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क्या कीमोथेरेपी से जुड़े इन 7 मिथकों पर आप भी करते यकीन? जानें डॉक्टर से सच्चाई

Myths of Chemotherapy: कीमोथेरेपी को लेकर अक्सर लोगों को कई तरह की गलतफहमियां होती है, जैसे कि कीमोथेरेपी कराने से मरीज के बाल झड़ जाते हैं या फिर कीमोथेरेपी कराने से मरीज कमजोर हो जाता है। इस लेख में डॉक्टर ने विस्तार से सभी मिथकों की सच्चाई बताई है। 

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क्या कीमोथेरेपी से जुड़े इन 7 मिथकों पर आप भी करते यकीन? जानें डॉक्टर से सच्चाई


Myths of Chemotherapy: कैंसर का नाम सुनते ही लोग वैसे ही डर जाते हैं और उन्हें टेंशन इसके इलाज की हो जाती है। अक्सर लोग मानते हैं कि इलाज के दौरान कीमोथेरेपी कराना काफी मुश्किल प्रक्रिया है। कई बार मरीजों को सर्जरी से पहले कई राउंड कीमोथेरेपी से गुजरना पड़ता है और फिर सर्जरी के बाद भी कीमोथेरेपी की जाती है। लोगों के मन में कीमोथेरेपी को लेकर कई तरह के मिथक हैं और इस वजह से मरीज इलाज में देरी कर देते हैं। हालांकि सच्चाई यह है कि कीमोथेरेपी पहले से काफी आधुनिक हो गई है और इस वजह से मरीजों को कम साइड इफैक्ट्स देखने को मिलते हैं। कीमोथेरेपी से जुड़े मिथकों की सच्चाई के बारे में हमने फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के मेडिकल ऑनकोलॉजी, हेमाटोलॉजी और बीएमटी विभाग के हेड और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अभिषेक राज (Dr. Abhishek Raj, Senior Consultant & Head- Medical Oncology, Haematology & BMT, Sarvodaya Hospital, Sector-8, Faridabad) से बात की।

कीमोथेरेपी से जुड़े 7 मिथक और उनकी सच्चाई

मिथक: कीमोथेरेपी से बहुत गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक कहते हैं, “अब पहले के मुकाबले कीमोथेरेपी काफी आधुनिक और सेफ हो गई है। आजकल माडर्न दवाइयां और सपोर्टिव इंजेक्शन के कारण मरीजों को उल्टी, थकान, बाल झड़ना या भूख कम लगने जैसे साइड इफेक्ट को काफी हद तक कम हो जाते हैं। हालांकि कुछ मरीजों को हल्के दुष्प्रभाव महसूस होते हैं, जबकि कुछ को थोड़े ज़्यादा। यह मरीजों की स्थिति पर निर्भर करता है। वैसे कीमोथेरेपी के बाद मरीज अपना सामान्य काम कर सकते हैं।”

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मिथक: कीमोथेरेपी से शरीर की सभी सेहतमंद कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक ने बताया कि कीमोथेरेपी तेजी से बढ़ रही कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने के लिए की जाती है। इस दौरान कुछ सामान्य टिश्यू जैसे कि बालों की जड़ें, मुंह या आंत की परत के टिश्यू अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन इलाज पूरा होते ही शरीर की रिकवरी प्रोसेस में ये दोबारा बन जाते हैं। कीमोथेरेपी के बाद भी मरीज आसानी से रोजमर्रा के काम कर सकते हैं। इसलिए यह कहना गलत होगा कि कीमोथेरेपी शरीर को पूरी तरह कमजोर कर देती है।

मिथक: कीमोथेरेपी सिर्फ आखिरी स्टेज में दी जाती है।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक कहते हैं, “मेरे पास भी कई मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें यह लगता है कि कीमोथेरेपी दे रहे हैं, तो कैंसर एडवांस स्टेज में हैं। जबकि सच्चाई यह है कि कीमोथेरेपी कई स्टेज में दी जाती है। सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी देकर मरीज के ट्यूमर के आकार को कम किया जाता है। सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी इसलिए की जाती है, ताकि कैंसर दोबारा न लौटे। ऐसे में मैं कहना चाहता हूं कि कीमोथेरेपी कराने का मतलब है कैंसर का आखिरी स्टेज नहीं है।”

मिथक: कीमोथेरेपी कराने से बाल झड़ जाते हैं।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक ने कहा कि सभी कीमोथेरेपी दवाइयों से बाल नहीं झड़ते। कुछ दवाइयां सिर्फ बालों को पतला करती हैं, कुछ में थोड़े झड़ते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इलाज खत्म होने के बाद बाल दोबारा उग आते हैं और कई बार पहले से भी घने या अलग टेक्सचर वाले आते हैं। कई अस्पताल अब स्कैल्प कूलिंग तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं, जिससे बाल झड़ने की संभावना और भी कम हो जाती है।

मिथक: घरेलू या हर्बल इलाज कीमोथेरेपी की जगह ले सकता है।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक ने कहा, “अब तक कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि कोई हर्बल या घरेलू उपाय कैंसर को ठीक कर सकता है। कुछ सप्लीमेंट्स इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन कीमोथेरेपी रोक देना या उसमें देरी करना कैंसर के फैलने का रिस्क बढ़ा सकता है। मैं किसी भी तरह के हर्बल उपाय को कीमोथेरेपी से रिप्लेस करने की सलाह नहीं देता हूं। किसी भी वैकल्पिक इलाज को अपनाने से पहले अपने ऑन्कोलॉजिस्ट को जरूर बताएं।”

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मिथक: कीमोथेरेपी से मरीज बहुत कमजोर हो जाता है।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक ने इस बारे में बताया कि कीमोथेरेपी के दौरान कुछ थकान या कमजोरी महसूस हो सकती है,
लेकिन पौष्टिक डाइट, नींद पूरी करने और हल्की कसरत से मरीज को बेहतर महसूस हो सकता है। आमतौर पर देखा है कि इलाज के दौरान भी मरीज ऑफिस जाते हैं और अपने डेली के काम पूरे करते हैं। कीमोथेरेपी के दौरान अगर मरीज पॉजिटिव सोच रखता है, तो रिकवरी में बहुत मदद मिल जाती है। इलाज के दौरान मरीज की मेंटल हेल्थ काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है और इसमें परिवार का सपोर्ट काफी मायने रखता है।

मिथक: कीमोथेरेपी शुरू हो जाए तो उसे बीच में रोका नहीं जा सकता।

सच्चाई: डॉ. अभिषेक कहते हैं कि यह बिल्कुल गलत है। डॉक्टर कीमोथेरेपी के हर सेशन के बाद ब्लड रिपोर्ट, शरीर की स्थिति और साइड इफेक्ट्स चेक करते हैं। अगर मरीज का शरीर सही तरीके से रिस्पांड करता है, तो डॉक्टर डोज कम कर सकता है, इलाज को कुछ दिन टाल सकते हैं या दवाई का प्रकार बदल सकते हैं।

निष्कर्ष

डॉ. अभिषेक कहते हैं कि कीमोथेरेपी के अलावा भी टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) और इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) भी की जा सकती है। ये थेरेपी सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मददगार होती है और सेहतमंद कोशिकाओं को बचाती हैं। इससे मरीज के साइड इफेक्ट्स को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, कीमोथेरेपी से जुड़े किसी भी तरह के मिथक की सच्चाई के बारे में डॉक्टर से जरूर बात करें, क्योंकि सही जानकारी डॉक्टर से ही मिल सकती है।

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  • Oct 16, 2025 14:46 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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