Doctor Verified

क्या आप ब्लड कैंसर से जुड़े इन मिथकों पर करते हैं भरोसा? जानें डॉक्टर से सच्चाई

Myths of Blood Cancer in Hindi: क्या आप भी ब्लड कैंसर के मिथकों को सच मानते हैं, तो ये लेख खास आपके लिए हैं। डॉक्टर ने मिथकों की सच्चाई विस्तार से बताई है। 

  • SHARE
  • FOLLOW
क्या आप ब्लड कैंसर से जुड़े इन मिथकों पर करते हैं भरोसा? जानें डॉक्टर से सच्चाई


Myths of Blood Cancer in Hindi: ब्लड कैंसर का नाम सुनते ही, लोगों के दिमाग में कई तरह के मिथक घूमने लगते हैं और इसी वजह से लोग इस बीमारी से बहुत ज्यादा डरते हैं और इलाज कराने से भी कतराते हैं। GLOBOCAN की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में ल्यूकेमिया के 487 294 मामले पाए गए हैं। इसकी वजह ब्लड कैंसर से जुड़ी गलतफहमियां है और इसी वजह से परिवार कई बार बिना वजह के डर और स्ट्रेस से गुजरता है। ब्लड कैंसर से जुड़े मिथकों और उनकी सच्चाई को जानने के लिए हमने फरीदाबाद के एकॉर्ड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजी विभाग के एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सनी जैन (Dr Sunny Jain, Senior Consultant & HOD - Medical Oncology, Accord Hospital, Faridabad) से बात की।

ब्लड कैंसर से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई

मिथक: ब्लड कैंसर के मरीजों को इलाज के दौरान चीनी पूरी तरह छोड़ देनी चाहिए।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “इसके पीछे कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। किसी भी तरह का ठोस डेटा नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि चीनी ब्लड कैंसर के इलाज को प्रभावित करती है। इसका कोई सीधा असर ब्लड कैंसर के इलाज पर नहीं पड़ता। इलाज के दौरान बैलेंस डाइट लेनी चाहिए और चीनी बिल्कुल भी छोड़ने की जरूरत नहीं है।”

blood cancer myths and facts expert advice

इसे भी पढ़ें: हरजीत कौर को था दुर्लभ ब्लड कैंसर, भाई ने डोनर बनकर की मदद, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से कैंसर को हराया

मिथक: सभी ब्लड कैंसर मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।

सच्चाई: डॉ सनी कहते हैं कि आज मेडिकल ने इतनी तरक्की कर ली है कि ब्लड कैंसर के सभी मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ती। अब हमारे पास ब्लड कैंसर का इलाज करने के लिए टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और आधुनिक कीमोथेरेपी जैसे बेहतरीन ऑप्शन्स हैं। वैसे अब तो DNA में मौजूद म्यूटेशन की पहचान करके मॉलिक्यूलर टार्गेटेड थेरेपी की जा रही है। वैसे, बोन मैरो ट्रांसप्लांट सिर्फ उन्हीं मरीजों का कराने की सलाह दी जाती है, जो मरीज रिस्पांस नहीं कर रहे या फिर जिन्हें दोबारा कैंसर हो रहा है।

मिथक: ब्लड कैंसर सिर्फ जेनेटिक कारणों से होता है, इसे रोकना नामुमकिन है।

सच्चाई: डॉ. सनी ने बताया, “लोगों का ऐसा सोचना भी गलत है। ब्लड कैंसर के कुछ प्रतिशत मामले ही फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक कारणों से होते हैं लेकिन ज्यादातर मरीजों में कैंसर की शुरुआत पहली बार में ही होती है। कुछ सिंड्रोम्स जरूर ब्लड कैंसर का रिस्क बढ़ाते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर हो।”

मिथक: ब्लड कैंसर का कोई इलाज नहीं है।

सच्चाई: डॉ. सनी ने कहा कि आज मेडिकल इतना आगे आ चुका है कि हर तरह के कैंसर का इलाज संभव है। कैंसर का इलाज करते समय डॉक्टर इस बात पर ध्यान रखते हैं कि मरीज किस स्टेज पर है, कैंसर का टाइप क्या है और मरीज की उम्र और उसकी बॉडी कैसे रिस्पांस करती है। ब्लड कैंसर का इलाज संभव है लेकिन इसकी समय पर पहचान करना जरूरी है और फिर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है।

इसे भी पढ़ें: कैंसर के खिलाफ कैसे काम करती है T-सेल थेरेपी? जिससे पहली बार सफदरजंग अस्पताल में मह‍िला को म‍िली नई ज‍िंदगी

मिथक: ब्लड कैंसर में त्वचा एनीमिया की तरह पीली हो जाती है।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “स्किन का पीला पड़ना ब्लड कैंसर का लक्षण नहीं है, बल्कि यह एनीमिया यानी कि हेमोग्लोबिन की कमी के कारण हो सकता है। ब्लड कैंसर में कभी-कभी मरीजों की त्वचा पीली पड़ सकती है, क्योंकि कैंसर में मरीज के शरीर में ब्लीडिंग होती है या हेमोग्लोबिन नहीं पाता, लेकिन ये ब्लड कैंसर का सीधा लक्षण नहीं है।”

मिथक: ल्यूकेमिया (Leukemia) सिर्फ बच्चों को होता है।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं कि ल्यूकेमिया चार तरह का होता है, AML, ALL, CML, और CLL और ALL और AML कैंसर बच्चों में आम हैं, जबकि CLL आमतौर पर 60-70 की उम्र में होता है। इसका मतलब है कि ल्यूकेमिया किसी भी उम्र में हो सकता है, फिर चाहे शिशु हो या बुजुर्ग हो। इसलिए लोगों का यह सोचना कि ल्यूकेमिया सिर्फ बच्चों में ही होता है, गलत है।

मिथक: विटामिन और सप्लीमेंट लेने से ब्लड कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “इस तरह के दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। विटामिन या सप्लीमेंट लेने से ब्लड कैंसर के रिस्क को नहीं रोका जा सकता। अगर लोग संतुलित डाइट लें तो यह शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाती है जो शरीर में होने वाले इंफेक्शन्स से बचाती है, लेकिन कहीं भी स्टडी नहीं है कि कैंसर के रिस्क को घटाने के लिए विटामिन A, E, D या अन्य सप्लीमेंट लेना फायदेमंद है। माना जाता है कि ग्लूटाथियोन (GSH) कम होने से कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि आप इसके सप्लीमेंट्स लेने लग जाए। विटामिन, E, D, K ज्यादा लेने से नुकसान हो सकते हैं, क्योंकि ये fat soluble होते है, जो शरीर में जमा होकर नुकसान पहुंचाते हैं। कैंसर के रिस्क को कम करने के लिए विटामिन या सप्लीमेंट्स लेने की कोई गाइडलाइंस नहीं है। ”

इसे भी पढ़ें: भारत में कैंसर पर नई रिपोर्ट: हर 9 में से 1 भारतीय को कैंसर का खतरा

निष्कर्ष

डॉ. सनी कहते हैं कि ब्लड कैंसर को लेकर फैली भ्रांतियों की सच्चाई बताना जरूरी है ताकि मरीज और उसके परिवार को बिना वजह का स्ट्रेस न हो। वैसे भी मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि आधुनिक तरीकों से मरीज का इलाज करना संभव हुआ है। बस, किसी भी बीमारी के लक्षणों की पहचान समय रहते करें। अगर आपके शरीर में किसी भी तरह के बदलाव हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर सलाह लें।

Read Next

भारत में कैंसर पर नई रिपोर्ट: हर 9 में से 1 भारतीय को कैंसर का खतरा, JAMA स्टडी में चौंकाने वाले तथ्य

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version


TAGS