भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में हर साल लाखों महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से होती है। वैश्विक स्तर पर कई तरह के कैंपेन और प्रोग्राम चलाने के बावजूद महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी है। भारत में महिलाओं को होने वाले सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए कुछ वक्त पहले ही केंद्र सरकार द्वारा एचपीवी वैक्सीन लॉन्च की गई है।
एचपीवी वैक्सीन की पहुंच ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक हो, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा कई तरह के कैंपेन चलाए जा रहे हैं। जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने के बावजूद भारत में एचपीवी वैक्सीन को लेकर कई ऐसी गलत जानकारियां मौजूद हैं, जिसका नुकसान महिलाओं को झेलना पड़ता है। आज इस लेख में हम आपको एचपीवी वैक्सीन से जुड़े 5 ऐसे ही मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में बताने जा रहे हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आस्था दयाल से बात की।
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मिथक 1 : 12 साल की उम्र के बाद एचपीवी वैक्सीन नहीं ले सकते हैं।
सच्चाई : डॉ. आस्था दयाल का कहना है कि एचपीवी वैक्सीव को लेकर कही जाने वाली यह बात बिल्कुल गलत है। एचपीवी वैक्सीन 40 साल की उम्र तक की महिलाएं बिना किसी संकोच के लगवा सकती हैं। हालांकि जो महिलाएं सेक्युअली एक्टिव हैं, उन पर एचपीवी वैक्सीन ज्यादा कारगार साबित नहीं होती है, लेकिन काफी हद तक यह फायदेमंद रहती ही है। डॉक्टर की मानें तो सीडीसी 11-12 वर्ष की आयु के बीच सबसे प्रभावी रोकथाम के लिए एचपीवी वैक्सीन की दो खुराक की सिफारिश करता है, लेकिन आप 45 वर्ष की आयु में भी यह वैक्सीन लगवा सकते हैं। यदि आप 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं और आपकी इम्यूनिटी कमजोर है, तो ऐसे में उन्हें एचपीवी वैक्सीन की तीन डोज लेने की सिफारिश की जाती है।
मिथक 2 : संक्रमित महिलाएं एचपीवी वैक्सीन नहीं लगवा सकती हैं।
सच्चाई : डॉक्टर के अनुसार, जो महिलाएं पहले ही सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही हैं, वह भी एचपीवी वैक्सीन लगवा सकती हैं। एचपीवी वैक्सीन उन सभी स्ट्रेन से आपकी सुरक्षा कर सकती है, जिनके प्रति आप संवेदनशील हैं। HPV के 100 से अधिक प्रकार हैं; वैक्सीन में नौ सबसे प्रमुख स्ट्रेन शामिल हैं, जो लगभग 90% सर्वाइकल कैंसर से बचाव करने में मदद करती है।
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मिथक 3 : एचपीवी वैक्सीन सिर्फ लड़कियों को बचाती है।
सच्चाई : एचपीवी वैक्सीन सिर्फ महिलाओं को नहीं बल्कि पुरुषों को भी एचपीवी संक्रमण से बचा सकती है। डॉक्टर का कहना है कि अगर किसी कपल के दोनों पार्टनर एचपीवी वैक्सीन लगवाते हैं, तो यह एचपीवी संक्रमण से दोगुना बचाव करती है।
मिथक 4 : एचपीवी वैक्सीन लगाने के बाद गर्भधारण नहीं कर सकते हैं।
सच्चाई : डॉ. आस्था दयाल का कहना है कि एचपीवी वैक्सीन लगाने के बाद गर्भधारण में परेशानी आती है, यह बात बिल्कुल गलत है। एचपीवी वैक्सीन लगवाने के बाद महिलाओं को सिरदर्द, थकान, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है। हालांकि एचपीवी वैक्सीन बांझपन का कारण बनती है, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
मिथक 5: एचपीवी वैक्सीन लंबे समय तक नहीं चलता है।
सच्चाई : अब तक हुए शोध में यह सामने आया है कि यह वैक्सीन लंबे समय तक चलने वाली होती है यानी इसके लिए दो या तीन खुराक के बाद बूस्टर की जरूरत नहीं होती है।
उम्र व स्वास्थ्य के हिसाब से आपको एचपीवी वैक्सीन की कितनी डोज लेनी चाहिए, इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए अपने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से बात करें।