बहुत खतरनाक माना जा रहा है डेंगू का नया वेरिएंट DENV-2, जानें इसके बारे में

देश के कई राज्यों में डेंगू के नए वैरिएंट DENV-2 के मामले तेजी से आ रहे हैं, इसे सामान्य डेंगू से अधिक खतरनाक माना जा रहा है जानें इसके लक्षण और बचाव।
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बहुत खतरनाक माना जा रहा है डेंगू का नया वेरिएंट DENV-2, जानें इसके बारे में

देश में भले ही कोरोनावायरस के मामलों की रफ्तार धीमी हो रही हो लेकिन इसी के बीच कुछ राज्यों में डेंगू बुखार ने तबाही मचा रखी है। अब तक आपने कोरोनावायरस के अलग-अलग स्ट्रेन के बारे में सुना होगा लेकिन अब देश में डेंगू का नया स्ट्रेन आने के बाद चिकित्सा विशेषज्ञ और प्रशासन की चिंता बढ़ गयी है। भले ही पिछले तमाम सालों में डेंगू की बीमारी इतनी तेजी के साथ न फैली हो लेकिन इसके मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। इस साल देशभर में डेंगू बुखार के मामले पिछले कई सालों की तुलना में अधिक आये हैं। इसका सबसे बड़ा कारण डेंगू का नया वैरिएंट DENV-2 माना जा रहा है। डेंगू के नए वैरिएंट को काफी खतरनाक और संक्रामक माना जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि डेंगू के कारण होने वाले बुखार और कोविड की वजह से होने वाले बुखार के लक्षण लगभग समान ही हैं इसलिए चिंता और बढ़ गयी है। आइये जानते हैं डेंगू के नए वैरिएंट DENV-2 के बारे में विस्तार से।

क्या है डेंगू का नया वेरिएंट DENV-2? (What Is Dengue Variant DENV 2?)

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(image source - freepik.com)

पिछले कई महीनों से उत्तर प्रदेश, केरल महाराष्ट्र समेत देश के 11 राज्यों में बुखार के कई मामले सामने आ रहे हैं। जांच के बाद पता चला कि ये मामले डेंगू के हैं लेकिन इनके लक्षणों और गंभीरता को देखते हुए इनके सैंपल को वायरोलॉजी जांच के लिए भेजा गया। जिसके बाद डेंगू के नए वैरिएंट DENV-2 की पुष्टि की गयी है। डेंगू के नए वैरिएंट के मामले केरल, तेलंगाना, महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश और उड़ीसा के साथ-साथ देश के अन्य 11 राज्यों में तेजी से बढ़े हैं। मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमसी गर्ग के मुताबिक डी-2 वेरिएंट कुछ मामलों में जानलेवा साबित हो सकता है। इसकी वजह से मरीजों में गंभीर लक्षण देखे जाते हैं और तेजी से प्लेटलेट्स की संख्या घटती है। इस बीमारी को शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है। जानकारी के मुताबिक डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप में से DENV- 2 या स्ट्रेन D2 मरीजों की गंभीरता बढ़ाने का काम करते हैं। इस मामले पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने भी कहा कि नया स्ट्रेन बहुत खतरनाक है और इसकी वजह से डेंगू बुखार में मरीजों की मौत की संख्या बढ़ सकती है। सामान्य डेंगू की तरह इस स्ट्रेन से ग्रसित मरीजों में बुखार और दूसरे लक्षण देखे जा रहे हैं। DENV संक्रमण कभी-कभी तेजी से फ्लू की तरह फैलता है जिसकी वजह से मरीजों की संख्या बढ़ सकती है और इसकी वजह से मौत का खतरा भी बढ़ जाता है। 

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डेंगू के नए स्ट्रेन डी-2 के कारण (What Causes Dengue New Variant DENV 2?)

एक्सपर्ट्स का मानना है कि डेंगू का नया वैरिएंट डी 2 मच्छर जनित वायरस के कारण फैल रहा है। इस बीमारी में तेज या हल्के फ्लू के साथ मरीजों में गंभीर रक्तस्रावी बुखार भी हो सकता है। समय पर इस समस्या का इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। इस डेंगू की वजह से मरीजों को शॉक सिंड्रोम की बीमारी भी हो सकती है। आपको बता दें कि डेंगू वायरस चार स्ट्रेन में होता है जिसे  D1, D2, D3 और D4 में बांटा गया है। DENV-2 वैरिएंट में कोरोना की तरह संक्रमित होने की विशेषताएं हैं इसलिए इसे अधिक खतरनाक माना जा रहा है।  

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डेंगू के नए वैरिएंट डी-2 के लक्षण (Dengue New Variant DENV 2 Symptoms)

ऐसे समय में जब कोरोनावायरस संक्रमण सबसे बड़ी चिंता का विषय है ऐसे में डेंगू के इस नए वैरिएंट ने भी चिंता बढ़ा दी है। डेंगू के नए वैरिएंट से संक्रमित होने बाद मरीजों में कोरोना जैसे ही लक्षण देखे जाते हैं। इसलिए कई बार इनके लक्षणों के आधार पर इन्हें अलग करना बहुत मुश्किल हो जाता है। डेंगू के नए वैरिएंट के संक्रमण से मरीजों में ये लक्षण देखे जा सकते हैं।

डेंगू के नए वैरिएंट का इलाज और बचाव (Dengue New Variant DENV 2 Treatment and Prevention)

डेंगू के लक्षण के दिखने पर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाया जाना चाहिए। इस बीमारी में समय से इलाज मिलने पर मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। लेकिन अगर इसके लक्षण दिखने के बाद भी लापरवाही बरती तो यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। डॉक्टर इस बीमारी में जांच के बाद मरीज का इलाज शुरू करते हैं। कुछ गंभीर मामलों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत भी आ सकती है। डेंगू से बचाव के लिए घर के आसपास पानी या गंदगी जमा होने से बचाना चाहिए। इसके अलावा इस समय बाहर निकलते समय पूरी बाजू की शर्ट और कपड़े पहनने चाहिए। डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।

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