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फेफड़ों के कैंसर की जल्दी पहचान कैसे करें? जानें डॉक्टर से लंग कैंसर से जुड़े जरूरी टेस्ट

Tests for Lung Cancer: अगर लंग कैंसर की पहचान जल्दी हो जाए तो इलाज संभव है। इसके लिए मरीज को टेस्ट की जानकारी होना जरूरी है। इस लेख में डॉक्टर से जानें लंग कैंसर से जुड़े महत्वपूर्ण टेस्ट के बारे में -

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फेफड़ों के कैंसर की जल्दी पहचान कैसे करें? जानें डॉक्टर से लंग कैंसर से जुड़े जरूरी टेस्ट


Tests for Lung Cancer: हाल ही में अपने जमाने की बेहतरीन एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर को लंग कैंसर हुआ था, लेकिन बिना कीमोथेरेपी के ही कैंसर की कोशिकाओं को खत्म कर दिया। इसकी वजह थी कि उन्हें जीरो लंग कैंसर (zero lung cancer) था। इसका मतलब था कि शर्मिला टैगोर को लंग कैंसर इतना शुरुआती चरण में था कि वह फेफेड़ों की सुरक्षात्मक टिश्यू को तोड़ नहीं पाए। इसका मतबल यह है कि शर्मिला टैगोर ने खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खून में बलगम और वजन कम होना, सीने में दर्द (Symptoms of lung cancer) जैसे लक्षणों की पहचान करके जल्द ही टेस्ट करवाएं थे। लंग कैंसर या किसी भी कैंसर के इलाज में समय रहते लक्षणों की पहचान और जांच दोनों ही महत्वपूर्ण है। जांच के लिए टेस्ट की जानकारी होना बहुत जरूरी है, इसलिए इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्ट विभाग के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. उदभव कठपालिया (Dr Udbhav Kathpalia, Associate Consultant - Surgical Oncology, Sarvodaya Hospital Sector-8, Faridabad) से बात की। जानते हैं लंग कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट महत्वपूर्ण है।

लंग कैंसर की पुष्टि के लिए जरूरी टेस्ट

1. सीने का एक्स-रे (Chest X-ray)

डॉ. उदभव कठपालिया कहते हैं, “जब मरीज लक्षणों की जानकारी देता है, तो फेफड़ों में किसी भी तरह की गांठ की चेकिंग के लिए सीने का एक्सरे कराते हैं। यह सबसे पहला और आसान टेस्ट है। आसान भाषा में कहे तो इसमें सीने की तस्वीर ली जाती है, जो किसी भी तरह की असामान्यता या फिर गांठ की जानकारी दे देता है। हालांकि इससे कैंसर की पुष्टि नहीं की जा सकती लेकिन एक्सरे से शुरुआती जानकारी जरूर मिल जाती है।”

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2. सीटी स्कैन (CT Scan)

डॉ. कठपालिया ने बताया कि जब एक्सरे में कुछ असामान्य दिखता है, तो सीटी स्कैन के लिए कहा जाता है। यह टेस्ट फेफड़ों की साफ और विस्तार से तस्वीर देता है। इस टेस्ट में गांठ की लोकेशन, आकार के साथ यह भी पता चलता है कि कैंसर के टिश्यू कितने फैले हैं। इसमें लो डोज सीटी स्कैन उन लोगों का किया जाता है, जो काफी लंबे समय से स्मोकिंग कर रहे हैं।

3. स्पुटम सायटोलॉजी (Sputum Cytology)

इस टेस्ट के बारे में बताते हुए डॉ. कठपालिया ने कहा, “अगर रोगी के लक्षणों में खांसी के साथ बलगम आती है, तो बलगम के नमूने को लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। इस टेस्ट को स्पुटम सायटोलॉजी कहा जाता है। इस टेस्ट को खासतौर पर उन रोगियों को कहा जाता है, जिनमें ट्यूमर फेफड़ों के बड़े एयरवे में होता है। इस जांच से कैंसर की कोशिकाओं की पहचान की जा सकती है।”

4. बायोप्सी (Biopsy)

डॉ. कठपालिया ने बायोप्सी के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि लंग कैंसर की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी ही सबसे बढ़िया तरीका है। इसमें जांच में गांठ या संदिग्ध हिस्से से टिशू निकालकर लैब में जांच की जाती है। वैसे बायोप्सी करने के अलग-अलग तरीके होते हैं। इसमें आमतौर पर सर्जिकल बायोप्सी, ब्रॉकोस्कोपी, नीडल बायोप्सी शामलि है। डॉक्टर मरीज की स्थिति देखकर ही इसका फैसला लेता है।

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5.PET स्कैन (PET Scan)

डॉ. कठपालिया ने कहा,”PET स्कैन के जरिए डॉक्टर यह पता करते हैं कि क्या कैंसर सिर्फ फेफड़ों तक सीमित है, या फिर शरीर के अन्य भागों में फैल गया है। इसमें विशेष तरह की डाई और रेडियोएक्टिविटी का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद स्कैन होता है। PET स्कैन से लंग के स्टेज का भी पता चलता है और इसी के आधार पर आगे का इलाज किया जाता है। स्टेज 1 में कैंसर सिर्फ फेफड़ों तक ही सीमित होता है। स्टेज 2 और 3 में कैंसर की कोशिकाएं फेफड़ों से निकलकर आसपास के लिम्फ नोड्स में फैल चुकी है। स्टेज 4 में कैंसर शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है। इस स्टेज में लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है और मरीज के जीवन की गुणवता को बेहतर किया जाता है।”

लंग कैंसर स्क्रीनिंग के परिणामों को ऐसे जानें

नेगेटिव (Negative) - स्कैन में कोई ऐसी गांठ या असामान्य चीज नहीं दिखी, जो कैंसर जैसी लगे। इसका मतलब है कि मरीज को कैंसर नहीं है।
बेनाइन (Benign) - मरीज के शरीर में गांठ तो है, लेकिन वह कैंसर जैसी नहीं है। वह गांठ संक्रमण या सूजन भी हो सकती है।
संदिग्ध (Suspicious) - अगर फेफड़ों में नेड्यूल कैंसर जैसे दिखते हैं, तो डॉक्टर उनकी जांच के लिए बायोप्सी या अन्य टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

निष्कर्ष

लंग कैंसर की पहचान के लिए लक्षणों की पहचान और सही समय पर टेस्ट कराना बहुत जरूरी है। अगर शुरुआती स्टेज पर ही लंग कैंसर का पता चल जाए, तो इलाज के सफल होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसके साथ अगर मरीज को टेस्ट और स्क्रीनिंग के परिणामों की जानकारी हो, तो वह कैंसर की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझ सकता है।

FAQ

  • फेफड़ों में गांठ के क्या लक्षण हैं?

    फेफड़ों में गांठ के लक्षण शुरुआती स्टेज पर पता नहीं चलते। अगर गांठ बड़ी होती है, तो सांस लेने की नली पर प्रेशर डालती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी और छाती में दर्द होने लगता है।
  • कैसे पता चलेगा कि कैंसर किस स्टेज में है?

    कैंसर की स्टेज का पता लगाने के लिए डॉक्टर बायोप्सी और PET स्कैन कराते हैं। इसी से मरीज के कैंसर की स्टेज का पता चलता है।
  • फेफड़ों की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है?

    फेफड़ों का कैंसर, सीओपीडी और इंटरस्टिशियल लंग डिजीज (आईएलडी) फेफड़ों की सबसे गंभीर बीमारियां मानी जाती है।

 

 

 

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