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Women’s Day 2025: भारत में महिलाओं में क्यों साल दर साल बढ़ रही हैं ये बीमारियां? डॉक्टर से जानें इसके कारण

Women Health Issues in India: हालांकि महिलाओं से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा रही है, इसके बावजूद कुछ बीमारियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस लेख में जानते हैं वे कौन सी बीमारियां हैं और क्या कारण है? 
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Women’s Day 2025: भारत में महिलाओं में क्यों साल दर साल बढ़ रही हैं ये बीमारियां? डॉक्टर से जानें इसके कारण


Women's Health Issues in India: भारत में महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को लेकर ज्यादा सजग नहीं रहतीं और इसी वजह से कई बीमारियां एडवांस स्टेज पर पता चलती हैं। थकान, सूजन, मतली या उल्टी, पेट खराब या फिर पीरियड्स में ज्यादा या कम ब्लीडिंग होने जैसी समस्याओं को काफी हल्के में लेती हैं। वे इनका समय रहते टेस्ट नहीं कराती, जिसकी वजह से बीमारियां देरी से पता चलती हैं। कई मामलों में देखा गया है कि महिलाएं झिझक के चलते भी डॉक्टर से नहीं मिलतीं। इस वजह से साल दर साल भारतीय महिलाओं में बीमारियों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के मौके पर हमने हेल्थ एक्सपर्ट्स से बात की और बीमारियों के बढ़ने की वजह जानी।

भारत में एनीमिया बढ़ने के कारण

एनीमिया की स्थिति में खून में रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) की संख्या कम हो जाती है। ये कोशिकाएं शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। जब शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम हो जाते हैं, तो थकान, सिरदर्द, चक्कर आना, हाथ-पैर ठंडे होना (symptoms of anemia) महसूस होने लगता है। भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रकाशित NFHS 5 रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015-16 में 15 से 49 साल की उम्र की महिलाओं में 53.2 प्रतिशत एनीमिया के मामले पाए गए थे, वहीं साल 2019-21 में ये बढ़कर 57.2 प्रतिशत हो गए। एनीमिया के बढ़ते मामलों के बारे में हमने गाजियाबाद स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के फूड और न्यूट्रिशन विभाग की सीनियर मैनेजर भावना गर्ग (Bhawana Garg, Senior Manager, Food and Nutrition, Yashoda Super Specialty Hospital, Ghaziabad) से बात की।

dietician Bhawna explained anemia problems

डॉ. भावना ने कहा, “प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया की समस्या ज्यादा पाई जाती है, क्योंकि गर्भ में पल रहे भ्रूण को आयरन की जरूरत होती है। शुरुआत में महिलाएं आयरन से युक्त भोजन या फिर सप्लीमेंट्स नहीं लेतीं और उन्हें उल्टी की भी समस्या काफी ज्यादा रहती है। ऐसे में जब भी वह सलाह लेने आती हैं, तो आमतौर पर उनमें आयरन की कमी मिलती ही है। इसलिए महिलाओं को आयरन, मल्टीविटामिन और सप्लीमेंट्स के साथ विटामिन C देना चाहिए। विटामिन C आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है।”

महिलाओं में आयरन का स्तर बढ़ाने के लिए भावना कहती हैं, “मैं आयरन का स्तर बढ़ाने के लिए डाइट में गुड़, भुना चना, खजूर और किशमिश शामिल करने की सलाह देती हूं। साथ ही लोहे के बर्तन में खाना बनाना भी अच्छा रहता है। इसके अलावा, विटामिन C के लिए डाइट में अमरूद भी लिया जा सकता है।”

सर्वाइकल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी का कारण

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट (NCRPR) के अनुसार, साल 2018 में सर्वाइकल कैंसर के मामले करीब एक लाख तक थे, जो साल 2023 में 3 लाख 42 हजार से ज्यादा हो गए। इससे पता चलता है कि भारत में HPV वैक्सीन होने के बावजूद मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह जानने के लिए हमने मुंबई के होली फैमिली अस्पताल के ऑन्कोजी कंसल्टेंट डॉ. डेल रोड्रिग्स (Dr. Dale Rodrigues, Consultant Oncology at Holy Family Hospital Mumbai) से बात की। उन्होंने बताया, “दरअसल, भारत के परिपेक्ष में बात की जाए, तो HPV वैक्सीन अभी तक भारत के राष्ट्रीय टीकाकरण प्रोग्राम में शामिल नहीं किया गया है। इस वजह से खासतौर से गांवों में वैक्सीन बहुत सीमित है। भारत में 5 प्रतिशत से भी कम महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग करा पाती हैं, जो जल्दी पहचान और इलाज के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके साथ ही डॉ. रोड्रिग्स ने बताया, “भारत में जागरूकता और गरीबी के साथ मिथक भी जुड़े होने के कारण भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।"

Dr Dale talks about cervical cancer

इसे भी पढ़ें: क्या सर्वाइकल कैंसर के बाद प्रेग्नेंसी संभव है? ऐसे अक्सर पूछे जाने वाले 10 सवालों के जवाब दे रहे हैं डॉक्टर

क्या पैप स्मीयर टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम संभव है?

इस बारे में डॉ. रोड्रिग्स ने कहा, “पेप स्मीयर टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर रोकने में मदद मिलती है। इस टेस्ट के जरिए कैंसर बनने से पहले असामान्य कोशिकाओं के बदलावों को पता चलता है। इसलिए महिलाओं के लिए पैप स्मीयर और HPV वैक्सीन दोनों कराना महिलाओं के लिए जरूरी है, ताकि सर्वाइकल हेल्थ को मॉनीटर किया जा सके। हालांकि स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण है, लेकिन वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। वैक्सीनेशन से HPV इंफेक्शन के रिस्क को कम किया जा सकता है, जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है।”

ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी की वजह

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट (NCRPR) के अनुसार, साल 2022 में ब्रेस्ट कैंसर के मामले 2 लाख 16 हजार से ज्यादा थे, वहीं साल 2023 में यह बढ़कर 2 लाख 21 हजार से ज्यादा हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर को लेकर चिंता जताई है। Women's Day के मौके पर इस बारे में हमने मुंबई के झायनोवा शाल्बे अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोजिस्ट डॉ. प्रीतेश मुनोत (Dr Pritesh Munot, Medical Oncologist, Zynova Shalby Hospital Mumbai) से बात की। उनके अनुसार, “ब्रेस्ट कैंसर की समस्या का कारण जीवनशैली में बदलाव है। आजकल भारत की युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि महिलाएं अक्सर शर्मिंदगी के कारण जल्दी इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाती। समय पर पहचान न होने के कारण एडवांस स्टेज पर इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता हैं। इसलिए समय-समय पर महिलाओं को अपने स्तनों की जांच घर पर ही करनी चाहिए।”

 

 

 

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महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का जांच कैसे घर पर करें?

इस बारे में डॉ. प्रीतेश मुनोत ने कहा, “महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के बाद 10 मिनट खुद के लिए निकालने चाहिए और ब्रेस्ट का ठीक तरह से चेकअप करना चाहिए। इस प्रक्रिया को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन (SBE) कहते हैं। हर महीने पीरियड्स खत्म होने के कुछ दिनों बाद या मेनोपॉज के बाद किसी निश्चित दिन इसे करना फायदेमंद होता है। ब्रेस्ट में किसी तरह की गांठ या उसमें दर्द महसूस हो, तो मिरर के सामने खड़े हो जाए। ब्रेस्ट को हाथ की मदद से चेक करके देखे कि कहीं ब्रेस्ट के आकार में कुछ बदलाव आया हैं या नहीं। इसके बाद निपल्स का रंग देखिए उसमें कुछ बदलाव दिखा तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले।”

जागरुकता के बावजूद भारतीय महिलाओं में मोटापा क्यों बढ़ता जा रहा है?

डॉक्टरों और सरकार के साथ सोशल मीडिया पर लगातार जागरूकता बढ़ाने के बावजूद महिलाओं में मोटापे के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रकाशित NFHS 5 रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015-16 में मोटापे के मामले 20% थे, जो 2019-21 में बढ़कर 24 प्रतिशत हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जब हमने वैशाली और पटपड़गंज के मैक्स स्पेशलिटी अस्पताल में क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट और बैरियाट्रिक कंसल्टेंट समरीन फारूक (Dt Samreen Farooq, Clinical and Bariatric Nutritionist, Diabetes Educator, Max Health Care, Patparganj and Vaishali) कहती हैं, “मोटापे की वजह से हेल्थ से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इससे डायबिटीज, हाई बीपी, हार्मोनल असंतुलन और दिल की बीमारियों जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। भारतीय महिलाओं में मोटापा होने के कई कारण हैं।”

  1. असंतुलित आहार लेना - जंक या प्रोसेस्ड फूड और मीठे बहुत ज्यादा खाना
  2. कसरत न करना - योग या सैर न करना और लंबे समय तक बैठे रहना
  3. हार्मोनल असंतुलन - PCOS या थायराइड की वजह से हार्मोन्स का असंतुलन
  4. स्ट्रेस या नींद की कमी - स्ट्रेस और नींद पूरी न होने से मेटाबॉलिज्म धीमा होना
  5. प्रेग्नेंसी के बाद वजन बढ़ना - डिलीवरी के बाद अपनी सेहत पर ध्यान न देना
  6. जेनेटिक फैक्टर - फैमिली हिस्ट्री की वजह से वजन बढ़ना

Nutritionist Samreen talks about obesity in women

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मोटापे से कैसे बचें?

मोटापे को कम करने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट समरीन फारूक ने कुछ तरीके बताएं हैं, जो महिलाएं रोजमर्रा की जिंदगी में अपना सकती है।

  1. संतुलित आहार लें
  2. जंक या प्रोसेस्ड फूड से बचें
  3. मीठा खाने से परहेज करें
  4. नींद पूरी लें
  5. रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं
  6. रोजाना 30-45 मिनट वॉक करें

बीमारियों से बचने के लिए महिलाओं को अपनी सेहत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर किसी भी तरह के लक्षण नजर आएं, तो समय रहते डॉक्टर से मिलें और स्क्रीनिंग जरूर कराएं।

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