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COPD मरीजों के लिए सेकेंडहैंड स्मोक कितना खतरनाक? जानें डॉक्टर की सलाह

COPD यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है। यहां जानिए, COPD मरीजों के लिए सेकेंडहैंड स्मोक कितना खतरनाक है?
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COPD मरीजों के लिए सेकेंडहैंड स्मोक कितना खतरनाक? जानें डॉक्टर की सलाह

यह सोचना जितना आसान लगता है, उतना ही खतरनाक होता है कि मैं तो धूम्रपान नहीं करता, फिर मुझे क्या खतरा? लेकिन सच यह है कि सिगरेट का धुआं सिर्फ उसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाता जो इसे पी रहा हो, बल्कि उसके आसपास मौजूद हर इंसान को धीरे-धीरे बीमार करता है। खासकर उन लोगों को, जो पहले से ही COPD जैसी गंभीर फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं। कल्पना कीजिए कि आप साफ हवा में सांस लेने की कोशिश कर रहे हों और अचानक किसी का धुआं आपकी सांसों में घुल जाए। यह धुआं COPD मरीज के फेफड़ों के लिए किसी जहर से कम नहीं। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद के क्लिनिकल और इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट सलाहकार डॉ. वाई. सोमा साई किरण (Dr. Y. Soma Sai Kiran is a Consultant Clinical and Interventional Pulmonologist) से जानिए, COPD मरीजों के लिए सेकेंडहैंड स्मोक कितना खतरनाक है?


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COPD मरीजों के लिए सेकेंडहैंड स्मोक कितना खतरनाक है? - How Dangerous Is Secondhand Smoke For People With COPD

डॉ. वाई. सोमा साई किरण बताते हैं कि सेकेंडहैंड स्मोक में हजारों तरह के टॉक्सिक केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो पहले से कमजोर हो चुके फेफड़ों को तुरंत नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए समझते हैं कि COPD मरीजों के लिए दूसरों के धुएं के संपर्क में आना कितना खतरनाक है और इससे बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।

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सिगरेट का धुआं सिर्फ धूम्रपान करने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि उसके आसपास मौजूद हर व्यक्ति के लिए हानिकारक है। इस धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, फॉर्मल्डिहाइड, अमोनिया जैसे कई जहरीले तत्व होते हैं। जब COPD वाला व्यक्ति इन तत्वों के संपर्क में आता है, तो उसके फेफड़ों में सूजन बढ़ जाती है। कुछ ही मिनटों के एक्सपोजर से खांसी बढ़ना, सीने में जकड़न, सांस फूलना जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं। COPD पहले ही फेफड़ों की नलियों को संकरा कर देता है, ऐसे में सेकेंडहैंड स्मोक इन नलियों में और जलन पैदा कर देता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

1. सीने में जकड़न

ये लक्षण कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बने रह सकते हैं। इससे मरीज को नेबुलाइजर, ऑक्सीजन थेरेपी या कभी-कभी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।

2. फेफड़ों की क्षमता में कमी

यदि कोई COPD मरीज रोजाना, या नियमित रूप से धुएं के संपर्क में रहता है, तो उसकी फेफड़ों की क्षमता सामान्य मरीजों की तुलना में बहुत तेजी से गिरती है। लगातार सेकेंडहैंड स्मोक के संपर्क में रहने वाले COPD मरीजों को ज्यादा बार फ्लेयर-अप होते हैं, फेफड़ों की कार्यक्षमता तेजी से कम होती है, रिकवरी धीमी होती जाती है, जिसके कारण अस्पताल जाने की जरूरत बार-बार पड़ती है।

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secondhand smoke effect with COPD

3. इनहेलर और अन्य दवाओं का असर कम

यह तथ्य कम लोग जानते हैं कि सेकेंडहैंड स्मोक COPD की दवाओं का असर भी कम कर देता है। धुएं से होने वाली सूजन और जलन इनहेलर की दवाई को फेफड़ों की गहराई तक पहुंचने से रोकती है। इसका सीधा मतलब है कि दवाएं ठीक से काम नहीं करेंगी, सांस फूलने के दौरे ज्यादा होंगे, मरीज दवाओं पर ज्यादा निर्भर हो जाएगा और बीमारी तेजी से आगे बढ़ सकती है।

डॉक्टर की सलाह

COPD मरीजों के लिए धुआं सिर्फ एक ट्रिगर नहीं, बल्कि गंभीर खतरा है। इसलिए सबसे जरूरी है कि इससे पूरी तरह बचा जाए। डॉ. साई किरण के अनुसार, ''अपने घर और कार को 100% स्मोक-फ्री रखें। परिवार के सदस्यों से स्पष्ट कहें कि वे घर के अंदर या आसपास धूम्रपान न करें। धुआं होने की आशंका वाले स्थानों, जैसे पार्टियों, पब्स या बंद जगहों से दूरी बनाएं और हमेशा स्मोक-फ्री रेस्टोरेंट, ऑफिस और पब्लिक प्लेस चुनें।

निष्कर्ष

COPD एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की सुरक्षा प्राथमिकता होती है। सेकेंडहैंड स्मोक एक "साइलेंट किलर" की तरह काम करता है, बिना महसूस हुए फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और फ्लेयर-अप के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। धुएं से दूरी बनाना, स्वच्छ हवा में रहना और परिवार को जागरूक करना COPD मरीजों के लिए सबसे प्रभावी सुरक्षा उपाय हैं।

All Images Credit- Freepik

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FAQ

  • COPD क्या है?

    COPD एक क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें सांस की नलियां संकरी हो जाती हैं और हवा फेफड़ों में अंदर-बाहर जाने में मुश्किल होती है। 
  • सीओपीडी का मुख्य कारण क्या है?

    सबसे मुख्य कारण सिगरेट का धुआं है, चाहे खुद धूम्रपान करना हो या दूसरों का धुआं सांसों में जाना। इसके अलावा वायु प्रदूषण, धूल, केमिकल और लंबे समय तक धुएं या धूल वाली जगह पर काम करना भी जोखिम बढ़ाते हैं।
  • क्या COPD पूरी तरह ठीक हो सकता है?

    COPD का पूरी तरह इलाज नहीं है, लेकिन सही दवाओं, इनहेलर, लाइफस्टाइल में सुधार और धुएं से बचाव से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है और मरीज आराम से जीवन जी सकता है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Nov 14, 2025 16:25 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

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