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कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट जरूरी? जानें डॉक्टर से

Early Cancer Detection Tests: अगर कैंसर का जल्दी पता चल जाए, तो इसका इलाज सफल होने के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए इस लेख में डॉक्टर ने कैंसर का पता करने के कुछ टेस्ट बताएं हैं। आप भी पढ़ें- 

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कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट जरूरी? जानें डॉक्टर से


Early Cancer Detection Tests: आज से करीब एक दशक पहले तक कैंसर होना बहुत कम पाया जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में दुनियाभर में करीब 1 करोड़ लोगों की कैंसर की वजह से मृत्यु हुई थी। ये आंकड़े काफी ज्यादा डराने वाले हैं, लेकिन इसके साथ अच्छी बात यह है कि मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब कैंसर का पता जल्दी चल सकता है। अगर कैंसर की पहचान शुरुआती स्टेज पर ही हो जाए, तो इलाज करना न सिर्फ आसान होता है, बल्कि मरीज पूरी तरह से ठीक भी हो जाता है। इसलिए हमने इंदरप्रस्थ अपोलो अस्पताल के मेडिकल ऑनकोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंकित जैन (Dr Ankit Jain, Senior Consultant, Medical Oncology, Indraprastha Apollo Hospitals) से कैंसर के शुरुआती टेस्ट की जानकारी ली। उन्होंने अलग-अलग कैंसर के शुरुआती टेस्ट बताएं और साथ ही टेस्ट कब कराना चाहिए, इस बारे में भी विस्तार से बताया।

कैंसर का जल्दी पता लगाने वाले टेस्ट - Tests for Early Detection of Cancer in Hindi

इस बारे में बात करते हुए डॉ. अंकित जैन ने कहा, “आमतौर पर लोग कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं या फिर इसे किसी अन्य बीमारी से जोड़ लेते हैं। कई मामलों में शुरुआती लक्षण स्पष्ट भी नहीं होते। इस वजह से कैंसर एडवांस स्टेज तक चला जाता है, जिसका इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए कैंसर को जड़ से खत्म करने के लिए नियमित जांच और स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है। खासतौर पर उन लोगों को स्क्रीनिंग समय-समय पर कराते रहना चाहिए, जिनकी फैमिली हिस्ट्री है। ऐसे लोगों को कुछ टेस्ट कराते रहना चाहिए।”

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ब्लड टेस्ट - Blood Tests

हालांकि ब्लड टेस्ट के जरिए कैंसर कंफर्म नहीं किया जा सकता, लेकिन ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया) में CBC टेस्ट काफी महत्वपूर्ण होता है। इसमें RBC, WBC और प्लेटलेट्स चेक करके डॉक्टर ब्लड कैंसर का अंदाजा लगा लेते हैं। कैंसर का पता करने के लिए ट्यूमर मार्कर टेस्ट भी किया जाता है, जिसमें कुछ खास प्रोटीन और अन्य चीजों को मापा जाता है, जिससे कैंसर होने का अंदाजा लगाया जा सके। जैसे कि प्रोस्टेट कैंसर में PSA, ओवेरियन कैंसर में CA-125 और लिवर कैंसर में AFP जैसे ट्यूमर मार्कर टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्ट के जरिए डॉक्टर कैंसर होने का अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन इसे कंफर्म करने के लिए इमेजिंग टेस्ट या बॉयोप्सी की जाती है।

इमेजिंग टेस्ट - Imaging Tests

इस टेस्ट के जरिए शरीर के अंदर कैंसर कितना बढ़ा है, इसकी जानकारी मिलती है।

  • मैमोग्राफी - इसका इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती जांच के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में ब्रेस्ट में मौजूद गांठ का पता लगाने के लिए किया जाता है। कई बार हाथ लगाने से गांठ महसूस नहीं होती, लेकिन मैमोग्राफी के जरिए ऐसी गांठ पहले ही पता चल जाती है। 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी करानी चाहिए।
  • सीटी स्कैन और एमआरआई (CT Scan & MRI) - इन टेस्ट के जरिए डॉक्टर ये चेक करते हैं कि मरीज के किसी भी भाग में गांठ या किसी भी तरह की असामान्य कोशिकाएं तो नहीं बन रही।
  • PET स्कैन - अगर मरीज को कैंसर है, तो PET स्कैन के जरिए चेक किया जाता है कि कैंसर के एक्टिव सेल्स कितने हैं और कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है।
  • अल्ट्रसाउंड - इस टेस्ट के जरिए लिवर, यूटरस, ओवरी जैसे कैंसर की जांच में काम आता है।

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बायोप्सी - Biopsy

डॉ. अंकित जैन कहते हैं कि अगर ब्लड टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट से डॉक्टर को कैंसर का अंदेशा महसूस होता है, तो वह मरीज को बायोप्सी की सलाह देते हैं, ताकि शरीर के उस भाग में टिशू को निकालकर चेक किया जा सके कि उस ट्यूमर में कैंसर एक्टिव है या नहीं। इसी टेस्ट के जरिए डॉक्टर कैंसर कंफर्म कर पाते हैं, लेकिन बायोप्सी से पहले ब्लड टेस्ट या इमेजिंग तकनीक बताती है कि मरीज में किसी तरह की गांठ है या नहीं।

एंडोस्कोपी टेस्ट - Endoscopy Test

पेट और फेफड़ों में कैंसर की जांच एंडोस्कोपी से की जा सकती है।

  • कोलोनोस्कोपी: इस टेस्ट के जरिए बड़ी आंत और रेक्टल कैंसर की पहचान करते हैं।
  • ब्रोंकोस्कोपी: इस टेस्ट से फेफड़ों की नलियों में कैंसर का टेस्ट किया जाता है।
  • गैस्ट्रोस्कोपी: पेट और छोटी आंत में कैंसर का पता लगाने के लिए गैस्ट्रोस्कोपी की मदद ली जाती है।
  • पैप स्मीयर और HPV टेस्ट: महिलाओं में पैप स्मीयर की मदद से सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जाता है।

जेनेटिक टेस्ट - Genetic Test

अगर किसी की कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है, तो जेनेटिक टेस्ट काफी मददगार साबित होता है। इससे पता चलता है कि बीमारी अनुवांशिक है या नहीं ताकि सही समय पर इलाज किया जा सके। इस जांच में व्यक्ति के डीएन, जीन्स, क्रोमोजोम्स या प्रोटीन में हुए बदलाव की पहचान करता है।

कैंसर के टेस्ट किसे कराने चाहिए?

  • आमतौर पर 40 साल के बाद कैंसर के स्क्रीनिंग टेस्ट कराने चाहिए। महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी और पैप स्मीयर जरूर कराना चाहिए।
  • जिनकी फैमिली हिस्ट्री है, उन लोगों को 30 साल के बाद नियमित स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
  • स्मोकिंग, शराब पीना या तंबाकू जैसी चीजें खाने वाले लोगों को साल में एक बार स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए।
  • अगर किसी को बार-बार बुखार आ रहा है, अचानक से वजन गिरने लगे या शरीर में किसी भी तरह की गांठ महसूस हो,तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

डॉ. अंकित जैन जोर देते हुए कहते हैं कि शरीर में हो रहे बदलावों को नजरअंदाज बिल्कुल न करें और साथ ही लोगों की आदत होती है खुद ही दवाइयां लेने की। किसी भी लक्षण को कम करने के लिए खुद से दवाई न लें, बल्कि समय रहते डॉक्टर को अपनी समस्या बताएं। इससे कई बार देखा गया है कि कैंसर की पहचान समय से बहुत पहले ही हो गई है और शुरुआती स्टेज का इलाज मरीज के जीवन की क्वालिटी बढ़ा देता है।


उम्मीद है कि आपको लेख पसंद आया होगा। इस लेख का मकसद सिर्फ आपको जानकारी देना है।किसी भी तरह की सेहत से जुड़ी परेशानी हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

FAQ

  • कैंसर की गांठ कहां होती है?

    कैंसर की गांठ शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। अगर शरीर के किसी में हिस्से में नई और असामान्य गांठ या सूजन महसूस हो तो उसे नजरअंदाज न करें।
  • क्या कैंसर छूने से फैलता है?

    बिल्कुल भी नहीं, कैंसर किसी भी व्यक्ति को छूने या उसके साथ उठने-बैठने से नहीं फैलता। इसलिए मरीजों के साथ भेदभाव या दूरी बनाकर बैठने जैसे व्यवहार न करें।
  • कैंसर ना हो इसके लिए क्या करें?

    कैंसर से बचाव के लिए स्मोकिंग और शराब बिल्कुल न लें। ताजी फल-सब्जियां खाएं। संतुलित घर का बना खाना खाएं। रोजाना नियमित कसरत करें। वजन सही रखें। असुरक्षित यौन संबंधों से बचें। सभी जरूरी वैक्सीन लगवाएं। सूरज की हानिकारक UV किरणों से बचें और नियमित रूप से कैंसर की जांच कराते रहेंऔर शरीर में होने वाले किसी भी असामान्य बदलाव पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

 

 

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