भारत समेत दुनियाभर में लाइफस्टाइल, खानपान, प्रदूषण, स्मोकिंग और कई कारणों से कैंसर से मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्मोकिंग और लाइफस्टाइल के कारण फेफड़ों का कैंसर तेजी से फैलता है। वैश्विक स्तर पर लोगों को फेफड़ों के कैंसर के प्रति सचेत करने के लिए हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day 2025) मनाया जाता है।
जब बात फेफड़ों के कैंसर की आती है, तो ज्यादातर लोगों का ये मानना होता है कि इम्यूनोथेरेपी के जरिए इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है? लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है? वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day 2025) के खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं इम्यूनोथेरेपी से फेफड़ों का कैंसर (Can immunotherapy cure lung cancer) ठीक हो सकता है।
भारत में क्या है फेफड़ों के कैंसर की स्थिति
2018 की GLOBOCAN रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फेफड़ों का कैंसर सभी कैंसरों का लगभग 5.9 % हिस्सा था। समय के साथ स्मोकिंग और प्रदूषण के कारण भारत के लोगों में कैंसर का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट बताती है कि भारत में 1.39 मिलियन नए रोगियों से बढ़कर 2025 तक 1.57 मिलियन लोग तंबाकू का सेवन करने के कारण फेफड़ों के कैंसर से ग्रस्त होंगे।
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इम्यूनोथेरेपी क्या है और यह कैसे काम करती है
वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डायरेक्टर और मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. गोपाल शर्मा के अनुसार, इम्यूनोथेरेपी एक ऐसा मेडिकल प्रोसेस है, जो हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में मदद करता है।इम्यूनोथेरेपी के दौरान फेफड़ों के कैंसर से ग्रस्त मरीज को प्रमुख रूप से checkpoint inhibitors, CAR‑T cells, monoclonal antibodies जैसी वैक्सीन दी जाती है।
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क्या इम्यूनोथेरेपी से फेफड़ों का कैंसर ठीक हो सकता है?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इम्यूनोथेरेपी फेफड़ों के कैंसर को पूरी तरह ठीक कर सकती है? शोध बताते हैं कि एडवांस्ड स्टेज के मरीजों में पूरी तरह ठीक होना अभी भी मुश्किल है। लेकिन फेफड़ों के कैंसर के मरीजों के इससे अपना जीवनकाल बढ़ाने में मदद मिल सकती है। डॉ. गोपाल शर्मा की मानें, तो इम्यूनोथेरेपी के जरिए नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) में, विशेषकर जहां ट्यूमर PD-L1 पॉजिटिव होता है, वहां पर अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है और फेफड़ों के कैंसर का इलाज थोड़ा आसान हो जाता है। वहीं, फेफड़ों के कैंसर के कुछ मामलों इम्यूनोथेरेपी के साथ कीमोथेरेपी दी जाए, तो इससे इलाज ज्यादा आसान हो जाता है।
इम्यूनोथेरेपी पर क्या कहती है रिसर्च
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा की गई रिसर्च बताती है कि 15-20% मरीजों में इम्यूनोथेरेपी के बाद लंबे समय तक (5 साल से अधिक) बीमारी पर नियंत्रण पाया गया है। वहीं, कुछ मरीजों को इम्यूनोथेरेपी लेने के बाद 10 से 14 साल तक फेफड़ों के कैंसर की वापसी नहीं हुई। आसान भाषा में कहें तो इम्यूनोथेरेपी के जरिए फेफड़ों के कैंसर का इलाज आसान और मरीज का जीवनकाल बढ़ जाता है।
इम्यूनोथेरेपी से किसे होता है ज्यादा फायदा
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर बताते हैं कि इम्यूनोथेरेपी का फायदा फेफड़ों के कैंसर के हर मरीज को ये जरूरी नहीं है। इम्यूनोथेरेपी के जरिए कुछ ही लोगों का इलाज 100 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर हो सकता है। इसमें शामिल हैः
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जिन मरीजों के ट्यूमर में PD-L1 प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है।
जिनमें कोई गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी नहीं होती है।
जो अच्छी शारीरिक स्थिति (Performance Status) में होते हैं।
फेफड़ों के कैंसर में इम्यूनोथेरेपी के फायदे
लंबा जीवनकाल: जिन मरीजों पर इम्यूनोथेरेपी काम करती है, उनमें जीवन काल नॉर्मल इलाज से ज्यादा होता है। कुछ मामलों में इम्यूनोथेरेपी के बाद फेफड़ों का कैंसर 10 से 15 साल तक वापस नहीं आता है।
बेहतर जीवन गुणवत्ता: कीमोथेरेपी की तुलना में इम्यूनोथेरेपी के साइड-इफेक्ट कम गंभीर होते हैं।
रोग नियंत्रण: इम्यूनोथेरेपी लेने के बाद कुछ मरीज कई सालों का तक बिना कैंसर से जीवन जी सकते हैं।
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क्या इम्यूनोथेरेपी कीमोथेरेपी का विकल्प है?
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर बताते हैं कि इम्यूनोथेरेपी कई मरीजों में कीमोथेरेपी का विकल्प या पूरक दोनों के रूप में इस्तेमाल की जाती है। लेकिन इसका चुनाव ट्यूमर के प्रकार, स्टेज और मरीज का शरीर थेरेपी के बाद किस तरह से रिएक्ट करेगा इस पर निर्भर करता है।
डॉक्टर कहते हैं कि इम्यूनोथेरेपी ने लंग कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। हालांकि यह हर मरीज के लिए सही नहीं होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह जीवन को बढ़ाने और बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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निष्कर्ष
आंकड़ों के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर की स्थिति चिंताजनक है, लेकिन इम्यूनोथेरेपी (checkpoint inhibitors, low‑dose, personalized biomarkers) के जरिए मरीज का जीवनकाल कुछ समय के लिए बढ़ाया जा सकता है। लेकिन ये कहना बिल्कुल गलत होगा कि इम्यूनोथेरेपी के जरिए फेफड़ों के कैंसर का मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य हो जाएगा।
FAQ
फेफड़ों के कैंसर की पहचान क्या है?
लगातार खांसी, खून वाली खांसी, वजन घटने, सांस फूलने, सीने में दर्द और एक्स-रे/सीटी स्कैन में गांठ दिखने पर पहचान की जाती है।स्टेज 1 फेफड़े के कैंसर के क्या लक्षण हैं?
स्टेज 1 फेफड़े के कैंसर के शुरुआती चरण में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते, कभी-कभी हल्की खांसी या थकान महसूस हो सकती है। जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।फेफड़े खराब होने के लक्षण क्या होते हैं?
फेफड़े खराब होने पर सांस लेने में कठिनाई, लगातार खांसी, बलगम, थकान, बार-बार संक्रमण की परेशानी होती है।