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नॉन स्मोकर्स को क्यों हो रहा है लंग कैंसर? जानें डॉक्टर से इसके कारण

Non Smokers Getting Lung Cancer: फेफड़ों के कैंसर में अक्सर स्मोकिंग को कारण माना जाता है, लेकिन अब नॉन स्मोकर्स को भी लंग कैंसर की चपेट में आने लगे हैं। जानते हैं डॉक्टर से इसके कारण-

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नॉन स्मोकर्स को क्यों हो रहा है लंग कैंसर? जानें डॉक्टर से इसके कारण


Non Smokers Getting Lung Cancer: आज के लाइफस्टाइल में फेफेड़ों से जुड़ी बीमारियां होना आम हो गया है और इसमें खासतौर से फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ना चिंताजनक है। अक्सर फेफड़ों के कैंसर के लिए तम्बाकू और सिगरेट को जिम्मेदार माना जाता रहा है और WHO की रिपोर्ट भी कुछ यही कहती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 85 प्रतिशत लोगों में फेफड़ों का कैंसर होने की वजह स्मोकिंग ही है। लेकिन हाल ही में कई मामले ऐसे आ रहे हैं, जिसमें नॉन स्मोकर्स भी फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे हैं। इस बीमारी में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसके लक्षण एडवांस स्टेज पर जाकर पता चलते हैं और तब तक इलाज के विकल्प बहुत ही कम रह जाते हैं। इस बारे में हमने फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्ट विभाग के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ उदभव कठपालिया (Dr Udbhav Kathpalia, Associate Consultant - Surgical Oncology, Sarvodaya Hospital Sector-8, Faridabad) से बात की। उन्होंने बताया कि नॉन स्मोकर्स को क्यों लंग कैंसर ज्यादा हो रहा है।

नॉन स्मोकर्स को लंग कैंसर होने के कारण - Causes of Lung Cancer in Non Smokers in Hindi

वायु प्रदूषण - Air Pollution

इस बारे में डॉ उदभव ने बताया कि ट्रैफिक, जंगलों में आग और इंडस्ट्री के बढ़ते प्रदूषण ने सभी को प्रभावित किया है। हवा में प्रदूषण के चलते PM 2.5 और PM 10 फेफड़ों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। वायु प्रदूषण से शुरुआत में फेफड़ों की बीमारियां जैसेकि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) हो रही है औ जो लोग लगातार प्रदूषण में रह रहे हैं, उन्हें फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियां होने के मामले बढ़ रहे हैं।

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पैसिव स्मोकिंग - Passive Smoking

डॉ उदभव कहते हैं, “यह जरूरी नहीं कि आप स्मोक नहीं करते तो आपको लंग कैंसर कभी नहीं होगा। कई लोगों को देखा है कि जो स्मोकिंग नहीं करते लेकिन स्मोकर्स के साथ खड़े रहते हैं। इससे धुएं के कण उनके भी फेफड़ों में चले जाते हैं। सिगरेट पीने वाले को जितना नुकसान हो रहा है, उतना ही नुकसान साथ खड़े इंसान को भी होता है। इसे ही पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है। अगर कोई कई महीनों या सालों तक पैसिव स्मोकिंग में रहता है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है।”

किचन का धुआं

डॉ उदभव कहते हैं कि हमारे देश में कई महिलाएं आज भी कस्बों और गांवों में चूल्हे पर खाना बनाती हैं। इससे धुएं के कण उनके शरीर में चले जाते हैं, इससे भी फेफड़ों का कैंसर होने का चांस बढ़ जाता है। शहरों में अगर महिलाएं बिना एग्जॉस्ट और वेंटिलेशन के सालों साल खाना बनाती हैं, तो भी लंग कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है।

जेनेटिक फैक्टर - Genetic Factor

अगर आप नॉन स्मोकर है, लेकिन परिवार में फेफड़ों की बीमारी या कैंसर का इतिहास है तो भी लोगों को कैंसर का चेकअप कराते रहना चाहिए। फेफड़ों की बीमारी या कैंसर होने का खतरा जेनेटिक कारणों के चलते अगली पीढ़ी में भी जा सकता है।

रेडॉन गैस और केमिकल एक्सपोजर

डॉ उदभव कहते हैं, “जो लोग केमिकल फैक्ट्रियों में काम करते हैं, उनका लंबे समय तक रेडॉन गैस या केमिकल्स के बीच रहते हैं। इससे केमिकल्स फेफड़ों में जमा होने लगते हैं और इससे कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है। इसलिए मैं हमेशा ऐसे लोगों को फेफड़ों की जांच करने की सलाह देता हूं।”

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लंग कैंसर के लक्षण - Symptoms of Lung Cancer in Hindi

डॉ उदभव के अनुसार, नॉन स्मोकर्स अक्सर लक्षणों को इग्नोर कर देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे स्मोक नहीं करते, तो कैंसर का खतरा होने का चांस नहीं है। अगर किसी को नीचे दिए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

  • लगातार खांसी या आवाज़ में बदलाव
  • बलगम में खून आना
  • सीने में दर्द या भारीपन
  • सांस लेने में कठिनाई
  • बार-बार बुखार या इंफेक्शन
  • बिना वजह वजन कम होना और थकावट

लंग कैंसर से बचाव - How to Prevent Lung Cancer in Hindi

डॉ. उदभव कहते हैं कि बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है। इसलिए लोगों को फेफड़ों की बीमारियों और कैंसर से बचाव के लिए अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने चाहिए।

  • धूम्रपान से पूरी तरह बचें।
  • पैसिव स्मोकिंग से भी खुद को बचाएं।
  • प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें
  • रसोई में वेंटिलेशन रखें
  • हेल्दी डाइट लें और व्यायाम करें
  • नियमित हेल्थ चेकअप कराएं, खासकर यदि परिवार में कैंसर का इतिहास हो

निष्कर्ष

डॉ उदभव मानते हैं कि लंग कैंसर अब सिर्फ स्मोकर्स की बीमारी नहीं रही है, बल्कि बढ़ते प्रदूषण और बदलते लाइफस्टाइल ने भी फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ा दिए हैं। इसलिए समय पर लक्षणों की पहचान करना जरूरी है क्योंकि लंग कैंसर अगर शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए तो इलाज संभव है। एडवांस स्टेज में रोगी के जीवन की क्वालिटी को ही सुधारा जा सकता है।

FAQ

  • लंग कैंसर क्यों होता है?

    लंग कैंसर में स्मोकिंग ही आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर का कारण होता है। पैसिव स्मोकर्स को भी फेफड़ों का कैंसर होने का रिस्क रहता है। 
  • लंग कैंसर की कितनी स्टेज होती है?

    स्टेज 0 में कैंसर फेफड़ों या ब्रोंकस के ऊपरी परत में होता है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं फेफड़े के अन्य भागों या फेफड़े के बाहर नहीं फैली है। पहले स्टेज पर कैंसर फेफड़े के बाहर नहीं फैला है। दूसरे स्टेज में कैंसर फेफड़े के अंदर लिम्फ नोड्स तक फैल गया है। 
  • कैंसर का इलाज कितने दिनों तक चलता है?

    कैंसर का इलाज रोगी के कैंसर के टाइप, स्टेज और उसकी हेल्थ पर निर्भर करता है। 

 

 

 

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