Myths of Pap Smear: पैप स्मीयर का टेस्ट कराना महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सर्वाइकल कैंसर से लेकर प्रीकैंसर बदलावों का पता चलता है। इसके बावजूद भारत में महिलाएं पैप स्मीयर टेस्ट कराने से बचती है, क्योंकि पैप स्मीयर टेस्ट को लेकर लोगों में कई तरह के मिथक है। शायद यही कारण है कि बहुत कम भारतीय महिलाओं ने कभी भी सर्विकल कैंसर का टेस्ट कराया है। NFHS 5 रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 1.7 फीसदी शहरी महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर का टेस्ट कराया है। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पैप स्मीयर से जुड़े मिथकों की सच्चाई बताना महत्वपूर्ण है। इस बारे में हमने फरीदाबाद क सर्वोदय अस्पताल के ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी विभाग की कंसल्टेंट डॉ. निधि शर्मा (Dr. Nidhi Sharma, Consultant - Obstetrics & Gynaecology, Sarvodaya Hospital, Sector-8, Faridabad) से बात की।
पैप स्मीयर से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
क्या पैप स्मीयर सिर्फ उन महिलाओं के लिए जरूरी है, जिन्होंने यौन संबंध बनाए हैं?
इस बारे में डॉ. निधि कहती हैं,”पैप स्मीयर टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर और प्रीकैंसरस बदलावों का पता लगाया जाता है। जैसाकि सब जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर का कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) होता है, जो ज्यादातर यौन संबंध से फैलता है, इसलिए यह टेस्ट यौन संबंध बनाने वाली महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। लेकिन कुछ मामलों में बिना यौन संबंध बनाने वाली महिलाओं का भी पैप स्मीयर टेस्ट कराया जा सकता है। इसमें ज्यादातर वे महिलाएं शामिल होती हैं, जिनकी फैमिली हिस्ट्री होती है या फिर कोई रिस्क फैक्टर होता है। इसलिए अगर डॉक्टर महिलाओं को पैप स्मीयर के लिए कहती हैं, तो टेस्ट जरूर करवाएं।”
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क्या पैप स्मीयर से महिलाओं की हर तरह की बीमारी का पता लगाया जा सकता है?
डॉ. निधि कहती हैं, “नहीं, पैप स्मीयर से सर्वाइकल कैंसर या प्रीकैंसर बदलावों की ही जानकारी मिलती है। अगर महिला को योनि में इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन या इस तरह की कोई भी बीमारी है, तो पैप स्मीयर टेस्ट से पता नहीं चलती। अगर किसी को इंफेक्शन है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर अन्य टेस्ट कराएं। पैप स्मीयर टेस्ट से हर तरह की बीमारियों की जानकारी नहीं मिलती है।”
अगर किसी महिला ने HPV वैक्सीन लगवा ली है, तो क्या फिर भी पैप स्मीयर जरूरी होता है?
डॉ. निधि ने बताया कि HPV वैक्सीन लगाने के बाद भी पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए। HPV वैक्सीन कई हाई रिस्क वायरस से सेफ करता है, लेकिन HPV के हर वायरस से वैक्सीन सुरक्षा नहीं देता। इसलिए डॉक्टर हमेशा रेगुलर पैप स्मीयर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं और महिलाओं को ये टेस्ट कराते रहना चाहिए ताकि सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता चल सके। वैसे सभी महिलाओं को HPV का वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए ताकि कैंसर से बचाव हो सके।
क्या मेनोपॉज के बाद पैप स्मीयर कराने की ज़रूरत नहीं होती?
डॉ. निधि कहती हैं,”बिल्कुल मेनोपॉज के बाद भी महिलाओं को पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए, जब तक महिलाओं की उम्र 65 साल या इससे ज्यादा न हो जाए। इसके साथ यह भी ध्यान रखना होता है कि उस महिला की पिछली सभी रिपोर्ट्स नेगेटिव रही हो। वैसे मेनोपॉज के बाद डॉक्टर हेल्थ हिस्ट्री, रिस्क फैक्टर्स और टेस्ट रिपोर्ट्स को देखकर ही फैसला करती हैं कि महिला को पैप स्मीयर टेस्ट की जरूरत है या नहीं और अगर है, तो कितने समय बाद कराने की जरूरत है।”
क्या पेल्विक एग्जामिनेशन और पैप स्मीयर एक ही चीज हैं?
डॉ. निधि बताती हैं कि नहीं, दोनों अलग-अलग है। पेल्विक एग्जामिनेशन में डॉक्टर महिला के पूरे रिप्रोडेक्शन सिस्टम को चेक करती है। इसमें यूटरस से लेकर वजाइना की जांच होती हैं, जबकि पैप स्मीयर में सर्विक्स में मौजूद सेल्स की जांच होती है। दोनों ही टेस्ट जरूरी होते हैं, और कौन सा टेस्ट कब कराना है और किस महिला को कराना चाहिए, ये डॉक्टर चेक करके बताती हैं।
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अगर किसी महिला की फैमिली हिस्ट्री में कैंसर नहीं है, तो उसे पैप स्मीयर कराने की जरूरत नहीं है।
डॉ. निधि कहती हैं, “ऐसा नहीं होता, जिस महिला की कैंसर की फैमिली हिस्ट्री नहीं है, उसे भी टेस्ट कराना चाहिए क्योंकि इस टेस्ट में HPV वायरस चेक किया जाता है। हालांकि, जिन महिलाओं का पारिवारिक इतिहास नहीं होता, उन्हें बहुत ज्यादा रेगलुर टेस्ट कराने की सलाह नहीं दी जाती, लेकिन हर महिला को अपनी सेफ्टी के लिए टेस्ट जरूर कराना चाहिए।”
क्या हर महिला को हर साल पैप स्मीयर ज़रूर कराना चाहिए?
डॉ. निधि ने बताया कि नहीं, हर साल टेस्ट कराने की जरुरत नहीं होती। अगर किसी तरह की तकलीफ न हो, तो आमतौर पर 21 से 65 साल तक की महिलाओं को हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए। हर 5 साल में HPV टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस बात का फैसला डॉक्टर महिला की स्थिति देखकर ही लेते हैं।