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रेडिएशन थेरेपी से जुड़े 7 मिथकों पर क्या आप भी करते हैं भरोसा? जानें डॉक्टर से सच्चाई

Myths of Radiation Therapy:रेडिएशन से जुड़े मिथकों के चलते कैंसर के मरीज रेडिएशन थेरेपी कराने से बचते हैं। क्या है रेडिएशन से जुड़े मिथक और इसकी सच्चाई, बताई डॉक्टर ने इस लेख में।

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रेडिएशन थेरेपी से जुड़े 7 मिथकों पर क्या आप भी करते हैं भरोसा? जानें डॉक्टर से सच्चाई


Myths of Radiation Therapy: जब भी कैंसर का इलाज होता है, तो कई बार डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए रेडिएशन थेरेपी की सलाह देते हैं। लेकिन रेडिएशन थेरेपी को लेकर लोगों में कई तरह के मिथक होते हैं, जिसकी वजह से लोग इसे कराने से कतराते हैं। अक्टूबर का महीना Breast Cancer Awareness Month का है, तो हमने इस मौके पर ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की बात करते हुए रेडिएशन थेरेपी से जुड़े मिथकों की सच्चाई पर भी फरीदाबाद के एकॉर्ड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजी विभाग के एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सनी जैन (Dr Sunny Jain, Senior Consultant & HOD - Medical Oncology, Accord Hospital, Faridabad) जानकारी ली। डॉ. सनी जैन के बताया कि कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy) बहुत ही महत्वपूर्ण और असरदार तकनीक है।

रेडिएशन से जुड़े 7 मिथक और उनकी सच्चाई

मिथक: रेडिएशन थेरेपी के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “लोगों में यह गलत धारणा है कि रेडिएशन से साइड इफेक्ट्स नहीं होते। रेडिएशन थेरेपी से कैंसर कोशिकाओं को खत्म करना है, लेकिन कभी-कभी आसपास के सामान्य टिश्यू भी इसके असर में भी आ सकते हैं। जैसे कि अगर मुंह का रेडिएशन किया जाता है, तो मरीज के मुंह में छाले हो सकते हैं। अगर रेडिएशन बाएं गाल पर किया जाता है, तो कभी-कभी असर जीभ या दाहिने हिस्से तक महसूस हो सकता है। वैसे, मार्डन डिवाइस इतने सटीक हो चुके हैं कि नार्मल एरिया पर असर बेहद कम होता है। रेडिएशन के साइड इफेक्ट लोकलाइज्ड होते हैं, ये पूरे शरीर में नहीं फैलते।”

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मिथक: सभी रेडिएशन थेरेपी एक जैसी होती हैं।

सच्चाई: डॉ. सनी ने बताया कि रेडिएशन थेरेपी काफी बड़ा शब्द है। यह इलाज कैंसर टिश्यू को नष्ट करने के लिए आयोनाइजिंग रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन हर मरीज के लिए तकनीक और डोज अलग होती है। कुछ मामलों में IMRT, 3D PRT, या 2D जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इन तकनीकों में डोज जैसे कि 6 MB, 9 MB या 15 MB और इलाज का एरिया अलग-अलग होते हैं। इसलिए, रेडिएशन थेरेपी हर मरीज के लिए कस्टमाइज्ड ट्रीटमेंट है, न कि एक जैसा इलाज होता है।

मिथक: रेडिएशन थेरेपी सिर्फ एडवांस स्टेज कैंसर में दी जाती है।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “यह पूरी तरह गलत है। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सिर्फ एडवांस नहीं, बल्कि कैंसर और नॉन-कैंसर दोनों ही कंडीशन में किया जा सकता है। कई मरीजों को केवल रेडियोथेरेपी दी जाती है, जबकि कुछ को सर्जरी के बाद रेडिएशन दिया जाता है ताकि कैंसर दोबारा न लौटे। यह इलाज ट्यूमर के स्टेज, साइज और जगह पर काफी ज्यादा निर्भर करता है।”

मिथक: रेडिएशन थेरेपी से लगातार उल्टी या मतली होती है।

सच्चाई: डॉ. सनी ने कहा कि रेडिएशन के शुरुआती 1-2 सेशन में मरीज को उल्टी या मतली का अनुभव हो सकता है, लेकिन यह ज्यादातर घबराहट को बढ़ा देता है। इसके बाद जैसे-जैसे शरीर इलाज के साथ एडजस्ट करता है, इस तरह के लक्षण भी खत्म हो जाते हैं। रेडिएशन का कोर्स आमतौर पर 2-3 हफ्तों तक चलता है, और लगातार उल्टी होना बहुत ही रेयर केस में होता है।

मिथक: रेडिएशन के बाद ठंडा खाना जरूरी होता है।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, ”इसमें कोई सच्चाई नहीं है। लोग रेडियोथेरेपी को अक्सर बिजली की सिकाई समझ लेते हैं और सोचते हैं कि यह शरीर में गर्मी पैदा करती है। दरअसल, रेडियोथेरेपी में कोई गरम हवा या ट्यूब इस्तेमाल नहीं होती। यह आयोनाइजिंग रेडिएशन होती है, जो बिल्कुल एक्स-रे की तरह होते हैं, बस उसकी रेडिएशन ज्यादा होती है। इसलिए मरीज को रेडिएशन थेरेपी के बाद ठंडा खाना न दें, बल्कि पौष्टिक डाइट देकर उसके शरीर को मजबूत बनाने की कोशिश करें।”

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मिथक: मरीज से रेडिएशन निकलता है, इसलिए उन्हें आइसोलेट करना चाहिए।

सच्चाई: डॉ. सनी कहते हैं, “मेरे पास कई मरीज आते हैं, जो बताते हैं कि उन्हें अलग से सोने का कमरा दिया जाता है। मैं सभी को कहना चाहूंगा कि रेडिएशन थेरेपी के दौरान रेडिएशन का असर सिर्फ तब तक रहता है, जब तक मशीन चल रही होती है। थेरेपी के बाद मरीज के शरीर में स्टोर नहीं होता और न ही कोई रेडिएशन नहीं निकलती। इसलिए उसे घर पर पूरी तरह सामान्य तरीके से रखा जा सकता है।”

मिथक: रेडिएशन थेरेपी से स्किन जल जाती है।

सच्चाई: डॉ. सनी ने कहा कि आजकल की मार्डन रेडिएशन तकनीकों में स्किन-स्पेयरिंग अप्रोच अपनाई जाती है। जो रेडिएशन के स्किन को कम से कम नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, समय के साथ मरीज की स्किन का रंग या बनावट थोड़ा बदल सकता है लेकिन इलाज के बाद यह रिवर्स हो जाता है।

निष्कर्ष

डॉ. सनी कहते हैं कि रेडिएशन थेरेपी से मरीजों को डरना नहीं चाहिए बल्कि इलाज सही तरीके से पूरा होने पर जोर देना चाहिए। कैंसर के इलाज में रोज नई तकनीके मार्केट में आ रही हैं, जिससे मरीजों का इलाज काफी हद तक आसान हो रहा है। अगर किसी भी मिथक को सच मानने की बजाय डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

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  • Oct 17, 2025 18:02 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Oct 17, 2025 18:02 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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