Myths of Breast Pumping: जब कोई महिला मां बनती है, तो उसकी पहली चुनौती ब्रेस्टफीडिंग होती है। शिशु को ब्रेस्टफीड कैसे कराना है, निप्पल लैच करने में दिक्कत, कितनी बार फीड कराए जैसी न जाने कितनी ही समस्याएं उसे परेशान करती है। रात को फीड कराने के लिए बार-बार नींद खुलना और फिर सुबह थकान महसूस होने जैसी कई परेशानियों से हर मां जूझती है। ऐसे में मांओं को ब्रेस्ट पंपिंग (Breast Pumping) काफी आसान तरीका लगता है ताकि पंपिंग के जरिए ब्रेस्टमिल्क निकालकर रख दें और जब भी वह कहीं सफर पर जाएं या फिर ऑफिस जाना हो, तो शिशु को पूरा पोषण मिल सके। लेकिन परिवारों में ब्रेस्ट पंपिंग को लेकर भी कई तरह के मिथक होते हैं और इसी के चलते वह ब्रेस्ट पंपिंग नहीं करती और फिर उन्हें अपने शिशु को फार्मूला दूध देना पड़ता है। ब्रेस्ट पंपिंग से जुड़े मिथकों की सच्चाई जानने के लिए हमने पूर्वी दिल्ली के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की लेक्टेशन कंसल्टेंट और वूमन हेल्थ थेरेपिस्ट डॉ कविता सिंह (Dr Kavita Singh, Lactation Consultant and Women's Health Physiotherapist at Cloudnine Group of Hospitals, East Delhi) से बात की।
ब्रेस्ट पंपिंग से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
मिथक: ब्रेस्ट पंपिंग से ब्रेस्टमिल्क कम होता है।
सच्चाई: इस बारे में डॉ कविता सिंह कहती हैं, “पंपिंग सही समय और सही तरीके से की जाए तो दूध की मात्रा कम नहीं होती, बल्कि बढ़ सकती है। जब भी मां ब्रेस्ट को स्टिम्युलेट करती है फिर चाहे पंपिंग या ब्रेस्टफीडिंग हो, तो शरीर में प्रोलैक्टिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है। लेकिन यह याद रखें कि जब भी ब्रेस्ट पंपिंग करें तो ब्रेस्ट बिल्कुल खाली कर दें। इससे ब्रेस्टमिल्क जल्दी बनता है। कई मांओं को शुरुआत में कम दूध निकल सकता है, लेकिन निरंतर पंपिंग से सप्लाई बढ़ जाती है।”
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मिथक: ब्रेस्ट पंपिंग से निकाला दूध पोषक नहीं रहता।
सच्चाई: डॉ कविता कहती हैं कि पंप करने से मां के दूध के पोषक तत्व कम नहीं होते। बस जरूरत है कि पंपिंग से निकाले गए दूध को सही तरीके से स्टोर और हैंडल करना जरूरी है। CDC के अनुसार, ताजा पंप किए गए दूध को फ्रिज में 4 दिन तक और फ्रीजर में करीब 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। पंप किए दूध में भी एंटीबॉडी, विटामिन और मिनरल्स बने रहते हैं, जो बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जब भी दूध बच्चे को देने के लिए निकाले तो गर्म पानी में हल्का सा गरम करें। इसे उबालकर शिशु को न पिलाएं। इससे दूध में मौजूद एंटीबॉडीज नष्ट हो सकते हैं।
मिथक: पंपिंग करने से बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग की आदत नहीं रहती।
सच्चाई: डॉ कविता के अनुसार जन्म के शुरुआती हफ्ते में शिशु को ब्रेस्टफीड ही कराएं। इससे शिशु को लैच करने की आदत पड़ती है। इसके बाद ही पंप करके दूध बोतल या कप से पिलाए। वैसे ‘पेस्ड बोतल फीडिंग’ (paced bottle feeding) तकनीक अपनाने से बच्चा बोतल और ब्रेस्ट दोनों से आसानी से दूध पी सकता है। तो अगर मां सही तकनीक अपनाए तो शिशु दोनों ही तरीके से दूध पीना सीख सकता है।
मिथक: पंपिंग करने से मां को दर्द होता है।
सच्चाई: डॉ कविता ने बताया, “अगर सही साइज के ब्रेस्ट शील्ड का पंप हो और सेटिंग सही हो तो बिल्कुल दर्द नहीं होता। अगर पंप का सक्शन सा साइज ज्यादा होता है या फिर ब्रेस्ट शील्ड साइज सही नहीं होता, तो निप्पल में दर्द हो सकता है। शुरुआत में मां को पंपिंग करने से पहले ब्रेस्ट की हल्की मसाज करनी चाहिए ताकि दूध निकलने में आसानी हो। शुरुआत में सक्शन भी हल्का रखना चाहिए। इन तरीकों को अपनाने से दर्द नहीं होता।”
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मिथक: पंपिंग सिर्फ वर्किंग मांओं के लिए होता है।
सच्चाई: डॉ कविता कहती हैं कि ब्रेस्ट पंपिंग का इस्तेमाल कोई भी मां कर सकती है। अगर शिशु प्रीमैच्योर होता है या फिर बीमार होता है, तो उसे निप्पल लैच करने में दिक्कत होती है। ऐसे में ब्रेस्ट पंपिंग काफी मददगार साबित होती है। वर्किंग ही नहीं, बल्कि घर पर रहने वाली मां भी अगर दूध निकालकर स्टोर कर दे तो उसे परिवार का कोई भी सदस्य पिला सकता है। ब्रेस्ट पंपिंग से कामकाजी या घरेलू होने का कोई संबंध नहीं है, बल्कि कभी-कभी ब्रेस्ट में बहुत ज्यादा दूध भरने (engorgement) पर पंपिंग से आराम मिलता है। इसलिए कामकाजी महिलाओं के साथ घरेलू महिलाएं भी ब्रेस्ट पंपिंग का इस्तेमाल कर सकती हैं।
मिथक: रात के समय पंपिंग करने की कोई जरूरत नहीं है।
सच्चाई: डॉ कविता कहती हैं, “जब बच्चे का जन्म होता है, तब रात का दूध बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी समय मां के शरीर में दूध बनाने वाला हार्मोन प्रोलैक्टिन सबसे ज्यादा एक्टिव होता है। अगर मां रात को पंपिंग करके दूध निकालती है, तो अगली सुबह भी दूध का फ्लो सही बना रहता है। अगर शिशु लंबे समय तक सोया रहता है, तो पंपिंग करके स्टॉक करने से रात को दूध पिलाने में समस्या नहीं होती। मां के सोने पर घर के अन्य सदस्य रात में शिशु को दूध पिला सकते हैं।
मिथक: ब्रेस्टफीडिंग और पंपिंग से निकाले दूध को एक साथ नहीं देना चाहिए।
सच्चाई: डॉ कविता ने बताया, “ब्रेस्टफीडिंग और पंपिंग को मिलाकर दूध पिलाया जा सकता है। बस ध्यान यह रखना चाहिए कि दूध सही तरीके से स्टोर किया गया हो। अगर पंप किया हुआ दूध फ्रिज में रखा है और ब्रेस्टफीडिंग कराने के बाद थोड़ा और दूध पिलाना है, तो पंप किए दूध का इस्तेमाल किया जा सकता है। कई माएं “मिक्स फीडिंग” (सीधे ब्रेस्ट और पंप्ड मिल्क) अपनाती हैं, ताकि बच्चा हमेशा मां का दूध पा सके।