Myths of Mosquitoes:मानसून आते ही मच्छरों से जुड़ी बीमारियां बढ़ने लगती है। इस मौसम में जब लोग बीमार होते हैं, तो कई बार वे बुखार और उल्टी आदि के लक्षणों को सामान्य फ्लू समझ लेते हैं और खुद ही इलाज भी करने लगते हैं। इससे कई बार बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है। इसकी मुख्य वजह है, मच्छरों से जुड़ी बीमारियों जैसेकि मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया,जापानी बुखार या जीका को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। विश्व मच्छर दिवस (World Mosquito Day) के मौके पर ओनली माई हेल्थ ‘मच्छर मुक्त इंडिया’ कैंपेन शुरू किया है। इस अभियान में मच्छरों से जुड़े कई ऐसे मिथकों के फैक्ट आपको बताए जा रहे हैं। इन सभी फैक्ट्स की जानकारी गुरूग्राम के सी के बिरला अस्पताल के इंटरनल मेडिसन विभाग के एचओडी डॉ. रवींद्र गुप्ता ने दी है।
मच्छरों से जुड़े मिथक और इनकी सच्चाई - Myths and Facts About Mosquitoes in Hindi
मिथ: क्या सभी तरह के मच्छर बीमारी फैलाते हैं?
सच्चाई: ज्यादातर मच्छर बीमारियां नहीं फैलाते। सिर्फ तीन तरह के मादा मच्छर ही बीमारियों को जन्म देते हैं। एडीज मादा मच्छर चिकनगुनिया, डेंगू, लिम्फेटिक फलेरिया, पीला बुखार और जीका वायरस जैसी बीमारियां फैलाती हैं। एनोफीलीज मच्छर मलेरिया और फलेरिया बीमारियों को जन्म देते हैं। क्यूलेक्स मच्छर जापानी बुखार की बीमारी फैलाता है। इसके साथ-साथ ये भी समझना जरूरी है कि हर बार जब भी मच्छर काटता है, तो बीमारियां ट्रांसमिट नहीं करता। मादा मच्छर वेक्टर की तरह काम करती है, जो संक्रमित इंसान से असंक्रमित इंसान में खून के द्वारा बीमारी ट्रांसफर करती है।
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मिथ: क्या मच्छर सिर्फ रात में ही काटते हैं?
सच्चाई: अलग-अलग प्रजाति के मच्छर अलग-अलग समय काटते हैं। कुछ रात में काटते हैं, तो कुछ दिन में या फिर सूर्यादय या सूर्यास्त के समय काटते हैं। एडीज मच्छर दिन में काटकर डेंगू और चिकनगुनिया फैलाते हैं, वहीं मलेरिया फैलाने वाले एनोफीलीज मच्छर रात में काटते हैं। इसलिए ये कभी मत सोचिए कि मच्छर सिर्फ रात में ही काटकर बीमारी फैलाएंगे।
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मिथ: क्या मच्छर कुछ खास तरह के खून की तरफ ही आकर्षित होते हैं?
सच्चाई: इसमें कोई सच्चाई नहीं है। मच्छर के पास ऐसी कोई समझ या सेंस नहीं होती कि वह किसी खास तरह के खून की पहचान कर सकें। NIH की रिपोर्ट के अनुसार मादा मच्छर के पास कुछ ऐसे न्यूरोन्स होते हैं, जिसकी वजह से वह कार्बन डी-ऑक्साइड से इंसान की पहचान करती है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं है, पर ये हो सकता हैं कि मच्छर किसी खास तरह की दुर्गंध या सुगंध को पहचान सके। मच्छर के लिए किसी खास तरह के खून की पहचान करना नामुमकिन है।
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मिथ: मच्छर संक्रमित इंसान को काटकर मर जाते हैं?
सच्चाई: ये सर्वथा मिथ्या है। मादा मच्छर इंसान या जानवर के खून से खुद को और अपने अंडों को पोषित करती है। इसलिए उसे खून की जरूरत होती है। अगर मादा मच्छर काटकर मर जाएगी, तो फिर वह अपने अंडों का पोषण कैसे करेगी। संक्रमित मच्छर इंसान या जानवर में संक्रमण फैला सकता है, लेकिन किसी को काटकर नहीं मरता।
तो, अब आप भी मच्छरों से जुड़े इन मिथकों पर विश्वास नहीं करेंगे और उम्मीद है कि मच्छरों से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक होकर मच्छर मुक्त इंडिया बनाने में सहयोग देंगे।
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