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दिन में इस समय रहता है डेंगू के मच्छरों का ज्यादा खतरा, एक्सपर्ट से जानें बचाव के टिप्स

डेंगू बुखार मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है, जानें ये मच्छर किस समय ज्यादा काटते हैं?

 
Prins Bahadur Singh
Written by: Prins Bahadur SinghUpdated at: May 05, 2023 14:57 IST
दिन में इस समय रहता है डेंगू के मच्छरों का ज्यादा खतरा, एक्सपर्ट से जानें बचाव के टिप्स

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कोरोनावायरस संक्रमण के चलते लोगों को डेंगू के मामले और कोरोना के मामलों में अंतर नहीं पता चल पा रहा है। वर्तमान समय में डेंगू के नए DENV - 2 स्ट्रेन की वजह से इसके मामले काफी गंभीर रूप से सामने आ रहे हैं। डेंगू बुखार का संक्रमण डेंगू मच्छरों के काटने से फैलता है। सामान्य रूप से मच्छर के काटने के बाद 4 दिन से लेकर 10 दिन तक इसके लक्षण मरीजों में दिखाई देते हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण 10 दिनों से ज्यादा समय के लिए भी बने रह सकते हैं। डेंगू मच्छर किस समय लोगों को सबसे ज्यादा काटते हैं और क्या दिन में इन मच्छरों का अधिक खतरा रहता है? आइये जानते हैं विस्तार से।

किस समय रहता है डेंगू मच्छरों का ज्यादा खतरा? (Dengue Mosquito Bite Time)

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(image source - iStock.com)

डेंगू बुखार को भारत में हड्डी बुखार के रूप में भी जाना जाता है। यह बुखार एडीजी मच्छरों के काटने से होता है। एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में हर साल लगभग 400 मिलियन लोग डेंगू बुखार से संक्रमित होते हैं। डेंगू मच्छरों के काटने से आपके अंदर इसका बुखार फैलता है और इसके गंभीर लक्षण कई बार जानलेवा भी माने जाते हैं। शुरुआत में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर आप इसका आसानी से इलाज कर सकते हैं लेकिन जब इसके लक्षण मरीज में काफी दिनों तक बने रहते हैं तो मामला गंभीर हो जाता है। दिल्ली के सीताराम भरतिया अस्पताल के जनरल मेडिसिन कंसलटेंट डॉ मयंक के अनुसार डेंगू फैलाने वाले एडीजी मच्छर ज्यादातर सुबह और शाम के समय लोगों को काटते हैं। डेंगू के एडीजी मच्छर सूर्य उगने के लगभग 2 घंटे बाद और सूर्य अस्त होने के 1 घंटे पहले बहुत ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इस समय इन्हें अधिक खतरनाक माना जाता है। दिन के इन तीन घंटों में खुद को इन मच्छरों से बचाने से आप डेंगू से बच सकते हैं। हालांकि इसके अलावा भी दिन और रात में डेंगू के मच्छर लोगों को काट सकते हैं लेकिन इन तीन घंटों में इनका प्रकोप ज्यादा रहता है।

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डेंगू बुखार होने पर मरीज में दिखने वाले लक्षण (Dengue Fever Symptoms)

डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। इन मच्छरों के काटने से डेंगू का संक्रमण शरीर में पहुंचता है। इन्ही मच्छरों के काटने से जीका, चिकनगुनिया और पीला बुखार भी होता है। डेंगू के मच्छरों के काटने पर मरीज को सामान्य मच्छर के काटने से अलग तरीके से खुजली होती है और काटने वाली जगह लाल हो जाती है। डेंगू बुखार के भी कई स्ट्रेन होते हैं, अगर आप डेंगू के एक स्ट्रेन के संक्रमण से ग्रसित हैं और इसके बाद आपको दूसरे स्ट्रेन से ग्रसित मच्छर ने काट लिया है तो आपको पहले स्ट्रेन से प्रतिरक्षा तो मिल ही सकती है। लेकिन दूसरे स्ट्रेन के संक्रमण को ये एंटीबॉडी नहीं रोक सकती है। डेंगू बुखार होने पर मरीज में ये लक्षण देखे जा सकते हैं।

  • डेंगू के मच्छर के काटने के बाद इसका इन्क्युबेशन पीरियड 3 से 15 दिनों तक रहता है, इस समय डेंगू के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते।
  • डेंगू की शुरूआत तेज बुखार, सिरदर्द और पीठ में दर्द से होती है। शुरू के 3 से 4 घंटों तक जोड़ों में भी बहुत दर्द होता है। अचानक से शरीर का तापमान 104 डिग्री हो जाता है और ब्लड प्रेशर भी नार्मल से बहुत कम हो जाता है।
  • आंखें लाल हो जाती हैं और स्किन का रंग गुलाबी हो जाता है। गले के पास की लिम्फ नोड सूज जाते हैं। डेंगू बुखार 2 से 4 दिन तक रहता है और फिर धीरे धीरे तापमान नार्मल हो जाता है।
  • मरीज ठीक होने लगता है और फिर से तापमान बढ़ने लगता है। पूरे शरीर  में दर्द होता है। हथेली और पैर भी लाल होने लगते है।
  • डेंगू हिमोरेगिक बुखार सबसे खतरनाक माना जाता है जिसमें कि बुखार के साथ-साथ शरीर में खून की कमी हो जाती है। शरीर में लाल या बैगनी रंग के फफोले पड़ जाते हैं। नाक या मसूड़ो से खून आने लगता है। स्टूल का भी रंग काला हो जाता है। यह डेंगू की सबसे खतरनाक स्थिति होती है। 

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डेंगू रक्तस्रावी बुखार के लक्षण (Symptoms Of Dengue Haemorrhagic Fever)

  • स्किन का चिपचिपा होना। 
  • मुंह, मसूड़ों और नाक से खून बहना। 
  • स्किन पर लाल रंग के ब्लड के निशान जैसे धब्बे। 
  • रक्त वाहिकाओं को नुकसान। 
  • काली उल्टी या काला मल। 
  • प्लेटलेट का अचानक से कम होना। 

डेंगू के नए वैरिएंट का खतरा (Dengue New Variant DENV 2)

डी-2 वेरिएंट कुछ मामलों में जानलेवा साबित हो सकता है। इसकी वजह से मरीजों में गंभीर लक्षण देखे जाते हैं और तेजी से प्लेटलेट्स की संख्या घटती है। इस बीमारी को शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है। जानकारी के मुताबिक डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप में से DENV- 2 या स्ट्रेन D2 मरीजों की गंभीरता बढ़ाने का काम करते हैं। डेंगू का नया वैरिएंट डी 2 मच्छर जनित वायरस के कारण फैल रहा है। इस बीमारी में तेज या हल्के फ्लू के साथ मरीजों में गंभीर रक्तस्रावी बुखार भी हो सकता है। समय पर इस समस्या का इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। इस डेंगू की वजह से मरीजों को शॉक सिंड्रोम की बीमारी भी हो सकती है। आपको बता दें कि डेंगू वायरस चार स्ट्रेन में होता है जिसे  D1, D2, D3 और D4 में बांटा गया है। DENV-2 वैरिएंट में कोरोना की तरह संक्रमित होने की विशेषताएं हैं इसलिए इसे अधिक खतरनाक माना जा रहा है।  

डेंगू का इलाज (Dengue Treatment)

गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत पड़ती है। हालांकि डेंगू की गंभीरता न होने की स्थिति में घर पर रह कर ही उपचार किया जा सकता है और पीडि़त व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती।

  • इस रोग में रोगी को तरल पदार्थ का सेवन कराते रहें। जैसे सूप, नींबू पानी और जूस आदि।
  • डेंगू वाइरल इंफेक्शन है। इस रोग में रोगी को कोई भी एंटीबॉयटिक देने की आवश्यकता नहीं है।
  • बुखार के आने पर रोगी को पैरासीटामॉल टैबलेट दें। ठंडे पानी की पट्टी माथे पर रखें।
  • रोगी को यदि कहीं से रक्तस्राव हो रहा हो, तब उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
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डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। हालांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है। यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है। डेंगू का बुखार 2 से 7 दिनों तक रहता है। इस दौरान रोगी के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा घटती है। सात दिनों के बाद स्वत: ही प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। लक्षणों के प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करें।

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