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स्मोकर्स के साथ रहने से भी हो सकती है फेफड़ों से जुड़ी समस्या, जानें सेकेंड हैंड स्मोकिंग के लंग्स पर असर

स्मोकिंग करने से न सिर्फ सिगरेट पीने वाले के लिए नुकसानदायक होता है, बल्कि ये सिगरेट न पीने वालों के लिए भी खतरनाक होता है। आइए जानते हैं फेफड़ों के लिए सेकेंड हैंड स्मोक के नुकसान के बारे में- 
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स्मोकर्स के साथ रहने से भी हो सकती है फेफड़ों से जुड़ी समस्या, जानें सेकेंड हैंड स्मोकिंग के लंग्स पर असर


आज के समय में स्मोकिंग करने के नुकसानों को लेकर इतनी जागरूकता फैलाने के बाद भी कई लोगों सिगरेट पीते हुए नजर आ जाएंगे। स्मोकिंग की लत कई लोगों में इस कदर बढ़ गई है कि वो इसके बिना एक दिन भी नहीं रह पाते हैं। इतना ही नहीं, कई ऑफिस में भी सिगरेट पीने वालों के लिए एक अलग स्मोकिंग जोन या रूम बनाया जाता है। स्मोकिंग करने के क्या नुकसान है ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन स्मोकिंग न करने वालों के लिए भी स्मोकिंग के धुएं के संपर्क में आना बहुत खतरनाक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सेकेंड हैंड स्मोक के कारण फेफड़ों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में आइए गुरुग्राम के पारस हेल्थ के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अरुणेश कुमार से जानते हैं कि सेकंड हैंड स्मोकिंग से फेफड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

फेफड़ों पर सेकंड हैंड स्मोकिंग का असर

स्मोकिंग करने से फेफड़ों को होने वाली समस्याएं जितनी खतरनाक हैं, उतनी है सेकंड हैंड स्मोक (secondhand smoke ke nuksan) के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए। इसलिए फेफड़ों पर सेकंड हैंड स्मोक का कई तरह से असर पड़ सकता है, जैसे-

1. श्वसन प्रणाली पर प्रभाव

सिगरेट से निकलने वाले धुएं में हजारों केमिकल होते हैं, जिनके कारण कैंसर होने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में जब आप सिगरेट के धुएं के संपर्क में आते हैं तो इसके केमिकल सीधे आपके फेफड़ों तक पहुंचते हैं, जिसके कारण श्वसन नली में जलन, खांसी, सांस फूलने की समस्या और गले में खराश जैसी समस्याएं होने लगती है।

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2. अस्थमा की समस्या

जिन लोगों को अस्थमा की समस्या पहले से हैं, उनके लिए सेकेंड हैंड स्मोक बहुत ज्यादा खतरनाक माना जाता है। स्मोकिंग से निकलने वाला धुआं उनमें अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकता है और दवा की जरूरत को ज्यादा बढ़ा सकता है। इतना ही नहीं, स्मोकिंग का धुआं बच्चों में अस्थमा का कारण भी बन सकता है।

3. बच्चों के फेफड़ों पर असर

बच्चों के विकसित हो रहे शरीर के लिए भी स्मोकिंग का धुआं हानिकारक होता है। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते हैं, जिस कारण सेकेंड हैंड स्मोक के कनेक्शन में आने से उनके फेफड़ों की विकास धीमी हो जाती है। इस कारण आगे चलकर बच्चों में सांस से जुड़ी समस्याएं, बार-बार सर्दी-जुकाम आदि सस्याएं हो सकती है।

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4. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी COPD  की समस्या अक्सर लंबे समय तक सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क में रहने के कारण होती है। इसक बीमारी के कारण फेफड़ों के काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और इस बीमारी का कोई खास इलाज भी नहीं है।

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5. फेफड़ों का कैंसर

सेकंड हैंड स्मोक का असर न सिर्फ आपके फेफड़ों पर पड़ता है, बल्कि ये दुनिया भर में हजारों लोग फेफड़ों के कैंसर का शिकार होते हैं। यह एक गंभीर समस्या है, जिसका समय पर इलाज न होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

निष्कर्ष

सेकेंड हैंड स्मोक यानी दूसरे व्यक्ति द्वारा सिगरेट पीने के दौरान निकलने वाले धुएं का असर सीधे हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। सेकेंड हैंड स्मोकिंग के कारण फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों का कैंसर, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज आदि समस्याएं हो सकती है। इसलिए, सिर्फ स्मोकिंग से परहेज करना काफी नहीं है, बल्कि ऐसे लोगों से भी दूरी बनाना जरूरी है जो स्मोकिंग करते हैं।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • फेफड़े खराब होने के क्या संकेत होते हैं?

    फेफड़े खराब होने पर आपको आपके शरीर से कई तरह के संकेत नजर आते हैं, जिसमें लंबे समय से आ रही खांसी, सांस फूलना, सीने में दर्द, बलगम आना, खांसी में खून आना और लगातार थकान महसूस होना शामिल है।
  • फेफड़ों की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है?

    फेफड़ों की सबसे गंभीर बीमारियों में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी COPD, फेफड़ों का कैंसर, टीबी और इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस शामिल हैं।
  • फेफड़े में इन्फेक्शन कैसे होता है?

    फेफड़ों में इंफेक्शन वायरस, बैक्टीरिया या कवक जैसे किटाणु सांस के द्वारा फेफड़ों में जाते हैं, जहां फेफड़ों के टिशू या वायु मार्गों पर हमला करते हैं, जो इम्यूनिटी सेल्स पर रिएक्शन करती हैं और फेफड़ों में इंफेक्शन का कारण बनती है। 

 

 

 

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  • Current Version

  • Sep 30, 2025 17:32 IST

    Published By : Katyayani Tiwari

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