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बरसात में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) होने के क्या कारण हैं?

बारिश के मौसम में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज की समस्या को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि आप इसके होने के कारणों के बारे में पता लगाएं। आइए जानते हैं इसके होने के क्या कारण हैं 
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बरसात में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) होने के क्या कारण हैं?


क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) फेफड़ों की बीमारी है, जो मुख्य रूप से स्मोकिंग, वायु प्रदूषण और सांस से जुड़े इंफेक्शन के कारण होती है। यह बीमारी व्यक्ति के श्वसन मार्द को सिकोड़ सकते हैं, जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि बारिश के मौसम में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज की समस्या बढ़ सकती है। बरसात के मौसम में ये बीमारी ज्यादा गंभीर रूप ले लेती है, जिसमें इसके लक्षण बहुत ज्यादा नजर आने लगते हैं। बारिश के मौसम में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज की समस्या को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि आप इसके होने के कारणों के बारे में पता लगाएं। तो आइए अमर जैन अस्पताल WHC की पल्मोनरी, स्लीप मेडिसिन और एलर्जी विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. शिवानी स्वामी (Amar Jain Hospital WHC, Head of Department, Dept of Pulmonary, Sleep Medicine and Allergies, Dr. Shivani Swami) से जानते हैं कि बरसात में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के क्या कारण है? (barish me copd kyu hota hai)

बरसात में COPD के लक्षण क्यों बढ़ते हैं? - Why is COPD symptoms increase in monsoon in Hindi?

1. मौंसम में बढ़ती नमी

बारिश के मौसम में हवा में नमी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ज्यादा नमी फेफड़ों के काम करने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे श्वसन प्रणाली पर दबाव पड़ता है। नमी के कारण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ की समस्या बढ़ जाती है।

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2. वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा

बरसात के मौसम में वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा तेजी से फैलते हैं। ऐसे में COPD से पीड़ित व्यक्तियों की इम्यूनिटी पावर पहले से ही कमजोर होती है, जिससे उनके इंफेक्शन की चपेट में आने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है और यह अचानक COPD के लक्षणों को बिगाड़ सकते हैं।

3. वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी

बरसात के मौसम में सड़क पर कीचड़, कचरा और जलभराव के कारण हवा में सूक्ष्म कण और हानिकारक गैसें फैल जाती हैं। इतना ही नहीं औद्योगिक प्रदूषण (industrial pollution) और गाड़ियों का प्रदूषण (vehicular pollution) भी इस मौसम में बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस तरह के प्रदूषण अक्सर बरसात के मौसम में COPD के कारण एलर्जी और सांस लेने में दिक्कत की समस्या को बढ़ा देते हैं।

barish me copd kyu hota hai

4. घर के अंदर की नमी और फफूंदी

बारिश के कारण कई घरों में सीलन और फफूंदी जैसी समस्याएं हो जाती है, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले एलर्जी कारक पैदा कर सकती हैं। ये एलर्जी कारक COPD के मरीजों में इंफेक्शन और असुविधा का कारण बन सकते हैं।

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बरसात में COPD से कैसे बचाव करें? - How To Prevent COPD During Rainy Season in Hindi?

बारिश के मौसम में COPD से बचाव के लिए जरूरी है कि आप इन टिप्स को फॉलो करें-

  • घर में नमी को कम करने के लिए डिह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें।
  • नियमित रूप से कमरे की साफ-सफाई करें और फर्श को सूखा रखें।
  • हैवी ट्रैफिक वाले इलाकों में जाने से बचें।
  • अगर बरसात के मौसम में बाहर निकलना जरूरी हो तो फेस मास्क पहनें।
  • घर के पास कोई फैक्ट्री है तो आप अपने घर की खिड़कियाँ बंद रखें और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
  • बारिश के मौसम में गंदे पानी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
  • अपने हाथों को बार-बार धोएं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
  • COPD के लक्षणों को कंट्रोल करने या कम करने के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर इनहेल्र और अन्य दवाइयों का सेवन करें।

निष्कर्ष

बरसात का मौसम COPD मरीजों के लिए बहुत मुश्किलभरा हो सकता है, लेकिन थोड़ी सी सावधानी और सही देखभाल के साथ सही देखभाल भी जरूरी है, ताकि इस समस्या को कंट्रोल में रखा जा सके। इतना ही नहीं, COPD के लक्षण जैसे- सांस फूलने, सर्दी-जुकाम आदि समस्या बढ़ने पर आप इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।
Image Credit: Freepik 

FAQ

  • बारिश होने पर क्या-क्या परेशानी हो सकती है?

    बरसात के मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें बीमारियों का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस मौसम में एलर्जी, सर्दी-जुकाम, सांस से जुड़ी समस्या और फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के जोखिम कारक क्या हैं?

    क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के मुख्य जोखिम कारक स्मोकिंग, वायु प्रदूषण, और काम के स्थान पर धूल, धुएं या केमिकल के संपर्क में आना हैं।
  • सीओपीडी के 4 मुख्य लक्षण क्या हैं?

    क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के चार मुख्य लक्षणों में सांस लेने में मुश्किल, पुरानी खांसी, सांस लेने में घरघराहट और थकान शामिल है। ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और समय के साथ बिगड़ने लगते हैं।

 

 

 

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