक्यूआई इंडेक्स-Air Quality Index (AQI)# (Pollution level) | संभावित स्वास्थ्य परिणाम-Possible Health Consequences | सामान्य जनसंख्या के लिए सलाह-Advice for General Population | कमजोर जनसंख्या के लिए सलाह-Advice for Vulnerable Population |
Good (0-50) | कम जोखिम | कोई सावधानियां नहीं | विशेष कमजोर जनसंख्या के लिए कोई |
Satisfactory (51-100) | कमजोर जनसंख्या में सांस लेने में मामूली तकलीफ | कोई विशेष सावधानियां नहीं | लंबे समय तक या कठोर बाहरी शारीरिक श्रम कम करें |
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कमजोर जनसंख्या में सांस लेने या अन्य स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ | लंबे समय तक या कठोर बाहरी शारीरिक श्रम कम करें | लंबे समय तक या कठोर बाहरी शारीरिक श्रम से बचें |
Poor (201-300) | -लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले स्वस्थ लोगों में सांस लेने में तकलीफ -कम समय तक संपर्क में रहने वाले कमजोर जनसंख्या में सांस लेने या अन्य स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ |
बाहरी शारीरिक श्रम से बचें | बाहरी शारीरिक गतिविधियों से बचें |
Very Poor (301-400) | -लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले स्वस्थ लोगों में श्वसन संबंधी बीमारी जैसे अस्थमा, निमोनिया और सीओपीडी -कम समय के संपर्क में रहने वाले कमजोर लोगों में गंभीर श्वसन संबंधी या अन्य बीमारियां |
बाहरी शारीरिक गतिविधियों से बचें, खासकर सुबह और देर शाम के समय | घर के अंदर रहें और गतिविधि का स्तर कम रखें |
Severe (401-500) | -लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले स्वस्थ लोगों में श्वसन संबंधी बीमारी -कम समय के संपर्क में रहने वाले कमजोर लोगों में गंभीर बीमारियां जैसे हृदय रोग और मानसिक समस्याएं |
बाहरी शारीरिक गतिविधियों से बचें | घर के अंदर रहें और घर में एयर प्यूरीफाई लगवाएं |
बढ़ते-घटते AQI का सेहत पर असर-Impact of fluctuating AQI on health
बढ़ते-घटते एक्यूआई का सेहत पर गहरा असर पड़ता है। जब एक्यूआई कम रहता है तो आप एक स्थिर स्थिति में होते हैं और अचानक इसका बढ़ना शरीर के लिए किसी बड़े बदलाव जैसा होता है। ऐसे में आप बदलते एक्यूआई के अनुसार इसका असर देख सकते हैं। जैसे कि
-जब AQI 0-50 के बीच हो: वायु गुणवत्ता संतोषजनक मानी जाती है और वायु प्रदूषण से बहुत कम या कोई खतरा नहीं होता।
-जब AQI 51-100 के बीच हो: इसमें कुछ प्रदूषक वायु प्रदूषण के प्रति संवेदनशील लोगों को प्रभावित कर सकते हैं।
-जब AQI 101-150 के बीच हो: ये बीमार और सेंसिटिव लोगों लोगों के लिए बेहद नुकसानदेह है। इसमें कुछ लोग स्किन में खुजली, हल्का सिर दर्द और आंखों से जुड़ी समस्याएं महसूस कर सकते हैं।
-जब AQI 151-200 के बीच हो: इस दौरान हर किसी को स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव महसूस होने लग सकते हैं तथा संवेदनशील समूहों में ये कई फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को ट्रिगर कर सकता है। जैसे कि खराब वायु गुणवत्ता से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य पुरानी फेफड़ों की बीमारियां ट्रिगर कर सकती हैं। पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति में लक्षण और बिगड़ सकते हैं।
-जब AQI 201-300 के बीच हो: इस दौरान सभी को स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव होने लग सकते हैं और बच्चे और बुजुर्गों में गंभीर सेहत से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि थकान, सिरदर्द और आंखों, नाक और गले में जलन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
-जब AQI 301-500 के बीच हो: खराब वायु गुणवत्ता समग्र स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है। AQI बढ़ने पर हर किसी को लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस दौरान वायु प्रदूषण दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा सकता है। प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव हो सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से संज्ञानात्मक कार्य और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। कुछ लोगों को अवसाद और चिंता जैसी स्थितियां महसूस हो सकती हैं।
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लंबे समय तक खराब वायु गुणवत्ता का असर
लंबे समय तक खराब वायु गुणवत्ता में रहने से आंखों, नाक और गले में जलन, खांसी, घरघराहट, सीने में तकलीफ और तीव्र ऊपरी श्वसन संक्रमण जैसी गंभीर स्वास्थ्य प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। जो लोग बेहद सेंसिटिव होते हैं उनके निचले श्वसन पथ में सूजन और संक्रमण, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस का बढ़ना या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, इस्केमिक हृदय रोग और सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक जैसी पुरानी बीमारियों का बढ़ना जैसे अधिक गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
क्या है डॉक्टर का सुझाव?
Dr. Sunil Kumar K बताते हैं कि इस दौरान बाहरी गतिविधियों को सीमित करना चाहिए खासकर कि जैसे-जैसे AQI बढ़ रहा है। घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना हानिकारक कणों को फिल्टर करने में मदद मिल सकती है। खिड़कियां और दरवाजे बंद रखना आपको घर के अंदर की हवा को साफ रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा आप सेंसिटिव ग्रुप में आते हैं तो घर पर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। हाइड्रेटेड रहें, संक्रमण को कम करने के लिए हर्ब्स को डाइट में शामिल करें।
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बच्चों और मरीजों को जोरदार बाहरी एक्टिविटीज से बचना चाहिए। हृदय और फेफड़ों के मरीज समय पर अपनी दवाइयां लें और अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।
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Oct 21, 2025 13:11 IST
Published By : Pallavi Kumari